जम्मू-कश्मीर की स्थिति बहुत ही संवेदनशील है, इसलिए जम्मू-कश्मीर में जब पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा उच्चतम न्यायालय इस पर विचार करेगा ।जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने के बाद राज्य में लगाए गए सभी प्रतिबंधों को तत्काल हटाने का केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देने से मंगलवार को इंकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वहां की स्थिति बहुत ही संवेदनशील है। हालात सामान्य करने के लिए सरकार को समुचित समय दिया जाना चाहिए और उसे भी यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य में किसी की जान नहीं जाए। इसके साथ ही न्यायालय ने इस मामले में दायर याचिका दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दे दिया। हालांकि अटार्नी जनरल ने कहा कि स्थिति सामान्य होने में तीन महीने लग सकते हैं।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की खंडपीठ कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में अनुच्छेद 370 के प्रावधान रद्द करने के बाद जम्मू कश्मीर में पाबंदियां लगाने और कठोर उपाय करने के केन्द्र के निर्णय को चुनौती दी गई है।
केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि इस क्षेत्र की स्थिति की रोजाना समीक्षा की जा रही है और अलग-अलग जिलाधिकारियों से रिपोर्ट प्राप्त की जा रही है और इसी के अनुसार ढील दी जा रही है। अटार्नी जनरल ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना है कि जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था बनी रहे। उन्होंने जुलाई, 2016 में एक मुठभेड़ में आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने की घटना के बाद हुए आन्दोलन का हवाला दिया और कहा कि उस समय हालात सामान्य करने में करीब तीन महीने लग गए थे। वेणुगोपाल ने कहा कि 1990 से अब तक आतंकवादी 44,000 लोगों की हत्या कर चुके हैं और सीमा पार बैठे लोग उन्हें निर्देश और हिदायतें दे रहे हैं। मौजूदा हालात में जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने में कुछ दिन लगेंगे। वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि जम्मू कश्मीर में पिछले सोमवार से प्रतिबंध लगाये जाने के बाद से एक भी मौत नहीं हुई है।उनहोंने दवा किया कि प्रदेश में किसी भी प्रकार के मानवाधिकार का हनन नहीं हो रहा है।
एटॉर्नी जनरल ने कहा कि कानून-व्यवस्था हमारी प्राथमिकता है। फिर भी लोगों को कम से कम असुविधा हो, इसकी कोशिश की जा रही है। एटॉर्नी जनरल ने कहा कि कश्मीर में पहले इससे भी बुरे हालात रहे हैं। हम बेहतरी की तरफ बढ़ रहे हैं।तीन महीने में सबकुछ सामान्य हो जाने की उम्मीद है। हर दिन छूट बढ़ाई जा रही है।हालात शांतिपूर्ण बनाए रखना ज़रूरी है. अगर कोई घटना हो गई तो कौन ज़िम्मेदारी लेगा।
पीठ राज्य में स्थिति सामान्य करने और बुनियादी सेवायें बहाल करने के बारे में प्राधिकारियों द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानना चाहती थी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने का इंतजार करेगी और इस मामले पर दो सप्ताह बाद विचार करेगी।पीठ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति इस तरह की है जिसमें किसी को भी यह नहीं मालूम कि वहां क्या हो रहा है। सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि सरकार का प्रयास सामान्य स्थिति बहाल करने का है। इसीलिए वे दैनिक आधार पर स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। यदि जम्मू कश्मीर में कल कुछ हो गया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? निश्चित ही केंद्र।कोर्ट प्रशासन के हर मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
पूनावाला ने जम्मू-कश्मीर से कर्फ्यू हटाने, फोन-इंटरनेट और न्यूज चैनल पर लगे प्रतिबंध हटाने की भी मांग की थी। पूनावाला ने मांग की कि कोर्ट पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को रिहा करने का आदेश जारी करे। जमीनी हकीकत की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग की गठन करे। केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।
गौरतलब है कि घाटी में अभी भी मोबाइल फोन, मोबाइल इंटरनेट और टीवी-केबिल पर रोक लगी हुई है. हालांकि, जम्मू में धारा 144 को पूरी तरह से हटा दिया गया है और कुछ क्षेत्रों में फोन की सुविधा चालू की गई है। अभी सिर्फ मोबाइल कॉलिंग की सुविधा ही शुरू की गई है।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)
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