दिल्ली के आदर्श नगर थाने के SHO सीपी भारद्वाज को सस्पेंड किया गया है। कुछ दिन पहले आजादपुर फ्लाईओवर पर एक मजार के मामले में एसएचओ का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। वीडियो में एसएचओ बिना वर्दी के थे और मीडिया को बाइट दे रहे थे। हालांकि पुलिस का कहना है कि सस्पेंड करने की कई दूसरी वजह है। वायरल वीडियो के बाद से उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की जा रही थी।
4-5 अगस्त को ट्विटर पर आईटी सेल द्वारा RemoveSHObhardwaj ट्रेंड कराया जा रहा था।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मजार मामले से सस्पेंशन का कोई लेना देना नहीं है। एसएचओ के ख़िलाफ़ काफी शिकायतें थीं। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि मजार मामले को लेकर ही एसएचओ रडार पर आए हैं।
क्या था वीडियो में
आजदपुर फ्लाईओवर पर बनी मजार का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें मजार को लेकर कुछ भगवा टाइप के लोग मजार के केयरटेकर से सवाल कर रहे थे। मामले में एसएचओ ने कहा था कि आजादपुर फ्लाईओवर पर मजार है। यहां 8-10 दिन पहले कुछ लोग आए और उसे लेकर आपत्ति जताने लगे। इसी बीच वे लोग मजार की देखभाल करने वाले सिकंदर से बहस करने लगे और उसे हटाने की मांग करने लगे।
मजार को लेकर हो रही धार्मिक बहसबाजी की जानकारी जब एसएचओ भारद्वाज को मिली तब वह घटनास्थल पर पहुंच गए। एसएचओ भारद्वाज ने बताया, ”मैं मौके पर पहुंचा और दोनों पक्षों को समझाने लगा, क्योंकि दोनों पक्षों पर काफी गरमा-गरम बहस हो रही थी। चूंकि मेरा काम लॉ एंड ऑर्डर संभालना है, इसलिए दोनों पक्षों को समझाकर अलग किया और साथ ही समझाया कि पुलिस तय नहीं करती कि कौन सी जगह या इमारत अवैध है। यह तय करने के लिए एक अलग विभाग है”।
पुलिस तय नहीं करती कौन सी इमारत अवैध
एसएचओ ने बताया कि मैं मौके पर पहुंचा और दोनो पक्षों को समझाने लगा। क्योंकि दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हो रही थी। मैंने कानून व्यवस्था संभाली। दोनों पक्षों को समझाकर अलग किया औऱ साथ ही समझाया की पुलिस तय नहीं करती कि कौन सी जगह इमारत अवैध है। ये तय करने के लिए एक अलग विभाग है।
उन्होंने आगे कहा, ”इसी दौरान एक पत्रकार भी वहां मौजूद था, जिसने मुझसे बहस की तो मैंने उसे भी समझाया कि यह बेहद संवेदनशील मामला है। ऐसे मामले सड़क पर नहीं समझाए जाते। इसी वजह से मैंने थाने ले जाकर समझाया। मैं वहां अपनी डयूटी कर रहा था”।
सीपी भारद्वाज ने कहा कि यदि दोनों पक्षों के झगड़े का वीडियो वायरल होता तो क्या होता? तब पुलिस पर सवाल उठाया जाता कि पुलिस कहां थी? कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया जाता इसलिए मैंने मौके पर पहुंचकर सबको अलग किया।
उन्होंने दावा किया कि यह मजार काफी समय पहले बनी थी। आजादपुर के आस-पास के लोग यहां शाम को आकर अगरबत्ती जलाते हैं मत्था टेकते हैं। उन्होंने कहा कि आपस की बहस से कानून व्यवस्था खराब होने का डर बना रहता है, इसलिए मैंने मौके पर जाकर दोनों पक्षों को समझाया और बाद में सब मान भी गए। इस मामले में किसी के ख़िलाफ़ कोई एक्शन नहीं लिया गया।
एसएचओ ने यह भी बताया कि अगर किसी जगह कोई मजार अवैध है तो उसे देखने का काम या एक्शन लेने का काम धार्मिक कमेटी का होता है, ना कि पुलिस का। इस बारे में पुलिस पूरे मामले की जानकारी पहले ही एसडीएम को दे चुकी है, जिस पर काम चल रहा है। भारद्वाज ने कहा, ”इस मजार को लेकर आपत्ति किसी को नहीं है। कुछ लोग बाहर से आकर इसे मुद्दा बनाते हैं। अगर कमेटी रिव्यू करके इसे हटाने का फैसला देती है तो सिविक एजेंसी आकर इसे हटा देगी। हमारा काम हथौड़ा उठाने का नहीं, बल्कि सुरक्षा देने का है।”
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