पूरा देश नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में सुलग रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ऐसे बयान दे रहे हैं जिनकी काट सरकारी दस्तावेजों में ही माजूद है। सीएए के साथ एनआरसी पर धरना, बवाल अभी भी देश भर में चल रहा है लेकिन केंद्र सरकार ने एनपीआर यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर लेन की सार्वजनिक घोषणा कर दी है।
मंगलवार को ही कैबिनेट ने एनपीआर अपडेट करने को मंजूरी दी है। इसके लिए 3941.35 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। कई टीवी चैनलों में गृह मंत्री अमित शाह का इंटरव्यू प्रसारित हुआ है। इसमें गृह मंत्री ने साफ दावा किया है कि एनपीआर और एनआरसी का कोई संबंध नहीं है, लेकिन गृह मंत्री शाह के इस दावे को उन्हीं के गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2018-2019 खारिज करती है। रिपोर्ट में बिंदु 15.1 (i4ivi) में साफ तौर पर लिखा गया है कि एनपीआर एनआरसी लागू करने की दिशा में उठाया गया पहला कदम होगा।
इस रिपोर्ट में लिखा गया है, “नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर), नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन (एनआरसी) को कानून के प्रावधानों के तहत लागू करने की दिशा में पहला कदम होगा।”

अमित शाह ने साक्षात्कार में कहा कि एनआरसी और एनपीआर का एक-दूसरे के साथ कोई भी संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि एनपीआर का गलत प्रचार करने वाले लोग गरीबों का नुकसान कर रहे हैं। एनपीआर हमारे घोषणा पत्र का हिस्सा नहीं है। ये यूपीए सरकार की योजना है, जिसे हम लागू कर रहे हैं। एनपीआर से अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है। ये संभव है कि एनपीआर में कुछ नाम छूट जाएं, फिर भी उनकी नागरिकता रद्द नहीं की जाएगी, क्योंकि यह एनआरसी की प्रक्रिया नहीं है। एनआरसी एक अलग प्रक्रिया है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनपीआर की वजह से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी।
शाह ने कहा कि यह प्रक्रिया बीजेपी सरकार ने शुरू नहीं की। यूपीए सरकार ने 2004 में एक कानून बनाया और 2010 की जन गणना के साथ एनपीआर सर्वे हुआ। इस बार फिर जनगणना के साथ एनपीआर की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी। इसके अंदर देश में रहने वाला कोई भी व्यक्ति एक ऐप में अपनी जानकारी देगा। उन्होंने कहा कि दोनों में मूलभूत अंतर है। एनपीआर जनसंख्या का रजिस्टर है। इसके आधार पर अलग-अलग योजनाओं के आकार बनते हैं। वहीं, एनआरसी में हर व्यक्ति से प्रूफ मांगा जाता है कि आप किस आधार पर भारत के नागरिक हैं।’
शाह ने कहा कि देश व्यापी एनआरसी पर देश व्यापी बहस की कोई जरूरत ही नहीं है, क्योंकि अभी इस पर कोई चर्चा ही नहीं हो रही है। इस पर न कोई कैबिनेट में चर्चा हुई और न ही संसद में। दोनों प्रक्रिया का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है और न दोनों प्रक्रिया का एक-दूसरे के सर्वे में उपयोग हो सकता है। एनपीआर के लिए अभी जो प्रक्रिया चलेगी, उसका उपयोग कभी भी एनआरसी के लिए नहीं हो सकता है। दोनों कानून भी अलग हैं।
उन्होंने कहा कि एनपीआर की जरूरत इसलिए है कि हर 10 साल में अंतरराज्यीय स्तर पर जनगणना में जबरदस्त उथल-पुथल होती है। एक राज्य के लोग दूसरे राज्य में जाकर बस जाते हैं। जो लोग दूसरे राज्य में बसे हैं, उनकी जरूरतों के मुताबिक योजनाओं का आधार एनपीआर होगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को कहा था कि एनआरसी पर सरकार में कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने दिल्ली में एक रैली में कहा था, ‘‘मैं 130 करोड़ देश वासियों से कहना चाहता हूं कि 2014 में मेरी सरकार के पहली बार सत्ता में आने के बाद से इस एनआरसी पर कभी चर्चा नहीं हुई।’’
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर यह सिर्फ असम में कराया गया, लेकिन इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह के पुराने वीडियो सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर सामने आ गए। एक विडियो में शाह कहते हैं, ‘आप क्रोनोलॉजी समझ लीजिए। पहले सीएबी (अब सीएए) आने जा रहा है, सीएबी आने के बाद एनआरसी आएगा और यह सिर्फ बंगाल के लिए नहीं आएगा, पूरे देश के लिए आएगा।’ शाह के ये विडियो अप्रैल, मई 2019 के बताए जा रहे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावी रैलियों से लेकर संसद तक में कई बार कहा है कि पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाएगा। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में अपने घोषणा पत्र में वादा किया कि अलग-अलग चरणों में देश भर में एनआरसी लागू किया जाएगा। इसके अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसी साल 20 जून को संसद में कहा था कि मेरी सरकार ने घुसपैठ से प्रभावित क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ लागू करने का फैसला किया है।
हाल में झारखंड में चुनावी सभा के दौरान अमित शाह ने देश भर में एनआरसी लागू करने की बात दोहराई थी। उन्होंने कहा था कि मैं आपको बता रहा हूं कि जब 2024 में वे (कांग्रेस) वोट मांगने के लिए आएंगे, उस समय तक भाजपा पूरे देश में एनआरसी लागू कर चुकी होगी और सभी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकाल चुकी होगी। गत नौ दिसंबर को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पर लोकसभा में चर्चा के दौरान अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत में एनआरसी लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें एनआरसी के लिए कोई पृष्ठभूमि तैयार करने की जरूरत नहीं है। हम पूरे देश में एनआरसी लाएंगे। एक भी घुसपैठिया छोड़ा नहीं जाएगा।
शाह के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी सार्वजनिक रूप से कहा है कि पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाएगा, लेकिन अब प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से लेकर नड्डा तक ने पलटी मार दी है। अब इन्हें कौन बताए कि एक झूठ को छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं, पर फिर भी झूठ नहीं छिपता।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार होने के साथ कानूनी मामलों के जानकार भी हैं।)
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