मौजूदा मीडिया बेहद ध्रुवीकृत, तटस्थ थे पहले के पत्रकार: बॉम्बे हाईकोर्ट

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समाचार चैनलों को शर्मिंदा करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि मीडिया अब ‘अत्यधिक ध्रुवीकृत’ है, अतीत में पत्रकार ‘तटस्थ’ थे। खंडपीठ ने कहा कि समस्या यह है कि लोग सीमा रेखाओं को भूल जाते हैं। आप (मीडिया) सरकार की आलोचना करना चाहते हैं, करें। जो कुछ भी आप चाहते हैं, वह करें। सीमा रेखा के भीतर। वर्तमान कार्यवाही में, समस्या यह है कि किसी की मृत्यु हो गई है और आप पर आरोप लगाया गया है।

शुक्रवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए आया, तो ज़ी न्यूज़ के वकील अंकित लोहिया ने एक यूरोपीय संस्थान द्वारा लिखित एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें मीडिया पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ सिफारिश की गई थी। इस पर चीफ जस्टिस दत्ता ने कहा कि भारत में  कानून का शासन है। आप कैसे उनको प्रेस की स्वतंत्रता की आड़ में छिपा सकते हैं, जो दूसरों पर आरोप लगाते हैं? सीजे दत्ता ने टिप्पणी की कि हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि पत्रकार तब अधिक जिम्मेदार और तटस्थ थे। अब अधिकांश मीडिया अत्यधिक ध्रुवीकृत है।
खंडपीठ ने कहा कि मीडिया का अब अत्यधिक ‘‘ध्रुवीकरण’’ हो गया है और यह उसे नियंत्रित करने का नहीं बल्कि उसके काम में संतुलन कायम करने का सवाल है। लोग भूल जाते हैं कि रेखाएं कहां खींचनी हैं। सीमाओं में रहकर ऐसा किया जाये।’ अदालत ने कहा कि आप सरकार की आलोचना करना चाहते हैं, करें। मुद्दा यह है कि किसी की मौत हो गई है और आरोप है कि आप हस्तक्षेप कर रहे हैं।

इसके अलावा जस्टिस कुलकर्णी ने विधि आयोग की एक रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसने भारतीय मीडिया की विदेशों के मॉडलों के साथ तुलना करने के बाद, मीडिया द्वारा प्रयोग किए जाने वाले चेक और बैलेंस की आवश्यकता का सुझाव दिया था। इस पर लोहिया ने कहा कि मीडिया विनियमन के विरूद्ध नहीं है। उनकी दलीलों पर हस्तक्षेप करते हुए खंडपीठ ने कहा कि हम विनियमन की बात नहीं कर रहे हैं। आपको यह समझने की आवश्यकता है कि हम केवल चेक और बैलेंस होने की बात कर रहे हैं।
इसके अलावा, समाचार चैनलों जैसे न्यूज़ नेशन, इंडिया टीवी आदि ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ तालमेल रखने के लिए एक नियामक संस्था की आवश्यकता के खिलाफ संक्षिप्त दलीलें दीं। उनके तर्कों का मुख्य जोर यह था कि अगर मीडिया को राज्य के नियंत्रण में दिया जाता है, तो आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने यहां तक कि चीन और बांग्लादेश जैसे देशों के उदाहरण दिया, जिनका मीडिया पर पूरा नियंत्रण है और इसका परिणाम यह है कि ये देश मीडिया की स्वतंत्रता के मामले में निचले पायदान पर हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट इस पर बहस कर रहा है कि क्या टीवी समाचार सामग्री को नियंत्रित करने के लिए एक वैधानिक तंत्र की आवश्यकता है।

सूचना लीक करने से सीबीआई, ईडी, एनसीबी का इंकार

बॉम्बे हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि हम अपनी जिम्मेदारियों को जानते हैं और सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच से सम्बन्धित किसी भी एजेंसी द्वारा जानकारी लीक करने का कोई सवाल ही नहीं है। सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि जून में अभिनेता की आत्महत्या से संबंधित मामलों की जांच कर रहे सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) ने भी कोई सूचना लीक नहीं की थी।

सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि सभी तीनों केन्द्रीय एजेंसियों ने अदालत में हलफनामे दायर किये थे जिनमें कहा गया था कि उन्होंने जांच-संबंधी किसी भी जानकारी को लीक नहीं किया है। सिंह ने कहा कि हम अपनी जिम्मेदारियों को जानते हैं और किसी भी एजेंसी द्वारा जानकारी लीक करने का कोई सवाल ही नहीं है।

खंडपीठ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में मीडिया को अभिनेता की मौत की जांच से संबंधित उनकी कवरेज को नियंत्रित करने के निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया गया है। इससे पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि समाचार चैनल संवेदनशील जानकारी प्रसारित कर रहे हैं। इन याचिकाकर्ताओं में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों का एक समूह भी शामिल है।

याचिकाकर्ताओं ने पूछा था कि चैनलों को इस तरह की जानकारी कैसे मिल रही है।संभवतः जांच एजेंसियां उनकी स्रोत रही होंगी। मामले में पक्षकार केंद्र सरकार, राष्ट्रीय प्रसारण मानक प्राधिकरण और समाचार चैनलों ने कोर्ट को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक स्वनियामक तंत्र है। जनहित याचिका में दावा किया गया कि इस मामले की गंभीर जानकारी मीडिया में आने के बाद ध्रुवीकरण हो रहा है।

वर्तमान में सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो तीनों राजपूत की मौत के मामले से संबंधित विभिन्न कोणों से जांच कर रहे हैं, जो 14 जून को अपने बांद्रा अपार्टमेंट में मृत पाए गए थे। जब से इन तीनों केंद्रीय एजेंसियों ने जांच शुरू की तब से उन पर मामले की जानकारी मीडिया के साथ साझा करने के आरोप लग रहे हैं। सुनवाई अगले सप्ताह भी जारी रहेगी।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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