इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार से पूछा- आखिर ओपीडी क्यों बंद की?

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लखनऊ/ प्रयागराज। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने योगी सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि आखिर कोविड 19 महामारी के दौरान सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी क्यों बंद की गयी? 

याचिका में आईपीएफ ने उत्तर प्रदेश में सरकारी व निजी अस्पतालों की ओपीडी और आईपीडी को खोलने, कोविड-19 के इलाज की अलग से व्यवस्था करने और कोरोना योद्धा डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को सुरक्षा उपकरण देने के लिए आदेश की मांग की है। 

याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की एकल पीठ ने आज सरकार से जवाब तलब किया है और बृहस्पतिवार तक अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट में आईपीएफ की तरफ से अधिवक्ता प्रांजल शुक्ला ने अपना पक्ष रखा। 

ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी ने इसे जनता की जीत बताते हुए कहा कि एक ऐसे दौर में जब उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के इस संकटकालीन परिस्थिति में सरकार की तरफ से स्वास्थ्य को लेकर बड़ी-बड़ी बयानबाजी की जा रही हो और जमीनी स्तर पर लोग इलाज के अभाव में मर रहे हों।तब हाई कोर्ट द्वारा सरकार से जवाब तलब करना राहत भरी पहल है। 

उन्होंने कहा कि हमने उत्तर प्रदेश सरकार के सरकारी व निजी अस्पतालों को बंद करने के निर्देश को हाईकोर्ट के संज्ञान में लाने का काम किया है। साथ ही लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, आजमगढ़, बस्ती,  सोनभद्र, चंदौली समेत पूरे प्रदेश की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था से अवगत कराया है। 

याचिका में कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 21 और 47 हमें जीने और स्वास्थ्य का अधिकार देता है। तथा सरकार का यह कर्तव्य है कि वह हर नागरिक के इस अधिकार को पूरा करे। हाईकोर्ट से अपील की गई है कि बार-बार पत्रक देने के बावजूद सरकार की तरफ से अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसे में न्याय पाने के लिए आपका दरवाजा खटखटाने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं है और न्यायालय से लोगों की जिंदगी की रक्षा के लिए आदेश देने की अपील की गई है।

साथ ही इस याचिका में यह भी कहा गया कि कोविड-19 अब हमारी जिंदगी का हिस्सा हो गया है। लिहाजा इसके लिए एक अलग स्वास्थ्य व्यवस्था निर्मित की जानी चाहिए। 

याचिका में स्वास्थ्य कर्मियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप पीपीई किट समेत स्वास्थ्य उपकरण न देने के प्रश्न को भी उठाया गया है। यह भी संज्ञान में लाया गया है कि भाजपा व संघ के नेताओं द्वारा डॉक्टरों के ऊपर हमले हुए और सरकार की बड़ी-बड़ी बातों के बावजूद आज तक हमलावरों की गिरफ्तारी नहीं की गई।

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