बस्तर। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाके नारायणपुर जिले में 55 वर्षीय किसान ने कर्ज नहीं चुका पाने के कारण आत्महत्या कर ली है। मामला नारायणपुर जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर कुकराझोड़ गांव का है। जहां हीरु बढ़ई नाम के एक किसान ने 12 दिसंबर को कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली। पुलिस अधिकारियों के अनुसार इस मामले में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
किसान के आत्महत्या की खबर से प्रदेश की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। किसानों की कर्ज माफी पर कांग्रेस ने भाजपा को आड़े हाथ लिया है।
बेटे की शादी और कर्ज को लेकर परेशान
मृत किसान के बेटे योगेश्वर ने मीडिया को बताया कि “12 दिसंबर से पहले उन्हें (पिता) जिला सहकारी बैंक की तरफ से 1 लाख 24 हजार रुपये चुकाने का नोटिस मिला था, जिसमें ब्याज भी शामिल था। जिसके कारण पिता बहुत ही परेशान थे। इसी महीने मेरी शादी भी होने वाली थी”।
इस बार खराब मौसम के कारण धान की खेती भी सिर्फ 25% ही हो पाई। स्थिति यह थी कि जब हमने बोरों मे धान भरा तो वह सिर्फ 70 बोरे ही हो पाया जो हमारे बजट के अनुसार बहुत ही कम था। हमारे पास नौ एकड़ जमीन है। जिस पर खरीफ की बुआई के लिए 1,12,852 रुपये ऋण लिया था। अब जब धान की खेती नहीं हुई तो ऋण चुकाने को लेकर पिताजी चितिंत थे।

योगेश्वर के अनुसार 12 दिसंबर के दिन उनके पिता खेत में काम कर रहे थे। दोपहर के वक्त वह (योगेश्वर) खाना खाकर लेट गए थे। इसी दौरान उन्होंने देखा कि पिताजी उल्टियां कर रहे हैं। जिसके तुरंत बाद उन्हें नारायणपुर जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां अगले दिन उनकी मृत्यु हो गई। फिलहाल पुलिस द्वारा इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है।
जीतने के बाद भाजपा वायदे से पलटी
किसान की आत्महत्या पर अब राजनीति शुरू हो गई है। पिछली सरकार के दौरान कांग्रेस ने सत्ता संभालते ही दो घंटे में किसानों का कर्ज माफ कर दिया था। लेकिन इस बार फिलहाल भाजपा द्वारा कुछ नहीं किया गया है।
इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान भाजपा ने किसानों को दो लाख रुपये कर्जमाफी का वायदा किया था। लेकिन अब जीतने के बाद वह इससे पलड़ा झाड़ रही है। साथ ही इस घटना पर कांग्रेस ने पांच सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है। जिसके संयोजक बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल हैं। इसके अलावा नारायणपुर के पूर्व विधायक चंदन कश्यप, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम, पूर्व पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम, जिला अध्यक्ष रजनु नेताम शामिल हैं।
सोमवार को जांच कमेटी के सदस्य मृत किसान के घर गए। जहां परिवार वालों को सांत्वना दी गई। साथ ही उचित जांच का आश्वासन दिया।
इस दौरान मीडिया से बात करते हुए विधायक लखेश्वर बघेल ने कहा कि “हमारी जांच में यह आया है कि अतिरिक्त कर्ज की चिंता के कारण ही किसान ने आत्महत्या की है। चुनाव से पहले भाजपा ने यह वायदा किया था कि किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हमलोग बढ़ई को न्याय दिलाने के लिए सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ेगें”।

कुकराझोड़ गांव हीरु बढ़ई का ससुराल था। यहां वह अपनी सास के घर में रहते थे और उनकी नौ एकड़ जमीन पर खेती करते थे। फिलहाल जमीन भी सास के ही नाम पर थी। इसलिए लेम्स से कर्ज के लिए जो नोटिस आई है वह भी सास नाम पर थी।
चूंकि हीरु इसमें खेती करता था और सारा हिसाब-किताब अपने पास रखता था। इसलिए कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी भी उसकी थी। वहीं प्रशासन का कहना है कि जमीन हीरु के नाम पर नहीं है। इसलिए कर्ज के लिए आत्महत्या कैसे हो सकती है।
नाराणपुर के कलेक्टर अजीत बसंत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “हमारी जांच में पाया गया कि कर्ज मृतक के नाम पर नहीं ब्लकि उनके रिश्तेदार के नाम पर था। फसल पर बीमा हुआ था। बाकी हमारी जांच में कहीं भी परिवारवालों ने यह नहीं बताया है कि आत्महत्या का मुख्य कारण कर्ज है”।
किसान को मिली नोटिस पर कलेक्टर का कहना है कि “यह एक विभागीय प्रक्रिया है, जिसके तहत धान विक्रय से पहले जिले के किसानों को भेजी जाती है। इस बार जिले के लगभग पांच हजार किसानों को नोटिस भेजा गया है”।
किसान की आत्महत्या के बाद ही पूरे गांव में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। कुकराझाड़ गांव के सरपंच इस घटना पर कहते हैं कि कर्ज की नोटिस के कारण ही हीरु बढ़ई ने आत्महत्या की है। इस तरह के नोटिस हर साल किसानों को मिलती है। इस साल भी किसानों को मिली है। कई किसान इसे देने में सक्षम नहीं है।
मृतक परिवार को नोटिस दी जाए
मंगलवार को गांव में पूर्व पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान भाजपा ने जो वायदा किया था। उसे पूरा करे और पीड़ित परिवार का कर्ज माफ करे।
साथ ही कहा कि परिवारवालों को मुआवजा के साथ किसी एक सदस्य को नौकरी दे क्योंकि पिछली बार कांग्रेस की सरकार बनने के दो घंटे के भीतर ही किसानों का कर्ज माफ कर दिया गया था।
हाल में हुए चुनाव के बाद सूबे में किसानों की कर्जमाफी एक बढ़ा मुद्दा बना हुआ है। जिस पर कांग्रेस लगातार भाजपा को घेर रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक्स पर एक खबर की कटिंग शेयर करते हुए लिखा है “ फिर वही दौर लौट आया है किसानों की चीख का शोर लौट आया है”।
(पूनम मसीह की रिपोर्ट)
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