Friday, April 19, 2024

अजय बिष्ट से योगी आदित्यनाथ और अब ठोंक दो!

कहने को तो यूपी देश का सबसे बड़ा सूबा है। और लोकतंत्र के भी वहां सबसे ज्यादा मजबूत होने की उम्मीद की जाती है। लेकिन हो बिल्कुल उल्टा रहा है। क्योंकि यहां के मुख्यमंत्री का लोकतंत्र, सामंजस्य और किसी भी तरह के सौहार्द से 36 का रिश्ता है। और हर समस्या का इलाज वह ‘ठोंक दो’ में देखते हैं। वह किसी की संपत्ति को छीनने का मसला हो या मुसलमानों को सबक सिखाने या फिर मस्जिदों को जमींदोज करने की कार्रवाइयां सभी चीजों में उनकी यही नीति दिखती है। इसके अलावा न तो उन्हें किसी चीज की समझ है और न ही उसको वह समझना चाहते हैं। और बगैर किए अगर कुछ मिल जाए तो उसे योगी आदित्यनाथ कहते हैं। बताया जा रहा है कि यूपी को बेस्ट स्मार्ट सिटी का तमगा मिला है। लेकिन उसकी सच्चाई यह है कि पीएम का संसदीय क्षेत्र खुद कर तालाब बन गया है। और बारिस के इस मौसम में लोगों का जीना दूभर हो गया है। दूसरे शहरों और इलाकों की भी हालत इससे बेहतर नहीं है। बावजूद इसके अगर यह खिताब मिला है तो यह समझने में किसी को देर नहीं होनी चाहिए कि सूबे में चुनाव नजदीक हैं। इस पूरे प्रकरण पर कार्टूनिस्ट तन्मय त्यागी का यह कार्टून उन पर बिल्कुल फिट बैठता है।

(तन्मय त्यागी जाने-माने कार्टूनिस्ट हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

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लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।

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