मिजोरम के नये मुख्यमंत्री बनने वाले लालडुहोमा आखिर कौन हैं?

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नई दिल्ली। मिजोरम को नया मुख्यमंत्री मिलने जा रहा है जो एक पूर्व आईपीएस अधिकारी है। और उनका नाम लालडुहोमा है। 73 वर्षीय लालडुहोमा ने सरचिप विधानसभा सीट को 2982 वोटों से जीता है। तीन दशक बाद वह सूबे के पहले नये मुख्यमंत्री होंगे।

लालडुहोमा की ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) नई पार्टी है और पहली बार चुनाव मैदान में उतरी है। सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के खिलाफ वह इस बार अच्छी खासी सीटों से जीत बुलंद कर रही है। इस खबर के लिखे जाने तक उसने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था और कई सीटों पर बढ़त बनाए हुए थी। इस पार्टी ने कांग्रेस और एमएनएफ के वर्चस्व को तोड़ दिया है। 1987 के बाद पहली बार होगा जब कांग्रेस और एमएनएफ से अलग किसी दूसरी पार्टी की सत्ता होगी। कांग्रेस और एमएनएफ के बीच सत्ता की नियमित अदलाबदली के चलते कांग्रेस के ललनथनहौला और एमएनएफ के ज़ोरामथांगा बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनते रहे। और यह सिलसिला 1993 से जारी है।

लालडुहोमा की राजनीति

नॉर्थ-ईस्ट हिल विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल करने के बाद लालडुहोमा ने आईपीएस की नौकरी ज्वाइन कर ली। सेवा में रहते हुए वह उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी इंचार्ज बन गए। उसके बाद 1984 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। और फिर कांग्रेस की सदस्यता ले ली। उसी के बाद लोकसभा चुनाव जीतकर उन्होंने अपनी संसदीय राजनीति की नई पारी की शुरुआत की। 1988 में एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया और इस तरह से इस कानून के तहत अयोग्य करार दिए जाने वाले वह पहले सांसद बन गए। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। जेडपीएम के गठन से पहले वह एक दूसरी पार्टी से 2003 में विधायक बने थे जिसका नाम जोरम नेशनलिस्ट पार्टी था और उसका भी गठन उन्होंने ही किया था।

जेडपीएम की 2017 में छह छोटी क्षेत्रीय पार्टियों और सिविल सोसाइटी समूहों के एक साझा प्लेटफार्म के तौर पर शुरुआत हुई। 2018 के विधानसभा चुनाव तक इसे मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा नहीं हासिल था। इसकी बजाए 38 निर्दलीय प्रत्याशी थे   जिनका 2018 के चुनाव में इस प्लेटफार्म ने समर्थन किया था। इसमें से 8 की चुनाव में जीत हुई थी। इसने इस पार्टी को विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा दिला दिया। 2019 में जेडपीएम को मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा मिल गया।

2021 में सरचिप के उप चुनाव में लालडुहोमा की जीत के साथ ही जेडपीएम ने अपने आने की घंटी बजा दी थी। यह चुनाव निर्दलीय विधायक बनने के बाद जेडपीएम में शामिल होने के चलते उनके खिलाफ होने वाली डिफेक्शन के तहत कार्रवाई के बाद सीट के खाली होने के चलते हुआ था। इस जीत ने सूबे के राजनीतिक नक्शे पर उनकी मौजूदगी को निश्चित कर दिया।

चुनाव प्रचार के दौरान जेडपीएम और लालडुहोमा ने तीन दशकों से कांग्रेस और एमएनएफ के खिलाफ पैदा एंटी इंकंबेंसी को फोकस किया। उन्होंने एमएनएफ पर बीजेपी के साथ समझौता करके अपना क्षेत्रीय चरित्र खो देने का आरोप लगाया। एमएनएफ की तरह जेडपीएम भी मिजो पहचान पर बल देता है। इसके पहले लालडुहोमा ने भी जो जातीय समूहों जिसमें मणिपुर का कुकी-जो समुदाय भी आता है, की एकता का नारा दे चुके हैं। 

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