punjab shaheen bagh

पंजाब से सैकड़ों लोग समर्थन को शाहीन बाग के लिए रवाना, महिलाएं और छोटे बच्चे भी साथ

विभिन्न जन आंदोलनों में बढ़-चढ़कर शिरकत करने वाले पंजाब के मालवा इलाके के सैकड़ों लोग छह बसों में सवार होकर शाहीन बाग के आंदोलनकारियों की हिमायत के लिए खासतौर पर दिल्ली गए हैं। यह काफिला मंगलवार की रात बठिंडा से दिल्ली के लिए चला है। इसमें बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी हैं।

भारतीय किसान यूनियन, पंजाब खेत मजदूर यूनियन और नौजवान भारत सभा की संयुक्त अगुवाई में यह जत्था रवाना हुआ है। बसों का बंदोबस्त भी इन्हीं संगठनों ने अपने चंदे की मद से किया है। जिन्हें बसों में जगह नहीं मिली, वे ट्रेन के जरिए गए हैं।

खास बात यह है कि पंजाब से दिल्ली जाने वाले लोग वहां संघर्ष कर रहे लोगों के लिए लंगर की रसद लेकर गए हैं। आटा, चीनी, सब्जियों और चावल की यह रसद बड़े पैमाने पर गांवों से इकट्ठा की गई है। लंगर पंजाब की पुरानी रिवायत है। काफिले के साथ जा रहे नजर सिंह ने बताया कि वह वहां पूरा लंगर लगाएंगे और कई दिन का राशन साथ लेकर जा रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक शाहीन बाग और दिल्ली में अन्य जगहों पर सरकारी अत्याचारों के खिलाफ जारी आंदोलनों में शिरकत के लिए बठिंडा, मानसा, बरनाला, संगरूर, फरीदकोट और मोगा के गांवों से महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और नौजवान दिल्ली गए हैं। पंजाब के इन जिलों के गांवों के लोगों के लहू में आंदोलन अथवा संघर्ष का लहू बहता है-ऐसा माना जाता है।

किसान नेता शिंगारा सिंह मान कहते हैं कि पंजाब इन दिनों हर किस्म की सरकारी ज्यादती के खिलाफ शिद्दत के साथ आवाज उठा रहा है, सो हमने फैसला किया कि क्यों न अपने अधिकारों के लिए राष्ट्रीय राजधानी में लड़ रहे लोगों के पास जाकर कंधे से कंधा मिलाया जाए। जबकि नौजवान महिला नेता हरिंदर बिंदु के अनुसार शाहीन बाग में बैठी औरतों के साथ पंजाब की औरतें भी चट्टान की मानिंद खड़ी हैं। इसी अहसास को साझा करने हम दिल्ली जा रहे हैं। हमें नहीं मालूम कि हमारे पहुंचने तक वहां हालात क्या होंगे, लेकिन हम इस लड़ाई में साथ देने का जज्बा जरूर वहां जाकर जाहिर करना चाहते हैं।

बठिंडा के गांव कोठा गुरु की रहने वाली बुजुर्ग महिला मालण कौर वहां जाकर नारा लगाना चाहती हैं, “तुम बाग में हम पंजाब में!” एक जन आंदोलन के सिलसिले में मालण कौर को फरीदकोट जेल में 13 दिन और बठिंडा जेल में 19 दिन सलाखों के पीछे रहना पड़ा था।

गांव लहरा धूरकोट की बाहरवीं जमात की छात्रा अमनदीप कौर ने कहा कि वह जेएनयू छात्र संघ को समर्थन देने जा रही हैं। संघर्षरत छात्रों को वह पंजाब की तरफ से भरोसा देंगी। अमनदीप कौर के साथ कई अन्य छात्राएं भी जोशीले नारे लगाते हुए बसों में सवार हुईं। यह वही अमनदीप कौर हैं जिसने रामपुरा पुलिस स्टेशन के आगे 26 दिन लगातार धरना दिया था, ताकि खुदकुशी के मामले में उसके पिता को इंसाफ मिल सके। दिल्ली गए काफिले में 12 साल का बच्चा अदीब भी शामिल है।

अदीब रामपुरा फूल के सर्वहितकारी स्कूल में सातवीं कक्षा का छात्र है और बखूबी समझता है कि आज देश में क्या हालात हैं और किस वजह से हैं। फरीदकोट जिले के गांव सेवेवाला के नौजवान रविंदर सिंह के अनुसार एकदम साफ है कि तय रणनीति के तहत हुकूमत मुसलमानों को निशाना बना रही है। जो आज उनके साथ हो रहा है, कल पंजाब में भी दोहराया जा सकता है।

पंजाब से दिल्ली गए इस काफिले में रामपुरा फूल के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता लोक बंधु भी हैं, जिनका यूट्यूब पर गाया गीत ‘बोल के लब आज़ाद हैं तेरे’ काफी मकबूल हुआ है।

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