दबाव के आगे झुका केंद्र, सुप्रीम कोर्ट में कहा- फिलहाल नहीं हटेंगी रेलवे लाइन की झुग्गियां

नई दिल्‍ली। चौतरफा पड़ रहे दबाव के आगे आखिरकार केंद्र सरकार को झुकना पड़ा है। उसने रेल लाइन किनारे बसी झुग्गियों को गिराने से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राजधानी दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बसी झुग्गियों को फिलहाल नहीं हटाया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में केंद्र सरकार की तरफ से यह बात कही है। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि शहरी विकास मंत्रालय, रेल मंत्रालय और दिल्‍ली सरकार मिलकर चार हफ्तों में इस मसले का हल तलाशेंगी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बसाई गई झुग्गियों को तीन माह में हटाने का आदेश दिया था। इस फैसले के बाद तकरीबन 48 हजार झुग्गियां तोड़े जाने की तैयारी थी। पूरे देश में ही जस्टिस अरुण मिश्रा के फैसले की आलोचना हो रही है। दरअसल बेंच का यह फैसला एकतरफा था। इसमें न तो झुग्गीवासियों का पक्ष सुना गया था और न ही रिहाइश के मूलभूत अधिकार की परवाह की गई थी। यही नहीं उन्हें किसी और जगह बसाए बिना इस तरह से उजाड़ा जाना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में आए फैसलों के भी खिलाफ था।

अहम बात यह है है सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में झुग्गियों को हटाने के मामले में किसी भी अदालत को किसी तरह की रोक लगाने से भी रोका दिया था। बेंच ने कहा था कि रेल पटरियों के पास अतिक्रमण के संबंध में अगर कोई अंतरिम आदेश पारित किया जाता है तो वह प्रभावी नहीं होगा। यही नहीं राजनीतिक दलों की पैरवी पर भी अदालत रोक लगाई थी। जस्टिस अरुण मिश्रा के इस तरह के आदेश को नेचुरल जस्टिस के भी खिलाफ माना गया है।

माना जा रहा है कि रेलवे की कीमती जमीन को कॉरपोरेट को बेचने के लिए ही झुग्गियों को यहां से हटाया जा रहा है।  कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और सीपीआई-एमएल समेत कई राजनीतिक दल झुग्गियों को हटाने का विरोध भी कर रहे  हैं। कांग्रेस झुग्गी-झोपड़ियों को टूटने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट चली गई है। पार्टी का कहना है कि कोरोना काल में अगर झुग्गीवालों को बेघर किया गया तो बड़ी त्रासदी हो सकती है। वहीं, आम आदमी पार्टी नेता राघव चड्ढा ने तुगलकाबाद समेत कई इलाकों की झुग्गियों को हटाने संबंधी नोटिसों को फाड़ दिया था। सीपीआई-एमएल इस मामले में आज 14 सितंबर से शाम पांच बजे से 48 घंटे की भूख हड़ताल भी शुरू करने वाली है।

हर तरफ हो रहे विरोध के बाद केंद्र सरकार अब झुग्गियों को हटाने की अपनी मंशा से पीछे हट गई है। वरना कई इलाकों में दो दिनों के भीतर बस्ती खाली करने का नोटिस रेल प्रबंधन की तरफ से लगाया गया था। नारायणा विहार, आजादपुर शकूर बस्ती, मायापुरी, श्रीनिवासपुरी, आनंद पर्बत और ओखला में झुग्गियों में लगभग 2,40,000 लोग रहते हैं।

इन झुग्गियों में गरीब तबके के लोग बरसों से रह रहे हैं। हर झुग्गी में बिजली का कनेक्शन है। यहां के निवासियों के पास आधार कार्ड और राशन कार्ड भी हैं। केजरीवाल सरकार ने पिछले साल झुग्गीवासियों के लिए सामुदायिक शौचालय भी बनाए थे, ताकि कोई भी पटरी के किनारे शौच न करे।

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