पुरानी पेंशन बहाली के लिए कर्मचारियों का जंतर-मंतर पर प्रदर्शन, कर्नाटक-हिमाचल की तरह सबक सिखाने का निर्णय

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नई दिल्ली। 30 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पर पेंशन बहाली और अनुबंध व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों, शिक्षकों के नियमितीकरण को लेकर उत्तर भारत के कर्मचारियों ने बड़ा प्रर्दशन किया। उत्तर-प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान से आये हजारों कर्मचारियों ने एक दिन का धरना-प्रदर्शन और रैली का आयोजन किया और मंच से पदाधिकारियों ने केंद्र और राज्य को सरकारों से अपनी मांगें पूरी करने की अपील की।

कर्मचारियों का अखिल भारतीय संगठन इंडियन पब्लिक सर्विस एम्पालाइज फेडरेशन (इप्सेफ) लंबे समय से सरकारी संस्थाओं के निजीकरण, निगमीकरण और व्यापारीकरण के खिलाफ अभियान चला रहा है और ठेकेदारी व ठेका प्रथा के नाम पर कर्मचारियों को  दैनिक वेतनभोगी बना देने का विरोध कर रहा है। यह संगठन कर्मचारियों के नियमितीकरण और उनकी पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग को लेकर लगातार संघर्षरत है। इस यूनियन की मांग है कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकार केंद्रीय बजट का 10 प्रतिशत खर्च करे।

दिल्ली राज्य कमेटी के उपाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा वरिष्ठ ने साफ-साफ कहा कि “हमारी लड़ाई रुकने वाली नहीं है। केंद्र सरकार को उड़ीसा के नवीन पटनायक से सीखना चाहिए। उन्होंने हजारों कर्मचारियों को नियमित किया है और वह इसे आगे बढ़ा रहे हैं। आज पेंशन की योजना को टालना केंद्र की सरकार के लिए घातक साबित होगा। ये तो अपनी पेंशन की सुविधा कर ले जा रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों को अंधेरे में ढकेल रहे हैं। इनके परिवारों के जीवन को संकट में डाल रहे हैं। आज हमने प्रदर्शन कर चेतावनी दिया है।आने वाले चुनाव में उन्हें इसका परिणाम भी दिखेगा। अभी तो वे हिमांचल और कर्नाटक हारे हैं। आगे वे मध्य प्रदेश और राजस्थान भी हारेंगे। हमारे पास चुनाव में अपनी भूमिका निभाने का रास्ता है और हम वह भूमिका निभायेंगे”।

मंच पर अलग-अलग राज्यों के पदाधिकारी उपस्थित थे। और, उन्होंने पेंशन बहाली और कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग को सामने रखा। राष्ट्रीय महासचिव प्रेमचंद ने साफ कहा कि “केंद्र सरकार इस दिशा में तुरंत कदम उठाये और पेंशन के संदर्भ में राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन करे। यह आंदोलन हमारी मांग पूरा होने से पहले रुकेगा नहीं”। इस आयोजन में सर्वाधिक भागीदारी उत्तर-प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, तेलगांना और मध्य प्रदेश से थी।

राष्ट्रीय सचिव प्रेमचंद ने हमारे साथ हुई बातचीत में बताया कि “हमारे दबाव से केंद्र सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तत्वाधान में चार लोगों की कमेटी बनाई है। यह कमेटी अभी तक तो कोई प्रतिवेदन तक नहीं ला सकी है। हमारी मांग राष्ट्रीय वेतन आयोग गठन की है। इसके परिक्षेत्र में केंद्र, राज्य, ऑटोनाॅमस और लोकल बाॅडीज के कर्मचारियों को लेना है, उनकी पेंशन को एकरूपता देने और उसकी समीक्षा करनी है। आज स्थिति यह हो गई है कि सरकारी मंत्रालय से लेकर राष्ट्रपति भवन तक में ठेकेदारी प्रथा पर आधारित कर्मचारी काम कर रहे हैं”।

उन्होंने कहा कि “हमने यह भी मांग रखी है कि जनता जिसे अपना प्रतिनिधि चुनती है वे तो अपनी पेंशन की व्यवस्था कर लेते हैं, लेकिन जनता को वे क्या देते हैं, कर्मचारियों और आम लोगों को वे क्या देते हैं, कुछ भी नहीं। वे हर नागरिक को पेंशन स्कीम का हिस्सा बनायें। यह सिर्फ आर्थिक मसला नहीं है, यह राजनीतिक मसला भी है। हमारे वेतन का एक हिस्सा सरकार काटकर उसे बाजार में लगा देती है और सट्टेबाजों के हाथों में दे देती है और रिटायरमेंट के बाद जो पैसा बच रहा होता है उसका एक बड़ा हिस्सा वह बाजार के हवाले किये रहती है। यह एक बड़ी नाइंसाफी है”।

यह पूछने पर कि आज की केंद्र सरकार से क्या उम्मीद है? वह बताते हैं कि “जिस कमेटी का गठन किया है वह एक मंत्रालय के पदाधिकारियों को लेकर बनाई गयी है। और अभी तक उसकी ओर से कोई प्रतिवेदन दिखाई नहीं दे रहा है। दूसरी बात यह भी कि  अर्धसैनिकों के पेंशन के संदर्भ में हुए निर्णय पर सरकार ने न्यायालय से 2024 तक के लिए स्टे ले रखा है। यानी वह इस मसले को आने वाली सरकार के कंधे पर डाल देना चाहती है। इससे तो यही लगता है कि सरकार पेंशन को लेकर हमारी मांग को लेकर गंभीर नहीं है”।

वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि “समान कार्य पर समान वेतन का आज कोई अर्थ नहीं रह गया है। दैनिक और ठेका कर्मचारीयों से काम लिया जा रहा है लेकिन वेतन के नाम पर बेहद कम पैसा दिया जा रहा है, जिसमें एक परिवार का पेट नहीं भर  सकता, वह अपने बच्चों को पढ़ा नहीं सकता। उसका भविष्य असुक्षित रहता है। उसे जो सुविधाएं मिलनी चाहिए उसे छीन लिया गया है और उसे ठेकेदारों के हवाले कर दिया गया है”।

प्रदर्शन में शामिल हजारों कर्मचारियों ने आंदोलन को आगे ले जाने के लिए एकजुटता का प्रदर्शन किया और मंच से घोषित किया कि “आने वाले सितम्बर महीने में मध्य प्रदेश में एक विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा। हम जागरुकता अभियान चलाएंगे और इसमें आम नागरिकों की पेंशन की मांग और पेंशन व्यवस्था को एकीकृत करने का अभियान चलाएंगे। सभी राज्य पदाधिकारी अपने राज्यों में आंदोलन को मजबूती देंगे और सरकार को चेताने वाले कार्यक्रम करेंगे”।

(अंजनी कुमार पत्रकार हैं।)

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