Saturday, April 27, 2024

Monthly Archives: August, 2017

यूपी में अस्पतालों को मौत के घर में बदलने की तैयारी

लखनऊ। ऐसे समय में जबकि गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गयी है। आक्सीजन के सिलेंडरों के समय से आपूर्ति न हो पाने के पीछे पैसे की कमी प्रमुख कारण रहा है। तब...

प्रधानमंत्री जी, देश ईंट-गारे से बनने वाली एक इमारत नहीं!

अच्छी शिक्षा-सेहत, शांति-सद्भाव और सबकी समृद्धि से बनेगा भव्य भारत! स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से इस मौके पर दिये अपने पहले के भाषणों के मुकाबले कुछ कम बोला। इस बार उनका भाषण तकरीबन 55...

हर फरियादी हो गया है अल्पसंख्यकः रवीश

अहमदाबाद। शनिवार को चंद्रकांत दरू मेमोरियल ट्रस्ट ने एनडीटीवी के पत्रकार रविश कुमार को निडर पत्रकारिता के लिए चन्द्रकांत दरू मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया। इससे पहले पत्रकारिता के लिए अरुण शौरी, बंधुआ मजदूरों की मुक्ति पर काम करने...

हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष का बेटा छेड़छाड़ के मामले में गिरफ़्तार

चंडीगढ़। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला को एक युवती से छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि विकास और उसके साथी आशीष ने शुक्रवार देर रात...

आज की सुबह पहले जैसी न थी, हवाओं में खून से सनी गंध महसूस की जा सकती थी

चालीस साल की बसासत का एक शांतिप्रिय शहर पल भर में तहस नहस हो जाता है। 28 लोगों के खून से सनी मेरे इस खूबसूरत शहर की मिट्टी का दर्द क्यों कोई जाने। उन्हें बस जुमलेफेंकने आते हैं। अजीबो-गरीब तर्क देने आते हैं। वे कुर्सी पर काबिज रह कर भी जवाबदेही से बचना चाहते हैं। प्रश्न गहरे हैं और हमारी बेचैनियां उस से भी ज्यादा गहरी हैं। क्योंकि उन प्रश्नोंके उत्तर हमारे पास नहीं हैं।  हमने एक अरसे से एक आदत बना रखी है कि धर्म और संस्कृति से जुड़े सवालों को हम या तो अंधभक्ति से सुलझाना चाहते हैं या राजनेताओं की बिसात परबिछी शतरंज की चालों के द्वारा। दोनों तरीकों से प्रश्न और उलझते हैं।  हम और अकेले हो जाते हैं। संस्कृति के मानवीय मूल्य तक हमारा साथ छोड़ने की हद तक चले गए दिखाई देते हैंऔर हमारे साथ जो खेल खेला जा रहा होता है उसके नायक या तो व्याभिचारी बाबा होते हैं या भ्रष्ट राजनेता। इन दोनों की मिलीभक्त से मेरे प्रिय शहर का जो हाल हुआ उसे मैंने अपनीआँखों से देखा। इन आँखों में अब आंसू भी नहीं हैं। आँखे बस घूर रही हैं अजनबी हो गयी मानवीय संवेदनाओं को। किस के पास इसका उत्तर है? मन बहुत आहत है... कल के घटनाक्रम से मन आहत है। आज की सुबह पहले जैसी न थी। हवाओं में खून से सनी गंध महसूस की जा सकती थी। अखबारों के पन्ने बलात्कारी बाबा और नकारा सरकार की...

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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...