Friday, April 26, 2024

स्टेन स्वामी के पक्ष में उठी देश और दुनिया में आवाज, गिरफ्तारी को बताया मानवाधिकारों का उल्लंघन

झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता, आदिवासियों और समाज के अन्य वंचित वर्गों के लिए काम करने वाले फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी की सूचना झारखंड ही नहीं पूरे देश में आग की तरह फैल गई है। स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी को लेकर देश ही नहीं दुनिया के तमाम हिस्सों से विरोध की आवाज उठ रही है। इसके साथ ही झारखंड भी आंदोलित होने लगा है। राज्य में कई जगहों पर इस गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी कड़ी में रांची में मानव श्रृंखला बनाकर इस गिरफ्तारी का विरोध किया गया।

वहीं झारखंड और देश भर के अनेक जन संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत 2000 लोगों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर 8 अक्टूबर 2020 को NIA द्वारा स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा की है और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस गिरफ़्तारी का विरोध करने का आग्रह किया है। वक्तव्य जारी करने वालों सामाजिक और सियासी संगठनों के साथ ही तमाम बुद्धिजीवी, लेखक और सिविल सोसायटी के लोग शामिल हैं।

इस संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों का व्यापक उल्लंघन है। हम, विभिन्न जन संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता, फर्जी भीमा कोरेगांव केस में झारखंड में आदिवासियों और जल, जंगल, जमीन तथा विस्थापन के विरोध में दशकों से शांतिमय रूप से सक्रिय 84 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की एनआईए द्वारा 8 अक्टूबर 2020 की शाम को भीमा-कोरेगांव मामले में हुई गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हैं।

स्टेन से उनके आवास स्थान, बगईचा में, पांच दिनों (27-30 जुलाई और 6 अगस्त) तक कुल 15 घंटे पूछताछ की गई थी। स्टेन ने एनआईए द्वारा प्रस्तुत विभिन्न दस्तावेजों का, जो इनके माओवादियों के साथ जुड़ाव को इंगित कर रहे थे, का पूर्ण खंडन किया और कहा कि दस्तावेज़ फ़र्ज़ी रूप से उनके कंप्यूटर में डाले गए हैं। कोविड 19 महामारी के दौरान एनआईए द्वारा एक 84 वर्षीय व्यक्ति, जिन्हें कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हैं, की गिरफ़्तारी अमानवीय है।

इस लिंक पर उनका वीडियो वक्तव्य सुना जा सकता है,

स्टेन लगातार राज्य के आदिवासियों एवं मूलवासियों के हक़ में आवाज उठाते आए हैं। उन्होंने विस्थापन, कॉरपोरेट द्वारा संसाधनों की लूट और विचाराधीन कैदियों की स्थिति पर बेहद शोधपरक काम किया है। वे झारखंड की भाजपा सरकार द्वारा सीएनटी-एसपीटी कानून एवं भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 में हुए जन विरोधी संशोधनों का लगातार मुखरता से विरोध करते आए हैं।

उन्होंने रघुवर दास सरकार द्वारा गांव की जमीन को लैंड बैंक में डालकर कॉरपोरेट के हवाले करने की भी जमकर मुखालफत की थी। वे लगातार संविधान की पांचवी अनुसूची एवं पेसा कानून के क्रियान्वयन के लिए भी अभियान करते आए हैं। वक्तव्य में कहा गया है कि हम स्टेन को विशेष कर एक सज्जन, ईमानदार और जनहित में काम करने वाले इंसान के रूप में जानते हैं। हमारे मन में उनके लिए और उनके काम के लिए सर्वोच्च्च सम्मान है।

हमारी स्पष्ट मान्यता है कि भीमा कोरेगांव केस मोदी सरकार द्वारा प्रायोजित एक आधारहीन और फर्जी मुकदमा है। इस केस का उद्देश्य सिर्फ देश के शोषितों- वंचितों के हक की बात करने वाले और सरकार की जन-विरोधी नीतियों पर सवाल करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को सबक सिखाना है। मोदी सरकार पूरी तरह जनविरोधी और कॉरपोरेट परस्त है। जनता के हक की बात करने वाले हर व्यक्ति को मोदी सरकार अपना दुश्मन मानते हुए किसी भी स्तर तक जाकर षड़यंत्र कर सकती है। इसी षड़यंत्र के तहत झारखंड के शोषितों की आवाज स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी हुई है। यह केवल एक व्यक्ति की गिरफ़्तारी नहीं बिलकुल झारखंड में मानवाधिकार और संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले सब पर हमला है।

जून 2019 में जब स्टेन स्वामी पर इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा छापा मारा गया था, तब झारखंड के नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने इस कार्रवाई की निंदा की थी और कहा था, “भाजपा सरकार सभी असहमति की आवाज़ों को दबा रही है। स्टेन स्वामी आदिवासी अधिकारों और कल्याण के एक प्रमुख आवाज़ रहे हैं। मैं उनके आवास पर ज़बरदस्ती किए गए बेबुनियाद छापे की कड़ी निंदा करता हूं।” वक्तव्य में कहा गया है कि हम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील करते हैं कि वे स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी का विरोध करें एवं केंद्र सरकार से मांग करें कि वे स्टेन स्वामी को तुरंत रिहा करें और इस मामले को बंद करें।

बता दें कि रांची के नामकुम थाना क्षेत्र के बगईंचा स्थित फादर स्टेन स्वामी के घर दिल्ली से आई एनआईए की टीम ने उनको गिरफ्तार कर लिया। बताया जाता है कि यह गिरफ्तारी भीमा कोरेगांव मामले में हुई है। गिरफ्तारी के बाद एनआईए की टीम ने उनको रात भर रांची स्थित अपने कार्यालय में रखा और 9 अक्टूबर को सुबह नौ बजे प्लेन से उन्हें महाराष्ट्र लेकर चली गई।

वक्तव्य का समर्थन करने वाले संगठनों और कार्यकर्ताओं की सूची देखने के लिए नीचे क्लिक करें…

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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