Saturday, April 27, 2024

कहां छूट गया समानता, स्वतंत्रता और बंधुता का बाबा साहेब का सपना?

आज देश अपने संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की 132वीं जयंती मना रहा है। समानता, स्वतंत्रतता और भाईचारा के फॉर्मूले पर देश को आगे ले जाने का जो सपना उन्होंने देश को दिया था वो सपना कहीं पीछे छूट गया है, राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े तो यही बताते हैं।

बसपा सांसद सतीष चंद्र मिश्रा द्वारा देश में दलितों पर अत्याचार के आंकड़े मांगे जाने पर संसद में 21 मार्च 2023 को केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि पिछले चार साल (2018-2021) के दौरान देश में 1,89,945 मामले दर्ज़ हुए। जबकि आदिवासियों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न के 22,370 मामले दर्ज़ किये गये। दलित उत्पीड़न के सबसे ज्यादा 49,613 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज़ हुए।

इससे पहले 25 जुलाई 2022 को भी केंद्रीय मंत्री ने तेलंगाना से कांग्रेस सांसद कोमाती रेड्डी और टीआरएस सांसद मन्ने श्रीनिवास रेड्डी ने सवालों का जवाब देते हुए बताया था कि देश में दलितों के खिलाफ़ साल 2018 में 42,793, साल 2019 में 45,961 और साल 2020 में 50 हजार मामले दर्ज़ किए गये थे।

साल 2016 में सत्ता परिवर्तन के बाद उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। यहां साल 2018 में 11,924 मामले, साल 2019 में 11,829 मामले, साल 2020 में 12,714 मामले दर्ज़ किये गये।

अब सवाल उठता है कि इसे किस तरह देखें। क्या यह महज जातीय उत्पीड़न के मामले हैं। या कि इनमें नफ़रत का तत्व भी निहित है। संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की मूर्तियों को भी लगातार निशाना बनाया जाना कम से कम यही तश्दीक करता है कि इसमें नफ़रत का तत्व भी शामिल है। अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ लड़कों ने बाबा साहेब की मूर्ति को चप्पल मारे और स्कूल, कॉलेज और संसद का रास्ता दिखाने के लिए उठी उनकी अंगुली पर कुछ लड़कों ने अश्लील हरकतें की।

अगर केवल एक राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें जहां दलित उत्पीड़न के सर्वाधिक मामले साल दर साल दर्ज़ किए जा रहे हैं तो उत्तर प्रदेश में साल 2016 में सत्ता परिवर्तन के बाद से बाबा साहेब की मूर्तियों को तोड़े जाने की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इन घटनाओं का दस्तावेजीकरण करना ज़रूरी है, साथ ही इसका मनोविश्लेषण करना और समझना भी कि ऐसा करने के पीछे कौन सी मानसिकता काम कर रही है।

दलित चिंतक और एक्टिविस्ट सुशील गौतम कहते हैं कि यह समाज और देश की तमाम शैक्षणिक संस्थाओं का फेल्योर है। वो कहते हैं कि बाबा साहेब की मूर्ति का अपमान करने वाले, उन्हें जूते-चप्पल मारने वाले, तोड़ने वाले युवाओं में आखिर किस बात की खीझ है। दरअसल गांव जातिवाद के गढ़ हैं। उनके मां-बाप ने उन्हें गैरबराबरी और अन्याय पर आधारित उस सामन्ती अतीत की बातें बतायी हैं। उन्होंने अपने बच्चों को बताया है कि संविधान लागू होने से पहले तक न्याय उनके हाथों में था, सब कुछ उनका था। दलित शूद्र दिन-रात उनके खेत खलिहानों में, गोरुवारी में सेवा में झुके रहते थे। ज़मीन पर बैठते थे पांव के पास।

सुशील गौतम आगे कहते हैं कि आज हालात बदल गये हैं। लड़के आज के हालात और पिता के अतीत की तुलना करके देखते हैं और पाते हैं कि वो जहां काम कर रहे हैं वहां दलित बराबरी पर कुर्सी पर बैठ रहा है। गांव में बराबरी पर बैठ रहा है। तो ये कुर्सी की मानसिकता है कि ये लोग ऊपर कैसे बैठ गये। वो आखिर में कहते हैं कि जहां आरक्षण का नाम आता है, आंबेडकर का नाम आता है। इस वजह से भी आंबेडकर की मूर्तियां निशाने पर हैं। प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल या इंटरमीडिएट में कहीं भी इन्हें समाजिक न्याय के सिद्धात के बारे में बताया गया होता तो इनमें दलितों और बाबा साहेब के प्रति इतनी नफ़रत न पैदा होती ।

कहां कहां तोड़ी गई मूर्तियां

  • 1 जनवरी 2023 को उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के रतनपुरी थाना क्षेत्र के भूपखेडी गांव में अज्ञात लोगों ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया। दलित समुदाय के विरोध-प्रदर्शन के बाद नई मूर्ति लगवा दी गई।
  • 24 मई 2022 को मेरठ के हस्तिनापुर गणेशपुर रोड स्थित एक मूर्तिकला केन्द्र में बाबा साहेब की 2 मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
  • 11 अक्टूबर 2022 को अंबेडकरनगर जिले के जलालपुर क्षेत्र के वाजिदपुर मोहल्ले में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की दीवार में उकेरी तस्वीर थी। यह एक खुले इलाके में थी और इस पर किसी ने कालिख पोत दी। जब दलित समुदाय की स्त्रियों ने विरोध-प्रदर्शन किया तो यूपी पुलिस ने उन पर लाठियां बरसायी। पुलिस की बर्बर कार्रवाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
  • 3 अगस्त 2022 को उत्तर प्रदेश के भदोही ज़िले में आंबेडकर की मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया गया था।
  • 10 सितंबर 2022 को अलीगढ़ जिले के थाना लोधा इलाके के गांव केशोपुर जाफरी में अराजकतत्वों ने इलाके का माहौल खराब करने के उद्देश्य से बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा का हाथ तोड़ दिया। ग्रामीण सुबह जब पार्क में टहलने के लिए गए तो मूर्ति को क्षतिग्रत अवस्था में देखा। लोग आक्रोशित हुए और सैकड़ों की तादाद में महिलाओं समेत ग्रामीणों का जमावड़ा मौके पर लग गया।
  • 18 अगस्त 2022 को सीतापुर जिले के हरगांव में एक प्राइमरी पाठशाला के पार्क में बाबा साहेब आंबेडकर की लगी आदमकद प्रतिमा को शरारती तत्वों द्वारा तोड़ दिया गया। दरअसल दलित ग्राम प्रधान विमला देवी ने ग्राम समाज की ज़मीन को ठाकुर बिरादरी के अवैध क़ब्ज़े से मुक्त करवाकर वहां गौशाला बनवा दिया था। जिसकी प्रतिक्रिया में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या यानी 14 अगस्त को रिक्खीपुरवा गांव के दलितों पर पड़ोसी गांव के सवर्ण दबंगों द्वारा हमला किया गया। जब पीड़ित पक्ष थाने में एफआईआर कराने गये तो ब्राह्मण थानेदार ने पीड़ितों पर ही फर्ज़ी मामला दर्ज़ कर उन्हें जेल में बंद कर दिया।

इससे दबंग सवर्णों का दुस्साहस बढ़ गया और ग्राम रिक्खीपुरवा में डॉ. भीमराव आंबेडकर की मूर्ति का सिर तोड़कर ज़मीन पर फेंक दिया गया। अगले दिन जब दलित समुदाय के लोगों विरोध पर उतर आये तो प्रशासन ने दूसरी मूर्ति लगवा दी।

  • उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में पिछले साल ठीक आंबेडकर जयंती से एक दिन पूर्व यानि 13 अप्रैल 2022 को बाबा साहेब की मूर्ति ही ग़ायब कर दी गई।
  • 19 नवंबर 2021 को सीतापुर जिले के कोतवाली देहात इलाके के सलेमपुर गांव में अराजक तत्वों ने गांव के पास ही लगी डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर गिरा दिया। सुबह जानकारी होने पर ग्रामीण आक्रोशित हो उठे। तो एएसपी, सीओ ने भारी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच कर ग्रामीणों को शांत करवाया और आंबेडकर की नई प्रतिमा लगवायी।
  • सीतापुर जिले में ही 13 अप्रैल 2018 को यानी आंबेडकर जयंती से ठीक एक दिन पहले अराजक तत्वों ने बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया। घटना सामने आने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने तत्काल प्रतिमा को ठीक कराते हुए इसकी पुनर्स्थापना करवाया।
  • ठीक इसी दिन राजधानी दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में थाना बिसरख क्षेत्र के रिछपाल गढ़ी गांव में भी पार्क में लगी बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
  • 15 फरवरी 2020 को अयोध्या के गोसाईगंज कोतवाली इलाक़े भी आंबेडकर की मूर्ति को नुक़सान पहुंचाया गया।
  • 7 अप्रैल 2018 को आगरा के दुगारैया गांव में भी बाबा साहेब की मूर्ति को असामाजिक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था।
  • 6 मार्च 2018 को मेरठ के मवाना में बाबा साहेब की मूर्ति तोड़ दी गयी।
  • 10 अप्रैल 2018 को बदायूं में आंबेडकर प्रतिमा का हाथ तोड़ दिया गया था। इसी दिन सहारनपुर में भी आंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
  • 12 अक्टूबर 2016 को उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद के गऊटोला के आंबेडकर पार्क में लगी मूर्ति को अराजकतत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था।
  • 19 अगस्त 2019 शुक्रवार को आजमगढ़ के देवगांव कोतवाली थाना क्षेत्र के मिर्जा आदमपुर गांव में मूर्ति तोड़ी गई। इसी दिन इसी थाना क्षेत्र के श्रीकांत पुर गांव में भी बाबा साहेब की मूर्ति तोड़ दी गई।
  • 25 अगस्त 2016 को बाराबंकी जिले में बाबा साहेब की मूर्ति तोड़ दी गयी। दरअसल दुर्गा पूजा आयोजन को लेकर विवाद होने के बाद बाबा साहेब की मूर्ति तोड़ दी गयी।
  • 1 अप्रैल 2018 को हाथरस के गांव लाढ़पुर में तिराहे पर लगी डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा को निशाना बनाया गया। इससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति पैदा हो गई तो पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचकर नयी मूर्ति लगवायी।
  • 30 मार्च को इलाहाबाद में झूसी के त्रिवेणीपुरम में डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की मूर्ति को अराजक तत्वों ने तोड़ दिया था। वहीं सिद्धार्थनगर में भी आंबेडकर की मूर्ति तोड़ी गयी।
  • 26 मार्च 2018 को यूपी के एटा के थाना जलेसर कस्बे में आंबेडकर प्रतिमा को अराजक तत्वों ने तोड़ दिया था। जाटव समाज के लोग भड़क उठे तो पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और हालात को संभाला।
  • 7 अप्रैल 2018 को यूपी के बदायूं जिले के कुवरगांव पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले दुगरैया गांव में बाबा साहेब की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया गया। आंबेडकर की मूर्ति का रंग बदलकर नीला से भगवा कर दिया गया था।

बाबा साहेब की मूर्तियां नहीं रखने दी गईं

  • सीतापुर जिले के गांव गुमई के दलित निवासी गुलशन पुत्र बनवारी की निजी भूमि पर भगवान गौतम बुद्ध व डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की मूर्तियां 24-25 सितम्बर 2018 की दर्म्यानी रात को गांव के दलित समुदाय के लोगों ने रखीं तो दिन में पुलिस व उप जलाधिकारी ने आकर मूर्तियां हटा दीं।
  • इसी तरह 20 फरवरी 2021 को बाराबंकी जिले के मोहम्मद पुरखाला के पारा गांव में बाबा साहेब और गौतम बुद्ध की प्रतिमा लगाने पर पुलिस ने 46 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ किया। आरोप लगाया गया कि बिना अनुमति के ग्राम सभा की ज़मीन पर ये मूर्तियां लगायी गयी थीं।
  • चार-पांच साल पहले बाराबंकी जिले के ही देवा थाना क्षेत्र के सरसौंदी ग्राम सभा के अभिलेखों में 0.202 हेक्टेयर भूमि जिसका गाटा संख्या 132 आंबेडकर पार्क के नाम से दर्ज़ है। गांववासी आंबेडकर जयन्ती के अवसर पर बाबा साहेब की प्रतिमा लगाना चाह रहे थे। किंतु कार्यक्रम के ठीक पहले लेखपाल कमलेश शर्मा ने झूठी आख्या लगा दी कि उक्त भूमि का वाद बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी के यहां चल रहा है। जबकि शिकायतकर्ता कन्हैया लाल ईंट भट्ठा मालिक हैं व ग्राम सभा के निवासी भी नहीं हैं।
  • 6 नवंबर 2022 को बरेली के सिरौली क़स्बे के मुहल्ला साहूकारा में कुछ लोगों ने सरकारी भूमि पर आंबेडकर की प्रतिमा लगा दी, बाउंड्रीवाल का निर्माण कर दिया और चबूतरा भी बना दिया। बिना अनुमति प्रतिमा स्थापित किये जाने की जानकारी पर पुलिस व राजस्व की टीम लेकर एसडीएम वेद प्रकाश मिश्रा व सीओ अजय कुमार गौतम पहुंचे। भीम आर्मी के सदस्यों को बुलाकर उनसे बात की और प्रतिमा हटा दी गई।

(सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार)

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