जाति व्यवस्था का घिनौना सच! मदुरई के एक गांव से गुजरने से पहले दलितों को उतारने पड़ते हैं चप्पल

Estimated read time 1 min read

जनचौक ब्यूरो

तमिलनाडु में मुदरई के पास एक गांव का ये नंगा सच है। जिन्हें लगता है कि जाति व्यवस्था और छुआछूत प्रथा समाप्त हो गयी है उनकी बंद आंखों को खोलने के लिए ये वीडियो काफी है। इसमें एक गांव से होकर गुजरने वाले लोगों को पैर में चप्पल पहन कर जाने की इजाजत नहीं है। उन्हें पैदल या फिर साइकिल पर होने के बावजूद गांव से पहले अपने चप्पलों को उतार कर हाथ में लेना पड़ता है उसके बाद ही वो गांव से होकर गुजर सकते हैं। यहां तक कि अपनी साइकिल पर सवार होकर भी वो गांव से होकर नहीं जा सकते हैं।

गांव से बाहर जाने के बाद ही वो फिर दोबारा चप्पल पहन सकते हैं। वीडियो में दिखाए साक्षात्कार में लोग बता रहे हैं कि ये ऊपरी जाति के लोगों का गांव है। और वहां से गुजरने वाले लोग जो चप्पल उतार कर जा रहे हैं दलित समुदाय से आते हैं। इस इलाके में उन्हें चप्पल पहन कर चलने की इजाजत नहीं है। हां अपने घरों और इलाकों में जरूर वो चप्पल पहन सकते हैं। ये पूछे जाने पर कि अगर चप्पल पहन कर जाएं तो क्या होगा? वीडियो में मौजूद शख्स का कहना है कि नहीं वो पहन कर जा ही नहीं सकते। यानी उसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है।

ये हालत उस समय है जब देश 21 वीं सदी में पहुंच गया है और संविधान के मुताबिक सारे लोग बराबर हैं। न कोई ऊंचा है और न नीचा। न किसी को जाति या फिर रंग के आधार पर विशेषाधिकार प्राप्त है और न ही किसी से उसके नाम पर छीना जा सकता है। बावजूद इसके ये विद्रूप सच्चाई सामने है। और ये उस सूबे में है जहां जातीय व्यवस्था और छुआछूत के खिलाफ शक्तिशाली आंदोलन चल चुका है। एक दौर में पेरियार और अन्ना दुराई जैसे नेता उसकी अगुवाई कर चुके हैं।

अभी दो दिन नहीं बीते हैं जब एक लड़की के पिता ने उसके पति की इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसने एक दलित से शादी कर लिया था। ये भी उसी तमिलनाडु की घटना है।

https://twitter.com/SriramMadras/status/1042077947711119362

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author