नूंह हिंसा: धार्मिक यात्रा में शामिल लोगों के हाथों में हथियार किसने सौंपा, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत का सवाल

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नूंह हिंसा के बाद गुड़गांव के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि धार्मिक यात्रा में शामिल लोगों के हाथ में लाठी और तलवार नहीं होना चाहिए। यह बात उन्होंने नूंह में निकाले गए बृज मंडल यात्रा के धार्मिक जुलूस में शामिल लोगों के बारे में कही। इंद्रजीत सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा “इस जुलूस में ले जाने के लिए उनको हथियार किसने दिया? जुलूस में कोई तलवार ले कर जाता है? लाठी-डंडे ले कर जाता है? यह गलत है। हिंदुओं के तरफ से भी उकसावे की कोशिश हुई। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि दूसरी तरफ से कोई उकसावे की कार्रवाई नहीं हुई।”

उन्होंने बच्चों के बीच हुई एक छोटी सी लड़ाई को दंगे में बदलने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों के कुछ नौजवानों ने एक दूसरे पर पत्थर फेंके।

इंद्रजीत सिंह ने बताया कि जब उन्हें लगा की इस इलाके में काबू पाने के लिए पुलिस बल ‘अपर्याप्त’ है, तो उन्होंने नूंह में केंद्रीय बल भेजने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय गृह मंत्रालय से संपर्क किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज के समय में सोशल मीडिया पोस्ट लोगों में ‘नकारात्मक असर’ डाल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि, ‘मैंने पुलिस से जांच करने को कहा है कि इस तरह की भड़काऊ वीडियो किसने अपलोड किया है? किसी ने बताया है कि सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो पोस्ट किया गया था, जिसमें कहा गया था कि, ‘हम इस धार्मिक समारोह के लिए आ रहे हैं, आपका दामाद आ रहा है। रोक सकते हो तो रोक लो’। अगर ऐसे गैर-जिम्मेदाराना वीडियो अपलोड किए जाते हैं तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

इंद्रजीत सिंह के अनुसार, मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र ने ‘विभाजन के बाद से पिछले 75 वर्षों में’ ऐसी घटना नहीं देखी थी। यह पहला मौका है, जब नूंह ने इस तरह का दंगा देखा है। ‘अब ऐसा क्यों हुआ? मेरा मानना है कि सोशल मीडिया इन सबके लिए जिम्मेदार है।’

केंद्रीय मंत्री ने इस क्षेत्र में अतीत में 2022 में नासिर और जुनैद (राजस्थान से संबंधित,उन्हें कथित गोरक्षकों द्वारा मार डाला गया और उनके शवों को भिवानी में फेंक दिया गया) जैसी हत्याओं पर भी खेद व्यक्त किया, जिससे एक विशेष समुदाय के मन में ‘उत्पीड़न की भावना’ पैदा हो गई। पूर्व कांग्रेस नेता, इंद्रजीत सिंह पिछले नौ वर्षों से नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं। उनके समर्थक मांग कर रहे हैं कि वह 2024 के लिए भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार हों।

हालांकि इंद्रजीत सिंह का मानना है कि पार्टी की सफलता में उनका योगदान होने के बावजूद उन्हें कभी उनका हक नहीं दिया गया। अक्टूबर 2021 में, सिंह को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी हटा दिया गया था। भाजपा के हिसार से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने नूंह और पड़ोसी जिलों के आसपास क्षेत्र में हालिया अशांति का कारण ‘साजिशों’ को बताया है।

बीरेंद्र सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “अलग-अलग जाति और धर्म होने के बावजूद हम देश के सबसे शांतिप्रिय लोग हैं। इस क्षेत्र में भाईचारा भी बहुत मजबूत है। लेकिन हाल के दिनों में कुछ साजिशें हुई हैं जो मौजूदा अशांति का कारण हो सकती हैं।” बीरेंद्र, जिनके बेटे बीरेंद्र सिंह हिसार से भाजपा सांसद हैं, 2020 में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे थे, जिन्हें बाद में निरस्त कर दिया गया था।

फरीदाबाद के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जो नहीं होनी चाहिए थी। कुछ लोगों (भाजपा शासन) ने पिछले साढ़े आठ वर्षों में हरियाणा में भाईचारा, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश की है।” दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा करते हुए कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि खुफिया तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है।

हालांकि, देश में ये पहला मौका नहीं है जब सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल किया गया हो, इससे पहले भी देश के अलग-अलग कोने में इस तरह के वारदात होते रहें हैं और लोग भी मरते रहे हैं। लेकिन भारतीय सरकार ने आज तक इस तरह के मामलों पर काबू पाने के लिए कोई नियम/प्रतिबंधित कानून नहीं बनाया है। जबकि पूरा देश जानता है कि इस तरह से सोशल मीडिया पोस्ट से दंगा भड़कना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर पर आधारित।)

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