झारखंड में अमित शाह पर नफरती भाषण का आरोप, मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिख शिकायत

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केंद्रीय गृह मंत्री एवं भाजपा के स्टार प्रचारक अमित शाह द्वारा 10 मई, 2024 को झारखंड के खूंटी में अपने चुनावी भाषण में मुसलमानों के विरुद्ध नफरत फैलाने, झूठी बातों का प्रचार करने और धार्मिक ध्रुवीकरण कर वोट मांगने को लेकर लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को ई-मेल द्वारा शिकायत पत्र भेजकर अमित शाह के विरुद्ध आदर्श आचार संहिता व लोक प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन के लिए कार्यवाही की मांग की है।

गौरतलब है कि पिछले 3-4 मई को झारखंड के चाईबासा, पलामू, लोहरदगा और गुमला में चुनावी रैलियों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में आदर्श आचार संहिता और लोक प्रतिनिधित्व क़ानून का व्यापक उल्लंघन किया और मुसलमानों को टारगेट करते हुए नफरती भाषण दिए। जिसके खिलाफ लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान का एक प्रतिनिधिमंडल ने 6 मई को झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार से मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की थी।

11 मई को लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी झारखंड, रांची को भेजे गए अपने पत्र में आरोप लगाया है कि अमित शाह अपने चुनावी भाषण में राम मंदिर के नाम पर भाजपा के लिए वोट मांगे एवं सभा के अंत में ‘जय श्री राम’ का धार्मिक नारा लगवाया। साथ ही, उन्होंने मुसलमानों को ‘घुसपैठी’ बोल के कई बार इंगित किया। उन्होंने तथ्यविहीन बातों के आधार पर आदिवासियों में मुसलमानों के विरुद्ध धार्मिक द्वेष पैदा करने की कोशिश की और इसके आधार पर अपनी पार्टी के लिए वोट मांगे। जैसे, “घुसपैठी आदिवासियों के ज़मीन पर कब्ज़ा करते हैं, गांव में बस्तियां बनाते हैं, आदिवासी लड़कियों से चुपके से शादी करते हैं” आदि आदि। उन्होंने मुसलमानों को अन्य समुदायों का दुश्मन दिखाने की कोशिश की और धार्मिक द्वेष पैदा करने की कोशिश की।



अभियान ने अपने पत्र में लिखा है कि यह आचार संहिता के पहले ही खंड का उल्लंघन है, जो सभी दलों व प्रत्याशियों को कोई भी ऐसी गतिविधि से प्रतिबंधित करता है, जिससे “विभिन्न जातियों व समुदायों (धार्मिक या भाषा-आधारित) के बीच तनाव या नफ़रत पैदा हो या उनके बीच के मतभेद और बढ़ जाए”। यह लोक प्रतिनिधित्व क़ानून की धारा 3(A) का भी उल्लंघन है, जो किसी भी प्रत्याशी को “भारत के नागरिकों के बीच धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर नफ़रत या दुश्मनी की भावनाओं को बढ़ाने” से बाधित करती है। धर्म के नाम पर वोट मांगना भी आचार संहिता साफ़ उल्लंघन है। साथ ही, यह IPC की धारा 153 (A), 295 (A) of 505 (1) (b) व (c) 505 (2) के तहत नफरती भाषण है। सर्वोच्च न्यायालय ने कई बार स्पष्ट आदेश दिया है कि नफरती भाषण के लिए वक्ता के विरुद्ध suo motu प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए।

अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से अमित शाह के विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाई की मांग की है। अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को यह भी याद दिलाया है कि 3-4 मई को प्रधान मंत्री मोदी द्वारा राज्य के तीन स्थानों पर ऐसे ही भाषण दिए गए एवं उसके विरुद्ध भी शिकायत की गयी थी। लेकिन न उनपर कार्यवाई हुई और न आयोग इस मुद्दे पर सख्त हुआ। अगर चुनाव आयोग अपनी ज़िम्मेवारियों का ईमानदारी से पालन करे, तो बार-बार आचार संहिता, लोक प्रतिनिधित्व कानून और संविधान का ऐसा खुला मज़ाक नहीं बनेगा।

अभियान ने अमित शाह के भाषण के कुछ भाग को उद्धृत करते हुए बताया कि अमित ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए था या नहीं? ज़ोर से बोलिए… कांग्रेस पार्टी, झामुमो 70-70 सालों से राम मंदिर को अटका के रखे, लटका के रखे, भटका कर रखे।

झारखंड वालों आपने मोदी जी को दूसरी बार प्रधानमंत्री बनाया… 5 ही साल में केस भी जीता, भूमि पूजन भी किया और 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा करके जय श्री राम कर दिया। और भाइयों और बहनों, जब प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, राहुल बाबा को निमंत्रण दिया गया, वो नहीं आये। आपको मालूम है क्यों नहीं आएं? वो अपने वोट बैंक से डरते हैं। उनका वोट बैंक आप नहीं हो। उनका वोट बैंक- जो घुसपैठ करके आदिवासी की ज़मीन कब्जाते हैं, बस्तियां बनाते हैं, वो उनकी वोट बैंक हैं। पूरे झारखंड के अन्दर आदिवासी भाइयों और बहनों को मालूम पड़े या न पड़े, सबसे बड़े खतरा हैं ये घुसपैठी। आज गावों में बस्तियां बना रहे हैं, आदिवासी बेटियों से चुपके चुपके शादियां करते हैं। इनको अगर कोई रोक सकता है, तो भारतीय जनता पार्टी रोक सकती है और कोई नहीं रोक सकता है। खूंटी वालों, इन घुसपैठियों को रोकना चाहिए या नहीं चाहिए, इन्हें केवल और केवल नरेन्द्र मोदी रोक सकते हैं, मेरे साथ दोनों हाथ उठाइए उठाइए दोनों हाथ… विजय के संकल्प की मुठ्ठी कीजिये और प्रचंड आवाज़ में बोलिए… जय श्री राम… जय जय श्री राम।

( झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)

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