परिनिर्वाण दिवस पर माले ने लिया जातीय उन्मूलन और नये भारत के निर्माण का संकल्प

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लखनऊ/पटना। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने डॉ. बी आर अम्बेडकर के 65वें परिनिर्वाण दिवस पर सोमवार को यहां हजरतगंज चौराहा स्थित बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। आज के दिन को पार्टी ने पूरे प्रदेश में साम्प्रदायिकता-विरोधी दिवस के रूप में मनाया।

माल्यार्पण के बाद उपस्थित कायकर्ताओं को संबोधित करते हुए माले महासचिव ने कहा कि डॉ. अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस पर हम जाति उन्मूलन एवं आधुनिक भारत के निर्माण का संकल्प लेते हैं। आज ही के दिन को फासीवादी ताकतों ने संविधान पर हमला करने के लिए चुना और बाबरी मस्जिद को शहीद किया था। यह दिन संविधान के समक्ष उपस्थित सभी मुश्किलों को हटाकर लोकतंत्र, बराबरी, धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए संकल्प लेने का है।

उन्होंने कहा कि संविधान दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संविधान में अधिकारों पर ज्यादा जोर दिया गया है जो कि ठीक नहीं है और हमें कर्तव्य पालन पर जोर देना चाहिए। का. दीपंकर ने कहा कि यह संविधान की बिल्कुल उलट व्याख्या है और उसे सिर के बल खड़ा करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि संविधान का मतलब लोकतंत्र और अधिकारों की गारंटी से है, लेकिन फासीवादी निजाम लगातार उस पर हमले कर रहा है। इसीलिए मोदी जी अधिकारों के बजाय कर्तव्य पर जोर देना चाहते हैं। माले नेता ने आह्वान किया कि आदिवासी, दलित और महिलाएं मिलकर अंबेडकर के सपनों के भारत के निर्माण के लिए संघर्ष को तेज करें और फासीवाद को शिकस्त दें। उन्होंने नारा दिया कि फासीवाद का नाश हो,अमन इंसाफ का राज हो।

महासचिव के साथ पोलितब्यूरो सदस्य कामरेड रामजी राय, माले राज्य सचिव सुधाकर यादव, अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण सभा (खेग्रामस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, लखनऊ प्रभारी रमेश सिंह सेंगर, ऐपवा राज्य उपाध्यक्ष मीना आदि ने अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

इसी तरह से बाबरी मस्जिद की शहादत और संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर के स्मृति दिवस पर आज राजधानी पटना सहित राज्य के तमाम जिला मुख्यालयों में सांप्रदायिकता विरोधी मार्च निकाला गया। राजधानी पटना में देश की गंगा-जमुनी तहजीब को बचाने तथा देश में उन्माद-उत्पात की राजनीति, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, काशी-मथुरा को अयोध्या बनाने व संविधान बदलने की साजिश के खिलाफथ जीपीओ गोलबंर से मार्च निकला, जो स्टेशन गोलबंर होते हुए बुद्धा स्मृति पार्क पहुंचा और फिर वहां एक सभा आयोजित की गई।

मार्च का नेतृत्व भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य व खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, वरिष्ठ किसान नेता केडी यादव, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, अरवल विधायक महानंद सिंह, पटना महानगर के सचिव अभ्युदय आदि नेताओं ने किया।

माले नेताओं ने अपने संबोधन में कहा कि 6 दिसंबर का दिन भाजपा व आरएसएस के लोगों ने बाबरी मस्जिद को ढाहने के लिए जानबूझकर चुना था। यह दिन संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है। इसका साफ मतलब है कि उन्होंने न केवल मस्जिद पर हमला किया था बल्कि संविधान पर भी हमला किया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाबरी मस्जिद ढाहने वाली फासीवादी ताकतों को कोई सजा नहीं मिली। ऐसी ताकतों को देश की जनता ही सबक सिखाएगी।

नेताओं ने आगे कहा कि आज भाजपा व आरएसएस के द्वारा न केवल देश की गंगा जमुनी तहजीब पर हमला है, बल्कि संविधान, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता सब के सब खतरे में हैं। समाजवाद को भी संविधान से हटाने के प्रयास चल रहे हैं। भाजपा के लोग दरअसल मनुस्मृति को ही संविधान बनाने पर तुले हुए हैं, जो भी हमें अधिकार हासिल थे, उसमें लगातार कटौती करके देश में तानाशाही स्थापित करने की कोशिशें की जा रही हैं। भाकपा-माले भाजपा व संघ द्वारा देश में उन्माद-उत्पात की राजनीति को बढ़ावा देने, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, काशी-मथुरा को अयोध्या बनाने और संविधान को बदल डालने की कोशिशों के खिलाफ निरंतर सड़कों पर संघर्ष करती रहेगी।

लेकिन हर कोई जानता है कि देश की आजादी की लड़ाई में हिंदू-मुसलमानों ने एक साथ मिलकर लड़ाई लड़ी। वे आरएसएस के लोग थे जिन्होंने आजादी के आंदोलन से विश्वासघात किया और आज सत्ता में बैठकर इतिहास को ही पलट देने की कोशिश कर रहे हैं। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन ने यह साबित किया है कि आज भी देश के हिंदू-मुसलमान सब एक साथ इस फासीवादी हुकूमत से लड़ रहे हैं और देश में मनुस्मृति थोपने की उनकी साजिश नहीं चलने वाली है। उन्होंने देश की जनता से आजादी के आंदोलन के गर्भ से निर्मित मूल्यों व सपनों की हिफाजत के लिए निर्णायक संघर्ष का आह्वान किया।
आज के कार्यक्रम में उपर्युक्त नेताओं के अलावा एआईपीएफ के कमलेश शर्मा, इंसाफ मंच की आसमां खां, कोरस की समता राय, आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार, राज्य अध्यक्ष विकास कुमार, इनौस के राज्य सचिव सुधीर कुमार, नवीन कुमार, मुर्तजा अली, नसीम अंसारी, मुर्तजा अली, पुनीत पाठक, विनय कुमार सहित बड़ी संख्या में छात्र-नौजवान शामिल थे।

पटना के अलावा पश्चिम चंपारण के बेतिया, बक्सर के डुमरांव, दरभंगा, अरवल, आरा, समस्तीपुर, रोहतास, मसौढ़ी आदि जगहों पर सांप्रदायिकता विरोधी मार्च निकाला गया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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