Saturday, April 20, 2024

झारखंड: 11.48 लाख मनरेगा मजदूरों के जॉब कार्ड रद्द किये गये, मजदूरों ने फूंका आन्दोलन का बिगुल

लातेहार। वैसे तो पूरे देश में ऐतिहासिक रोजगार गारन्टी कानून मनरेगा को कमजोर किये जाने को लेकर मजदूरों में असंतोष है और सभी अपनी-अपनी तरह से इसका विरोध भी कर रहे हैं। इसी विरोध के आलोक में पिछले दो महीने से दिल्ली के जंतर-मंतर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों के मनरेगा मजदूर और मनरेगा मजदूर संगठन धरना दे रहे हैं।

वहीं पिछले दिनों लातेहार जिला के मनिका प्रखंड में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के ऐतिहासिक मौके पर सैकड़ों मनरेगा मजदूर, पारम्परिक ग्राम प्रधान, पंचायत जनप्रतिनिधि एवं मजदूर संगठन से जुड़े लोगों ने केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोला।

ग्राम स्वराज मजदूर संघ, मनिका के बैनर तले संपन्न मजदूर सम्मेलन में अगले एक साल तक चलने वाले आन्दोलन की विस्तृत रूपरेखा की घोषणा की गई। जिसमें संघ से जुड़े सभी कार्यकर्त्ता प्रखण्ड के सभी गांवों तक पहुंचकर नियमित बैठकें करेंगे। उनके बीच पर्चा और पोस्टर के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा देश के ऐतिहासिक रोजगार गारन्टी कानून मनरेगा को कमजोर किये जाने का पर्दाफाश करेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं लगातार विभिन्न स्तरों पर सम्मेलन, विचार गोष्ठियां भी आयोजित की जाएंगी।

इस अवसर पर झारखण्ड नरेगा वाच के राज्य संयोजक जेम्स हेरेंज ने कहा कि 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी कानून पारित कर देश ने दुनिया के स्तर पर एक इतिहास रचा है। आज भी कानून के अंतर्गत संचालित 262 तरह की योजनाओं के मार्फत झारखण्ड के 97.33 लाख एवं देश भर के 27 करोड़ मजदूरों के लिए मनरेगा जीवन रेखा साबित हो रही है।

मनरेगा मजदूरों ने निकाला जुलूस

यह लाखों-करोड़ों मजदूरों को रोजगार देने के साथ दलितों, आदिवासियों के टोला-मुहल्लों तक पहुंच पथ, उनकी जमीनों में अनेक टिकाऊ परिसम्पतियों जैसे कुआं, तालाब, बागवानी, पशु शेड आदि के निर्माण से उनके जीविकोपार्जन के स्तर में व्यापक बदलाव हुए हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से खास कर 2023 के प्रथम तिमाही में देश के मजदूरों सहित ग्रामीण अर्थव्यवस्था के ऊपर केंद्र सरकार के द्वारा सीधे हमला किया गया है।

राज्य की हेमंत सरकार भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुई है, इससे मजदूरों, दलितों, आदिवासियों एवं कमजोर वर्गों का सरकार के उदासीन रवैये से मोह भंग होना लाजिमी है।

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मनोज सिंह चेरो ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा 2023-24 के लिए मनरेगा बजट को पिछले साल अर्थात 2022-23 की तुलना में 33% कम राशि आवंटित की गई। जीडीपी के अनुपात में यह आवंटन कार्यक्रम के इतिहास में सबसे कम है। अर्थात पिछले वर्ष मनरेगा मद में कुल आवंटन 89 हजार करोड़ रुपये था, उसे घटाकर मात्र 60 हजार करोड़ रुपये में सीमित रखा गया है।

इसका दुष्प्रभाव यह हो रहा है मजदूरी भुगतान गैर संवैधानिक तरीके से महीनों तक रुक जाता है, गांवों में मनरेगा के काम ठप्प पड़ जाते हैं, योजनाएं समय पर भुगतान के अभाव में पूर्ण नहीं होती हैं और ग्रामीण अर्थववस्था चरमरा जाती है। इस साल यह समस्या और भी विकराल रूप ले सकती है।

मनरेगा मजदूरों का धरना-प्रदर्शन

ग्राम स्वराज मजदूर संघ के अध्यक्ष कमलेश उरांव के शब्दों में “1 जनवरी से केंद्र सरकार द्वारा NMMS (नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) को उपस्थिति दर्ज करने के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। जिसमें दोपहर के पहले और दोपहर के बाद योजना स्थल में कार्यरत मजदूरों का फोटो सहित हाजिरी या जाना अनिवार्य है।

नरेगा मेठों के पास स्मार्ट फोन की अनुपलब्धता, रिचार्ज के पैसे न होना, मोबाइल चार्ज के लिए बिजली का न होना, नेटवर्क की समस्या, मंत्रालय के सर्वर का अत्यंत घटिया होना जैसी समस्याओं की वजह से मजदूर, मेठ, मनरेगा कर्मी सारे लोग इस नई हाजिरी प्रणाली से परेशान हैं।”

आधार आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) की जटिलताओं पर मनरेगा महिला मजदूर सुखमनी देवी जो दिल्ली जंतर-मंतर के धरने में भी शामिल थीं, ने कहा कि “केंद्र की मोदी सरकार ने मजदूरी भुगतान के लिए ABPS को अनिवार्य कर दिया है। जबकि राज्य सरकार जब यह आदेश जारी कर रही थी उस तिथि को उनके खुद के आंकड़ों के हिसाब से सिर्फ 48% मजदूर ही ABPS भुगतान के लिए उनके कागजात विभाग ने अपडेट किये थे।

ABPS की अनिवार्यता के कारण अनेकों मजदूरों को काम करने के बाद भी मजदूरी नहीं दी जा रही है। जिन मजदूरों के दस्तावेज ABPS के लिए अपडेट नहीं किये गए, उन्हें तो स्थानीय प्रशासन काम भी देना बन्द कर दिया है। उल्टे जिला प्रशासन ऐसे मजदूरों के रोजगार कार्डों को अलग अलग तरह के काल्पनिक कारण गढ़कर रद्द करना प्रारंभ कर दिया है। अकेले अपने राज्य झारखण्ड में विगत दो महीने के अन्दर 11.48 लाख मजदूरों के जॉब कार्ड वगैर मजदूरों को किसी प्रकार की सूचना दिए रद्द कर दिए गये हैं।”

मनरेगा मजदूरों का प्रदर्शन

कार्यक्रम के अंत में स्थानीय प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल के नाम 7 सूत्री ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें निम्नलिखित मांगें शामिल हैं।

  • केंद्र सरकार मनरेगा मद में पर्याप्त वित्तीय आवंटन सुनिश्चित करे।
  • ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार, मनरेगा में नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (NMMS) हाजरी प्रणाली को तत्काल वापस करे।
  • ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार, आधार आधारित भुगतान (ABPS) प्रणाली वापस ले।
  • हर हाल में सरकारें मनरेगा मजदूरों को 15 दिनों के अन्दर मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करें।
  • मजदूरों व ग्राम सभाओं को वगैर किसी जानकारी के व्यापक पैमाने पर मजदूरों के रोजगार कार्डों को रद्द किया जा रहा है, इसे तत्काल रोका जाए।
  • योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने हेतु मनरेगा कानून की धारा 17 (2) के तहत नियमित सामाजिक अंकेक्षण सुनिश्चित किया जाए।
  • राज्य के सभी अकुशल मजदूरों को 600 रुपये की न्यूनतम दैनिक मजदूरी के भुगतान को अनिवार्य किया जाए।

मंच संचालन प्रतिमा देवी ने किया एवं कार्यक्रम को सफल बनाने में शिवलाल उरांव, तेतरी देवी, कविता देवी, दीपू सिंह, उषा देवी, नीरज लकड़ा, पचाठी सिंह सहित अन्य लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट)

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