नई दिल्ली। इजराइल ने एक हमले में हमास चीफ याह्या सिनवार की हत्या कर दी है। शुरू में तो नहीं लेकिन अब हमास ने भी उसकी पुष्टि कर दी है।
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने सिनवार को शहीद कह कर बुलाया है। मिशन ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा है कि “जब मुसलमान शहीद सिनवार को युद्ध के मैदान में खड़ा देखेंगे- युद्ध के ड्रेस में और छुपी जगह के बजाय बिल्कुल खुले मैदान में दुश्मन का सामना करते हुए- तो युद्ध का प्रतिरोध और मजबूत हो जाएगा।”
अल जजीरा के हानी महमूद ने गाजा से इस घटना को फिलिस्तीनी कैसे देख रहे हैं इसके बारे में बोलते हुए बताया कि इस घटना को जिस तरह से लोग देख रहे हैं यहां तक कि वो लोग भी जो सिनवार की रणनीति के विरोधी थे, उनका भी कहना है कि उत्पीड़न के खिलाफ लड़ते हुए उन्होंने एक योद्धा की मौत पायी है।
इजराइल के साथ 12 महीनों से जारी इस युद्ध के दौरान सिनवार गाजा से ही काम कर रहे थे और यह माना जा रहा है कि जुलाई में हमास पोलित ब्यूरो हेड इस्माइल हानिया की हत्या के बाद उन्हीं का समूह पर नियंत्रण था।
सिनवार के निर्देश के तहत इजराइल के हमले के प्रभाव के बाद भी गाजा में हमास का सैन्य दबाव बरकरार था। जिसमें इजराइली अड्डों पर हमला करना और पूरी गाजा पट्टी में सिविल प्रशासन को संचालित करने की बात शामिल थी।
पूरे गाजा अभियान के दौरान इजराइल के लिए सिनवार सबसे बड़े और जरूरी निशाना थे। जिसमें कई बार इस हमास नेता के हत्या और फिर शिकंजे में आने की झूठी खबरें भी फैलीं।
मास्टरमाइंड
इजराइली अधिकारियों का कहना है कि हमास के नेतृत्व में इजराइल पर किए गए 7 अक्तूबर के हमले के पीछे सिनवार एक मास्टरमाइंड की तरह काम किए थे। इसके साथ ही हमास के सैन्य विंग के कमांडर मोहम्मद डीफ और डीफ के डिप्टी मारवान इसा भी इसमें शामिल थे।
फरवरी में इजराइली सेना ने कुछ फोटो जारी की थी जिसमें यह दावा किया गया था कि सिनवार अपनी पत्नी, बच्चों और भाई इब्राहिम के साथ खान यूनुस की एक गुफा में स्थित एक कांप्लेक्स में मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि यह फोटो 7 अक्तूबर के हमले के कुछ दिनों बाद ही ली गयी थी।
उसी ब्रीफिंग में इजराइली प्रवक्ता डैनियल हागारी ने दावा किया कि सेना ने सिनवार के परिवार के कई सदस्यों को अपने कब्जे में ले लिया है। इसके साथ ही उसमें हमास के कुछ नेता भी शामिल हैं। इन सभी से पूछताछ की जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र समेत कई एजेंसियों ने इजराइली अधिकारियों द्वारा पूछताछ के दौरान अक्सर टार्चर जैसी बर्बर कार्रवाई के इस्तेमाल की बार-बार चर्चा की है।
इजराइली सेना द्वारा सिनवार, हनिया और डीफ के वांटेड सूची के अलावा 7 अक्तूबर के हमले के बाद इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) ने युद्ध अपराध के जुर्म में उनकी गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया था।
उसके बाद इजराइली सेना द्वारा सभी मार दिए गए। और उसमें केवल इजराइली पीएम नेतन्याहू और रक्षामंत्री योव गैलेंट ही आईसीसी की चार्जशीट में बचे हैं।
शरणार्थी परिवार में हुआ जन्म
सिनवार जिन्हें अबु इब्राहिम के नाम से भी जाना जाता था, का जन्म 1962 में एक शरणार्थी परिवार में खान यूनुस के एक कैंप में हुआ था। उनका परिवार 1948 के नकबा में जियोनिस्ट गैंग द्वारा विस्थापित कर दिया गया था।
सिनवार का परिवार फिलिस्तीन के अल मजदल गांव का रहने वाला था जिसे जमींदोज करके अब उसके मलबे पर इजराइली कस्बा अशकेलोन बनाया गया है।
1982 में सिनवार अभी 20 साल के भी नहीं हुए थे तभी उन्हें इजराइली अधिकारियों ने ‘इस्लामिक गतिविधियों’ में शामिल होने के लिए गिरफ्तार कर लिया था।
1985 में उन्हें एक बार फिर गिरफ्तार किया गया। जेल के इस दूसरे काल के दौरान उनकी मुलाकात हमास के संस्थापक शेख अहमद यासिन से हुई और वह उनके बेहद नजदीकी हो गए।
वह 25 साल के जब हुए तो उन्होंने हमास के आंतरिक सुरक्षा संगठन अल मज्द को स्थापित करने में सहयोग दिया। और इसकी प्रतिष्ठा इस तरह की थी कि इजराइल के साथ किसी भी तरह के गठबंधन में जाने वाले फिलिस्तीनियों से वह बेहद कड़ाई से पेश आता था।
1988 में 26 साल की आयु में सिनवार एक बार फिर गिरफ्तार हुए और उन्हें आजीवन कारावास की सजा हुई। उनके ऊपर दो इजराइली सैनिकों और 12 फिलिस्तीनियों की हत्या की साजिश का आरोप लगा। उनको 22 साल जेल में रहना था।
ऐसा कहा जाता है कि जेल में सिनवार बेहद अनुशासन प्रिय थे। जिसमें उन्होंने हिब्रू को लिखना और पढ़ना दोनों सीखा। और इस तरह से अपने कैदियों के बीच वह नेता बन गए और प्रिजन स्टाफ के साथ समझौते के लिए वह केंद्रीय बिंदु बन गए।
इजराइल ने उन्हें 2011 में 1000 दूसरे फिलिस्तीनियों के साथ रिहा कर दिया। जिसके बदले में कुछ इजराइली सैनिकों को छोड़ा गया। यहां तक कि उस समय भी जिन लोगों को रिहा किया गया था उसमें सिनवार को सबसे ज्यादा वरिष्ठ और प्रमुख माना गया था।
उनके छोटे भाई मोहम्मद सिनवार भी हमास के साथ एक आर्म्ड कमांडर हैं। कुछ लोगों को शक है कि उन्होंने ही सीमा पार रेड की योजना बनायी थी जिसमें शालित को पकड़ लिया गया था।
एक व्यवहारवादी और उनका लगातार बदलता गणित
एक बार जो रिहा हुए तो सिनवार बहुत जल्द ही हमास की ऊपरी सीढ़ी पर चढ़ गए।
2013 में उन्हें गाजा में हमास के पोलितब्यूरो के सदस्य के तौर पर चुना गया। 2017 में वे आंदोलन के नेता बन गए।
2018 में सिनवार ने इजराइल को संकेत दिया कि हमास की रणनीति अब गैर सैनिक प्रतिरोध की तरफ बढ़ रही है। इजराइल के साथ एक और युद्ध निश्चित तौर पर हम लोगों के हित में नहीं है। उन्होंने यह बात उस समय कही थी।
लेकिन 2022 के आखिरी महीनों में सिनवार की गणित बिल्कुल बदल गयी। जैसा कि इजराइल ने इतिहास की सबसे ज्यादा दक्षिणपंथी सरकार चुनी। जिसमें सरकारी अधिकारियों ने अल अक्सा मस्जिद पर हमला किया और इजराइल को सऊदी अरब से सामान्य रिश्तों का संकेत मिला। सिनवार और दूसरे हमास नेता इससे ऐसा लगता है काफी प्रभावित हुए।
दिसंबर 2023 में यूरोपियन कौंसिल ऑन फारेन रिलेशंस के एक सीनियर पालिसी फेलो ह्यूज लोवैट ने अल जजीरा को बताया था कि सिनवार एक व्यवहारवादी हैं जो परिस्थितियों के हिसाब से राजनीतिक बातचीत और सैन्य हिंसा के बीच शिफ्ट होते रहते हैं।
14 दिसंबर, 2022 को सिनवार और दूसरे हमास नेताओं ने इजराइल के अब तक के सबसे दिक्षणपंथी सरकार के चुनने के बाद गाजा में एक बड़ी भीड़ के सामने खुली लड़ाई की भविष्यवाणी की। सिनवार के इस खतरे को 2023 की शुरुआत में भी दोहराया गया।
क्षेत्रीय पहुंच
गाजा में हमास की अपनी नेतृत्वकारी भूमिका में सिनवार ने इलाके में अपने रिश्तों को बनाने पर केंद्रित किया। उन्होंने मिस्र के नेतृत्व के साथ रिश्तों को फिर से बहाल किया। इसके साथ ही सीरियाई गृह युद्ध में मतभेद के बावजूद ईरान के साथ फिर से संपर्क बनाया।
सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के सीनियर फेलो डैनियल बाइमैन ने कहा कि सिनवार खुद को एक बौद्धिक नेता के तौर पर पेश करते थे। यहां तक कि सिनवार इजराइल के लिए राजनीतिक दांव बहुत ऊंचा रखते थे। क्योंकि वह कैदियों के बदले में रिहा किए गए थे।
लोवैट जैसे विश्लेषकों का मानना है कि डीफ 7 अक्तूबर के हमले का मुख्य मास्टरमाइंड था। लेकिन सिनवार के विपरीत वह अपनी जनता के बीच तेज तर्रार भाषणों के लिए जाना जाता था। डीफ को कई सालों तक जनता के बीच नहीं देखा गया। इजराइल का कहना था कि उसने डीफ को 13 जुलाई के हमले में मार दिया। हालांकि हमास ने उसकी मौत की पुष्टि नहीं की।
विश्ले षकों का मानना है कि यहां तक कि हानिया की हत्या से पहले सिनवार युद्ध विराम के लिए एक अहम बातचीत में शामिल थे। जिसमें हमास और इजराइल के बीच पकड़े गए कैदियों के लेन-देन की बात भी शामिल थी।
(ज्यादातर इनपुट अल जजीरा से लिए गए हैं।)