Tuesday, March 19, 2024

फ्रांस की राष्ट्रीय साइबर-सुरक्षा एजेंसी ने पेगासस जासूसी की पुष्टि की

पूरी दुनिया में तहलका मचाने वाले पेगासस सॉफ्टवेयर को लेकर फ्रांस में बड़ा खुलासा हुआ है। फ्रांस की राष्ट्रीय साइबर-सुरक्षा एजेंसी एएनएसएसआई ने देश की ऑनलाइन खोजी पत्रिका मीडियापार्ट के दो जर्नलिस्ट के फोन में पेगासस स्पाइवेयर की मौजूदगी की पुष्टि की है, प्रकाशन ने गुरुवार को उस संबंध में जानकारी दी है। बता दें कि यह एक सरकारी एजेंसी द्वारा वैश्विक स्नूपिंग घोटाले की पूरी दुनिया में पहली पुष्टि है।

फ़्रांस में दो पत्रकारों के फोन की जासूसी पेगासस के जरिए की गई थी। फ्रांसीसी साइबर सिक्योरिटी एजेंसी ने इस बात पर मुहर लगा दी है। यह दोनों पत्रकार मीडियापार्ट समाचार आउटलेट के लिए काम करते हैं। जिन दो पत्रकारों का फोन हैक होने की बात सामने आई है, उनके नाम हैं लीनेग ब्रेडॉक्स और एड्वी प्लेनेल। इन दोनों का नाम एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब की रिपोर्ट में था।

फ़्रांस में खोजी पत्रकारिता करने वाली वेबसाइट मीडियापार्ट ने बताया है कि एएनएसएसआई द्वारा की गई स्टडी रिपोर्ट एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब के निष्कर्षों की तरह ही है, जिसमें पेगासस द्वारा जासूसी की वास्तविकता, इसके तौर-तरीकों, तिथियों और अवधि के बारे में जिक्र किया गया है। मीडियापार्ट उन 17 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों में शामिल है, जो इस रिपोर्ट को प्रकाशित कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल स्मार्टफोन को हैक करने के लिए किया गया। यह स्पाइवेयर फोन के मैसेज पढ़ने, कॉल रिकॉर्ड करने और माइक्रोफ़ोन को गुप्त रूप से एक्टिव करने की ताकत रखता है।

अपने दोनों पत्रकारों का नाम एमनेस्टी इंटरनेशनल की लिस्ट में आने के बाद मीडियापार्ट ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद पेरिस के पब्लिक प्रॉसीक्यूटर रेमी हेट‌्ज ने 20 जुलाई को मामले की जांच शुरू की थी। इसके बाद फ्रांसीसी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी एएनएसएसआई द्वारा पेरिस मुख्यालय में दोनों पत्रकारों के फोन की जांच की गई थी। मीडियापार्ट के मुताबिक एएनएसएसआई के आईटी विशेषज्ञों ने पेगासस के जरिए इनके फोन की जासूसी की पुष्टि की है। मीडियापार्ट इसको लेकर फ्रेंच में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक मामले की सुनवाई के दौरान इस बात की पुष्टि हुई है। गौरतलब है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नाम भी उस लिस्ट में है, जिनकी पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए जासूसी की गई है। इसके बाद ही फ्रांस ने इस मामले में जांच बैठाई है।

गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बताया था कि दुनिया भर के करीब 50 हजार फोन नंबर पेगासस द्वारा हैक किए गए थे। पेगासस को बनाने वाली कंपनी एनएसओ इजरायल की है। भारत में इस साजिश का खुलासा करने वाले अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ के भारतीय मीडिया आउटलेट ‘द वायर’ के मुताबिक, कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेताओं, शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों, मंत्रियों और पत्रकारों के फोन पेगासस जासूसी के संभावित लक्ष्य थे। इस विवाद ने विपक्ष द्वारा सरकार पर आक्रामक हमलों को हवा दी है और संसद में हंगामा मचा दिया है।

भारत सरकार ने ऐसे किसी तरह के जासूसी घोटाले को खारिज किया है। इसके साथ ही सरकार ने सरकार के अंदर और सरकारी एजेंसियों के अंदर भी स्पाइवेयर के इस्तेमाल की जांच की मांग को खारिज कर दिया है। हालांकि, इस विवाद ने फ्रांस में बहुत मजबूत कार्रवाई को उकसाया है, जहां राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन जासूसी कांड के संभावित लक्ष्यों में से एक थे।

इस मामले में कई देशों की सरकारों ने जाँच के आदेश दिए हैं। इसमें फ्रांस के अलावा अल्जीरिया, इजरायल और मेक्सिको जैसे देश शामिल हैं। मेक्सिको के अटॉर्नी जनरल ने हाल ही में कहा था कि एनएसओ ने जिस व्यक्ति थॉमस ज़ेरोन के साथ क़रार किया था, वह भाग कर इज़रायल चला गया और उसकी जाँच की जा रही है। जिस इजरायल की कंपनी पर आरोप लगे हैं वहाँ भी जाँच के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में बुधवार को ही इजरायली सरकारी अधिकारियों ने एनएसओ ग्रुप के कार्यालयों पर छापे मारे हैं। इसकी पुष्टि ख़ुद एनएसओ के एक प्रवक्ता ने इजरायली समाचार वेबसाइट ‘द रिकॉर्ड’ से की। उसके अनुसार इजरायल के रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने उनके कार्यालयों का दौरा किया था।

फ्रांस की सरकारी एजेंसी द्वारा इसकी पुष्टि किए जाने से पहले एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लीक हुए डेटाबेस के इन नंबरों से जुड़े कुछ फ़ोन पर किए गए गै़र सरकारी फोरेंसिक जाँच से पता चला कि 37 फोन में पेगासस स्पाइवेयर से निशाना बनाए जाने के साफ़ संकेत मिले थे। इनमें से 10 भारतीय हैं।

‘द गार्डियन’, ‘वाशिंगटन पोस्ट’, ‘द वायर’ सहित दुनिया भर के 17 मीडिया संस्थानों ने पेगासस स्पाइवेयर के बारे में खुलासा किया है। एक लीक हुए डेटाबेस के अनुसार इजरायली निगरानी प्रौद्योगिकी फर्म एनएसओ के कई सरकारी ग्राहकों द्वारा हज़ारों टेलीफोन नंबरों को सूचीबद्ध किया गया था। द वायर के अनुसार इसमें 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल टेलीफोन नंबर शामिल हैं। ये नंबर विपक्ष के नेता, मंत्री, पत्रकार, क़ानूनी पेशे से जुड़े, व्यवसायी, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, अधिकार कार्यकर्ता और अन्य से जुड़े हैं।

मोदी सरकार ने न तो स्वीकार किया है और न ही इंकार किया है कि स्पाइवेयर उसकी एजेंसियों द्वारा खरीदा और इस्तेमाल किया गया था। पहले सरकार ने एक बयान में कहा था कि उसकी एजेंसियों द्वारा कोई अनधिकृत रूप से इन्टरसेप्ट नहीं किया गया है और ख़ास लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।

पेगासस मामले की जाँच की मांग के लिए उच्चतम न्यायालय में कम से कम तीन याचिकाएँ दायर की गई हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि इन याचिकाओं पर अगले हफ़्ते सुनवाई की जायेगी।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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