वडोदरा: मुस्लिम महिला के फ्लैट आवंटन का सोसाइटी के निवासी ही कर रहे हैं विरोध 

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नई दिल्ली। वडोदरा में उद्यमिता और कौशल विकास मंत्रालय में काम करने वाली एक मुस्लिम महिला को जब वडोदरा म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की ओर से बनाए गए कम आय समूह वाली एक सोसाइटी में मुख्यमंत्री आवास योजना 2017 के तहत फ्लैट मिला तो वह बेहद खुश हुई। उसको लगा कि वह एक समावेशी समाज वाली सोसाइटी में रहेगी और उसका बच्चा भी एक खुले और स्वतंत्र माहौल में विकसित होगा। लेकिन 462 यूनिट वाली इस सोसाइटी में जाने से पहले ही सोसाइटी के 33 लोगों ने जिला कलेक्टर और दूसरे जिम्मेदार विभागों को उसके खिलाफ शिकायत कर दी। उनका कहना था कि एक मुस्लिम परिवार के सोसाइटी में आने से खतरे और बेवजह की दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। अधिकारियों का कहना है कि आवंटियों में वह अकेली मुस्लिम है।

इस मसले पर जब इंडियन एक्सप्रेस ने वडोदरा म्यूनिसिपल कमिश्नर दिलीप राना से संपर्क करने की कोशिश की तो वह उपलब्ध नहीं थे। डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर अर्पित सागर और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर नीलेश कुमार परमार ने इस पर अपनी कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया।

44 वर्षीय महिला ने बताया कि विरोध प्रदर्शन सबसे पहले 2020 में शुरू हुआ जब वहां के निवासियों ने सीएमओ को पत्र लिखा। जिसमें महिला के फ्लैट आवंटन को रद्द करने की मांग की गयी थी। हालांकि हरनी पुलिस स्टेशन ने तब सभी संबंधित पक्षों का बयान दर्ज कर लिया था और शिकायत को बंद कर दिया था। और अब उसी मसले पर 10 जून को विरोध प्रदर्शन हुआ है।

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मैं वडोदरा में मिली-जुली सामाजिक स्थितियों में पली बढ़ी हूं। और मेरा परिवार कभी घेटो की अवरधारणा में विश्वास नहीं करता था….मैं हमेशा चाहती थी कि मेरा बेटा एक समावेशी पड़ोसियों के साथ बड़ा हो लेकिन मेरे सपने पर पानी फिर गया क्योंकि अब छह साल होने को आ गए लेकिन मैं जिस विरोध का सामना कर रही हूं उसका कोई समाधान नहीं दिख रहा है। मेरा बेटा अब कक्षा 12 में पढ़ता है। और जो चीजें हो रही हैं उनको समझने में भी सक्षम है। यह भेदभाव उसको मानसिक तौर पर प्रभावित करेगा।

इसे सार्वजनिक हित में दिया गया आवेदन कहकर हस्ताक्षर करने वाले 33 बाशिंदों ने शिकायत को जिला कलेक्टर, मेयर, वीएमसी कमिश्नर और वडोदरा के पुलिस कमिश्नर को सौंपा है। और इन सभी से महिला के फ्लैट आवंटन को रद्द करने की मांग की है।इसके साथ ही लाभार्थी को किसी और हाउसिंग स्कीम में शिफ्ट करने की सलाह दी है।

मोटनाथ रेजिडेंसी कोआपरेटिव हाउसिंग सर्विसेज सोसाइटी लिमिटेड ने अपने आवेदन में कहा है कि वीएमसी ने मकान नंबर k204 को मार्च 2019 में एक अल्पसंख्यक लाभार्थी को आवंटित किया।…हम ऐसा मानते हैं कि हरनी इलाका हिंदू प्रभुत्व वाला शांतिपूर्ण इलाका है। और उसके आस-पास चार किमी के इलाके में मुसलमानों की कोई बस्ती नहीं है।…यह ऐसा ही है जैसे 461 परिवारों के शांतिपूर्ण जीवन में आग लगाना….

कालोनी के निवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर मुस्लिम परिवार को आने की इजाजत दी जाती है तो वहां कानून और व्यवस्था की स्थिति खड़ी हो जाएगी। हस्ताक्षर करने वाले एक शख्स ने कहा कि यह वीएमसी की गलती है उन्होंने लाभार्थी के ब्योरे को चेक नहीं किया। इस बात को लेकर आम सहमति है कि हम लोगों ने मकान यहां इसलिए बुक कराए क्योंकि यहां सभी पड़ोसी हिंदू थे और हम दूसरे धर्मों और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों का कॉलोनी में रहना पसंद नहीं करते हैं। यह दोनों पक्षों की सुविधा के लिए जरूरी है।

लाभार्थी के एक बिल्कुल पड़ोसी ने कहा कि हालांकि कालोनी में ढेर सारे दूसरे परिवार निरामिष हैं लेकिन दूसरे धार्मिक पहचान का विचार ही निवासियों के दिमाग में विस्फोट पैदा कर देता है। एक शख्स जो अपनी पहचान को नहीं जाहिर करना चाहता था ने कहा कि एक अल्पसंख्यक परिवार हमारा पड़ोसी हो इस पर हम सहज महसूस नहीं कर पाते हैं….यह केवल खान-पान का मसला नहीं है बल्कि पूरा माहौल ही अलग हो जाता है।

महिला मौजूदा समय में अपने माता-पिता के साथ रहती है और बेटा वडोदरा के एक दूसरे इलाके में रहता है। केवल विरोध के कारण मैं मेहनत से कमाई गयी अपनी संपत्ति को नहीं बेचना चाहती हूं। मैं प्रतीक्षा करूंगी….कॉलोनी की मैनेजिंग कमेटी से मैंने लगातार समय लेने की कोशिश की लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आता है। दो दिन पहले अपने इस विरोध को उन्होंने सार्वजनिक किया है। उन्होंने मुझसे मेंटिनेंस के बकाये के लिए फोन किया था।

मैंने उनसे कहा कि मैं उसे अदा करने के लिए तैयार हूं अगर वो शेयर सर्टिफिकेट मुहैया कराते हैं जिसको कि अभी तक उन्होंने मुझे नहीं दिया है। निवासियों से वीएमसी ने पहले ही एकमुश्त मेंटिनेंस चार्ज के तौर पर 50000 रुपये जमा करा लिए हैं। जिसे मैंने पहले ही अदा कर दिया है। मैं इस बात को लेकर अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची हूं कि क्या मैं कानूनी रास्ता अख्तियार करूंगी क्योंकि सरकार ने मुझे हाउसिंग कालोनी में रहने से मना नहीं किया है।

हालांकि कालोनी के एक और शख्स ने लाभार्थी के प्रति सद्भाव जताया। उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल गलत है। वह सरकारी योजना की लाभार्थी हैं और कानूनी प्रावधानों के तहत उन्हें फ्लैट आवंटित हुआ है…निवासियों की चिंताएं जायज हो सकती हैं। लेकिन बगैर संपर्क किए ही लोगों के बारे में फैसला सुना दे रहे हैं। 

वीएमसी के अधिकारियों ने कहा कि क्योंकि सरकारी योजनाएं आवेदकों और लाभार्थियों को धर्म के आधार पर नहीं बांटती हैं। हाउसिंग ड्रा पूरे नियमों का पालन करते हुए आयोजित किया गया था। यह एक ऐसा मामला है जिसे दोनों पक्षों को मिलकर हल करना चाहिए या फिर उसके लिए कोई उचित सक्षम अदालत की तलाश की जानी चाहिए।

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