नई दिल्ली। किसानों के दिल्ली मार्च को आज फिर पुलिस के बर्बर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। शंभू बार्डर से निकले किसानों को न केवल आंसू गैस बल्कि पानी की बौछारों और लाठियों के सहारे पुलिस ने रोकने की कोशिश की।
रविवार को जब किसानों ने पैदल मार्च शुरू किया तो उन्हें हरियाणा पुलिस द्वारा लगाई गयी बहुस्तरीय बैरिकेडों का सामना करना पड़ा। और उसको जब किसानों ने पार करने की कोशिश की तो उनका आंसू के गैस की गोलियों और पानी की बौछारों से स्वागत किया गया।
मार्च से पहले किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने आरोप लगाया कि आप के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार और केंद्र दोनों आपस में मिले हुए हैं। पंधेर ने यह सवाल उठाया कि आखिर मीडिया को यहां विरोध स्थल पर क्यों नहीं आने दिया गया। आंसू गैस के गोलों और पानी की बौछारों से कुछ किसान घायल हो गए हैं।
एमएसपी की गारंटी के अलावा किसान ऋण माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली की बिलों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों पर लगे मुकदमों को वापस लेने आदि मांगें की गयी हैं।
शंभू बार्डर पर पुलिस की कार्रवाई से पांच किसानों को चोट लगी है। इनमें फिरोजपुर के दीदार सिंह, तरनतारन से मेजर सिंह और झंडियाना गांव से करनैल सिंह शामिल हैं। चार घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जबकि उनमें से एक को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया है।
आगे की रणनीति की किसानों ने अभी घोषणा नहीं की है। उनका कहना है कि बैठेंगे फिर आगे की रणनीति बनाएंगे।
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