पंजाब के लोग अब रफ्ता-रफ्ता यकीन-सा करने लगे हैं कि अलगाववादी संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया अमृतपाल सिंह पंजाब से बाहर जा चुका है। पहले एक बड़ा तबका मानता था कि वह सूबे में ही कहीं पनाह लिए हुए है या फिर राज्य पुलिस की हिरासत में है।
हाईकोर्ट में फटकार खाते हुए पुलिस कह चुकी है कि अमृतपाल उसकी हिरासत में नहीं है और फरार है। अब उसके हरियाणा या उत्तराखंड में छिपे होने के सुराग मिल रहे हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के शाहबाद मारकंडा में 23 मार्च को अमृतपाल सिंह को पनाह देने के आरोप में दो गिरफ्तारियां हुईं।
जानकारी के मुताबिक उसने शाहाबाद मारकंडा की सिद्धार्थ कॉलोनी के घर में पनाह ली थी। कुरुक्षेत्र के पुलिस प्रमुख सुरेंद्र सिंह भौरिया के अनुसार हरियाणा पुलिस ने शाहाबाद से बलजीत कौर नामक महिला को गिरफ्त में लेकर जांच के लिए पंजाब पुलिस के हवाले कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक हरियाणा एसटीएफ अमृतपाल सिंह के शाहाबाद में छिपे होने का खुलासा कर पंजाब पुलिस को इसकी सूचना दी।
वहां के एक पत्रकार बताते हैं कि हरियाणा व पंजाब पुलिस की कई टीमें सिद्धार्थ कॉलोनी के आसपास की सभी कालोनियों में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाल रही हैं। गिरफ्तार महिला बलजीत कौर के भाई हरजिंदर सिंह ने भी आत्मसमर्पण कर दिया है।
हालांकि शाहबाद के डीएसपी रणधीर सिंह ने इस सवाल पर खामोशी अख्तियार कर ली। बताया जाता है कि हरजिंदर सिंह ने कुरुक्षेत्र उपायुक्त के सामने आत्मसमर्पण किया है। ‘ऑपरेशन अमृतपाल सिंह खालसा’ में शामिल पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अब अमृतपाल सिंह हरियाणा भी छोड़ चुका है।
इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि आठ जिलों की पुलिस के लगभग 4000 पुलिसकर्मी, केंद्रीय सुरक्षा बलों के 1400 जवान उसकी घेराबंदी किए हुए थे, जगह-जगह नाकाबंदी थी और राज्य की सीमाएं पूरी तरह सख्ती के साथ ‘सील’ किए जाने के दावे किए जा रहे थे फिर भी वह कैसे बच निकला? क्या इसे समूचे पुलिस तंत्र की नाकामी नहीं माना जाए? और साथ ही केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की भी।
यहीं कुछ और सवाल मौंजू हैं। पंजाब पुलिस सूबे में बड़े पैमाने पर धरपकड़ कर रही है। बेशक तस्दीक के तौर पर 207 लोगों की गिरफ्तारियां जगजाहिर की गई हैं। इनमें से कुछ पर रासुका लगाकर असम भेज दिया गया है। 30 व्यक्तियों के खिलाफ फौजदारी मुकदमें दर्ज करके उन्हें ‘गुप्त ठिकानों’ पर रखकर पूछताछ की जा रही है। आधिकारिक सूचना के मुताबिक 177 लोगों को धारा 107 और 151 के तहत हिरासत में लिया गया है।
पुलिस की ओर से मुहैया इस जानकारी के विपरीत यह माना जा रहा है कि ‘ऑपरेशन अमृतपाल सिंह खालसा’ में गिरफ्तार लोगों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। इनमें से ज्यादातर नौजवान हैं। कइयों के अभिभावक उनकी रिहाई के लिए अदालतों तक भी जा रहे हैं।
बेशक मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के हवाले से आईजी (मुख्यालय) सुखचैन सिंह गिल कहते हैं कि अमृतपाल सिंह मामले में किसी भी बेगुनाह के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी। हिरासत में लिए गए लोगों को पड़ताल के बाद छोड़ दिया जाएगा। पुलिस खुद मानती है कि बेशुमार नाबालिगों को भी हिरासत में लिया गया। गिल ने बताया कि इनमें से 30 नाबालिगों को छोड़ दिया गया है।
‘ऑपरेशन अमृतपाल सिंह खालसा’ बीते शनिवार से जारी है। यानी लगभग एक हफ्ते से। समूचा पंजाब पुलिस छावनी में तब्दील है। स्थानीय पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल पूरी तरह हथियारबंद होकर फ्लैग मार्च निकाल रहे हैं। शहरों से लेकर गांवों तक व्यापक तलाशी अभियान चल रहा है। तीन दिन इंटरनेट सेवाओं को स्थगित रखा गया और कुछ जिलों में अभी भी स्थगित हैं। भ्रम की स्थिति कायम है। लोगों को 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार का वक्त याद आ रहा है।
पंजाब लोक मोर्चा के संयोजक और विश्वविख्यात देश भक्त यादगार हाल के ट्रस्टी अमोलक सिंह कहते हैं, “पहले सरकारें समस्या पैदा करती हैं, फिर उन्हें हल करने का दावा किया जाता है लेकिन हल किया नहीं जाता। अमृतपाल सिंह के मामले में भी यही हो रहा है। 84 के दौर में जरनैल सिंह भिंडरांवाले के मामले में भी यही हुआ था।”
अवाम यह भी पूछ रहा है कि अमृतपाल सिंह खालसा ने जब अलगाववादी देश खालिस्तान के लिए बकायदा मुहिम शुरू की तो राज्य और केंद्र की खुफिया एजेंसियां क्यों सुध नहीं ले पाईं? पंजाब की पाकिस्तान से सटी सीमा के इलाके से अमृतपाल सिंह की गतिविधियां परवान चढ़ना शुरू हुई थीं। यानी उस इलाके से जिसे संवेदनशील माना जाता है और ‘अतिरिक्त सावधानी’ बरती जाती है।
अजनाला कांड के बाद साफ हो गया था कि यह शख्स भस्मासुर बनता जा रहा है लेकिन पंजाब और केंद्र ने उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए इतना लंबा इंतजार क्यों किया?
यह ताजा जानकारी भी चौंकाने वाली है कि कुख्यात पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से अमृतपाल सिंह खालसा ने अपने गांव जल्लूखेड़ा में फायरिंग रेंज भी बनाई थी, जहां युवकों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। यह खुलासा अमृतपाल के बॉडीगार्ड तजिंदर सिंह के मोबाइल से मिले वीडियो और फोटो से हुआ है। तजिंदर सिंह अब गिरफ्तार है।
बताया जाता है कि अमृतपाल ने फायरिंग रेंज में हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी दो पूर्व सैनिकों को दे रखी थी। इनकी शिनाख्त वरिंदर सिंह और तलविंदर सिंह के तौर पर हुई है। वरिंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि तलविंदर सिंह की तलाश में छापेमारी हो रही है। इन दोनों पूर्व सैनिकों के पास शस्त्र लाइसेंस थे; जिन्हें तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है।
पुलिस सूत्र दोहराते हैं कि अमृतपाल सिंह खालसा को आईएसआई का खुला संरक्षण हासिल था। वह उसी के दिशा-निर्देश पर नशा करने वालों और पूर्व सैनिकों का ब्रेनवाश कर उन्हें आतंकी गतिविधियों में शामिल कर रहा था। दुबई से पंजाब आने के बाद उसने अपने पैतृक गांव जल्लूपुरखेड़ा में एक नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किया और इसके साथ ही ऐसे पूर्व सैनिकों की तलाश शुरू कर दी जो नौजवानों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दे सकें।
इसी के तहत वरिंदर सिंह और तजिंदर सिंह उसकी मुहिम में शामिल हो गए। दोनों ने अमृतपाल सिंह के नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देनी शुरू की। इसके लिए मानव बम बनकर मारे गए आतंकवादी दिलावर सिंह को प्रेरणास्रोत के तौर पर युवकों के सामने रखा गया। गौरतलब है कि मानव बम बनकर दिलावर सिंह ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी।
अमृतपाल सिंह ने जब ‘वारिस पंजाब दे’ की कमान संभाली तो उस वक्त उसके पास सिर्फ दो बॉडीगार्ड थे। धीरे-धीरे इसमें इजाफा होता चला गया। सरकार बेखबर रही या जानबूझकर अनदेखा किया, कहा नहीं जा सकता। सन 2023 की शुरुआत में उसके इर्द-गिर्द 16 हथियारबंद बॉडीगार्ड रहने लगे। इनमें से सात वे युवा थे, जो अमृतपाल सिंह के नशा मुक्ति केंद्र में नशा छुड़ाने के लिए भर्ती हुए थे।
इस बीच अमृतपाल का पासपोर्ट भी उसके घर से गायब है। हासिल जानकारी के मुताबिक बीते दिन पुलिस अधिकारी उसके घर पहुंचे और उसका पासपोर्ट मांगा लेकिन पुलिस को बताया गया कि अमृतपाल सिंह खालसा का पासपोर्ट घर में नहीं है।
(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट)
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