नई दिल्ली। पिछले दो दिनों से तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों और केरल के कुछ हिस्सों में बारिश ने भारी तबाही मचा रखी है। पिछले 24 घंटों में 96 सेमी बारिश का रिकॉर्ड दर्ज किया गया। कुछ जगहों पर बारिश ने 100 सेमी की सीमा को भी पार करने का रिकॉर्ड दर्ज किया है। अभी तक चार लोगों के मारे जाने और लगभग साढ़े सात हजार लोगों के विस्थापित होने की खबर है।
कन्याकुमारी, थूथूकुड़ी, तेनकासी और तिरुनेलवेली में भारी बारिश और 40 से 45 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बहती समुद्री हवाओं के प्रकोप ने काफी नुकसान पहुंचाया है। पीटीआई की खबर के अनुसार बांध और झीलों में 80 से 100 प्रतिशत तक पानी भर गया है। इसमें जमा होते पानी को छोड़ने की वजह से नदियों का जलस्तर बढ़ा है और कई निचले इलाकों में बसे घरों में पानी के घुसने की खबर आ रही है।
रेल और सड़क यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है और कई रेलवे स्टेशनों पर सैकड़ों यात्री फंसे हुए हैं। कई ट्रेनों को रद्द किया गया है जबकि कुछ ट्रेनों को कुछ स्टेशनों को पार करने के बाद ही रोक दिया गया। तूतीकोरिन रेलवे स्टेशन भारी बारिश की वजह से भर गया, जिससे वहां 500 फंसे यात्री फंस गये। खेत, सड़कें और रिहाइशी इलाकों के जलमग्न होने की खबर है।
लगभग पखवाड़े भर पहले तमिलनाडु का बड़ा हिस्सा मिचौंग चक्रवाती तूफान की चपेट में आया था। इससे होने वाली भारी बारिश ने चेन्नई शहर को अस्त-व्यस्त कर दिया था और इससे राज्य को भारी नुकसान पहुंचा था। मौसम विभाग इस चक्रवाती तूफान के गुजर जाने के बाद समुद्री विक्षोभ पर नजर रखे हुए था।
मौसम विभाग का अनुमान था कि तमिलनाडु में 20 सेमी तक बारिश हो सकती है। लेकिन, समुद्री हवाओं ने बारिश के अनुमान को तोड़ दिया। 15 दिसम्बर से ही बारिश का सिलसिला तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में शुरू हो गया। 17 दिसम्बर को इस बारिश ने पिछले सारे रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया। नलूमुक्कू में 169 मिमी बारिश दर्ज की गई।

पश्चिमी घाट की पहाड़ियों से निकलने वाली नदी थमिराबारानी या पौरूनाई जो तेनकासी, तिरुनेलवेली और थूथूकुड़ी जिले की जीवनदायिनी कही जाती है, अपने किनारों को तोड़ते हुए कई किमी में फैल गई है। द हिंदू ने एक मौसम विज्ञानी के एक्स का हवाला देते हुए बताया है कि तिरुचेन्दूर तालुका के कायलपट्टनम में 932 मिमी की बारिश हुई है।
यहां यह ध्यान में रखने की बात है कि चक्रवात के बिना मैदानी क्षेत्रों में 24 घंटे में बारिश का अधिकतम रिकॉर्ड 50 सेमी देखा गया है। यह सामान्य बारिश नहीं है। मौसम विभाग आमतौर पर 24 घंटों में 21 सेमी की बारिश को अत्यंत अधिक बारिश में गिनता है। 7 से 11 सेमी को भी भारी बारिश में गिना जाता है।
लेकिन, मौसम विभाग के अनुसार तिरुनेलवेली में 44.3 सेमी की बारिश ने 1963 में हुई 29.2 सेमी की बारिश का रिकॉर्ड बुरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार तमिलनाडु में 1 अक्टूबर से अब तक 440 मिमी बारिश दर्ज की गई है। यह बेहद असामान्य बारिश है। खबर लिखे जाने तक एनडीआरएफ और स्थानीय सुरक्षकर्मी राहत बचाव में लग हुए हैं। कुछ हिस्सों में सेना को उतारा गया है।
यहां समुद्री विक्षोभ और जैस्पर चक्रवाती तूफान से ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड की तबाही का जिक्र करना भी जरूरी है। 13 दिसम्बर, 2023 को उत्तरी क्वींसलैंड के सुदूरवर्ती इलाके में यह तूफान उतरा और बड़ी तेजी से अंदर के इलाकों में घुसता गया। इसने 12 घंटों में 660 मिमी की बारिश को अंजाम दिया जो अब तक के सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिया। 1972 में ऐसी ही तूफानी बारिश का रिकॉर्ड 617 मिमी दर्ज किया गया था।
इस इलाके में बहने वाली नदी का जलस्तर 15 मीटर ऊपर उठ गया। 2019 में यह 12.6 मीटर के उठान के साथ काफी तबाही मचाई थी। नदी के इस उफान के चलते पानी आपूर्ति की व्यवस्था ध्वस्त होने लगी और पानी आपूर्ति को बनाये रखना मुश्किल हो गया। सड़कों और घरों के पानी में डूब जाने की खबर भारत में बेहद कम प्रकाशित हुई। क्वींसलैंड का हवाई अड्डा डूब गया और कई वायुयान पानी में डूबे हुए नजर आये।

मौसम विज्ञानियों के अनुसार बंगाल की खाड़ी से लेकर नीचे के समुद्री इलाकों में नवम्बर से अप्रैल के बीच चक्रवाती तूफान उठते हैं। यदि हम बंगाल की खाड़ी को देखें, तो यहां साल भर में कई तूफान सक्रिय हुए हैं। अल नीनो के असर के चलते समुद्री तूफानों में वृद्धि को देखा जा सकता है। अल नीनो के सक्रिय होने की तिथि को जनवरी-फरवरी से गिना जा रहा है। इसका असर भारत से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक में देखा जा सकता है।
ऑस्ट्रेलियाई मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार दिसम्बर के महीने में चक्रवाती तूफान का आना बेहद कम ही होता है। ठीक वैसे ही जैसे तमिलनाडु में बिना चक्रवात के ही इतनी भारी बारिश का होना एक अजूबा की तरह है। लेकिन, समुद्री विक्षोभों, हवा के दबावों और असामान्य मौसमी बदलावों से भारी बारिश से लेकर चक्रवाती तूफानों के बनने की स्थितियां बन रही हैं और इनके प्रभावों को हम देख रहे हैं।
इनका असर स्थानीय है लेकिन निश्चय ही इसके कारण वैश्विक हैं। जिस समय सीओपी-28 की मीटिंग चल रही थी, भारत और ऑस्ट्रेलिया में मिचौंग और जैस्पर चक्रवाती तूफान तबाही मचा रहे थे। आज जब बिना ठोस निर्णय लिए सीओपी-28 की मीटिंग खत्म हो गई है, तो तमिलनाडु के चार राज्य असामान्य बारिश से तबाह हो रहे हैं।
वैश्विक तामपान में हो रही वृद्धि सिर्फ कार्बन उत्सर्जन की बहस और विकास के दावे के साथ भले उलझा दी जाये लेकिन इसका असर सीधे जनता के आम जीवन और उसके संसाधनों को तबाह करने में दिख रहा है। पर्यावरण में हो रहे बदलाव के इन असर को हमें जरूर ध्यान में रखना चाहिए और इसके लिए आवाज उठाना चाहिए।
(अंजनी कुमार पत्रकार हैं।)
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