Friday, March 29, 2024

विकास की गिरफ्तारी या फिर सत्ता के संरक्षण में पूर्व नियोजित सरेंडर?

लंबी लुका-छिपी के बाद विकास दुबे का पकड़ा जाना कानपुर पुलिस हत्याकांड का पटाक्षेप नहीं बल्कि अपराध-राजनीति-पुलिस गठजोड़ के ड्रामे का एक कौतूहल भरा और चौंकाने वाला दृश्य मात्र है, क्योंकि कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी जिस नाटकीय और स्क्रिप्टेड अंदाज में हुई है उससे मसला सुलझने की बजाय और उलझता दिख रहा है।

पूरा घटनाक्रम अपराध-राजनीति-पुलिस के गठजोड़ की दूसरी कड़ी प्रतीत हो रहा है। लग नहीं रहा कि विकास दुबे जैसे दुर्दांत अपराधी के मददगार सियासी आकाओं और अपराधी को सलाम ठोकने वाले छोटे-बड़े अफसरों का काला सच अब जनता के सामने आने वाला है। सारा माजरा बेहद संदिग्ध हो गया है और ऐसा लगता है कि इसके संचालन का काम षड्यन्त्रकारी शक्तियां कर रही हैं।

आज सुबह अचानक से गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी की ख़बर मीडिया की हेडलाइन बन गई। खबर आयी कि विकास दुबे उज्जैन, मध्यप्रदेश के महाकाल मन्दिर से गिरफ्तार कर लिया गया है।

एक प्रमुख मीडिया चैनल के अनुसार विकास दुबे सुबह पहले महाकाल मंदिर पहुंचा। उसने पर्ची कटाई और दर्शन किया। फिर उसने गार्ड से कहा कि मैं विकास दुबे हूँ, कानपुर वाला। गार्ड ने पुलिस को यह सूचना दी तब तक विकास दुबे वहीं मौजूद रहा। पुलिस आई और विकास दुबे को गिरफ्तार करके ले गई।

है न गजब कि पटकथा ? 

किसी भी कोण से इसे गिरफ्तारी नहीं कही जा सकती है। यह विकास दुबे द्वारा आत्मसमर्पण/सरेंडर अधिक दिख रहा है वो भी पुलिस और सियासी शूरमाओं के बनाए प्लान के अनुसार ।

आइए इस रोचक ड्रामेबाजी को बिंदुवार समझने का प्रयास करते हैं-

■ 2 जुलाई की रात कानपुर के शिवली पुलिस स्टेशन के अंतर्गत बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने पुलिस छापा मारती है। छापे मारी के दौरान बेख़ौफ़ गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों का समूह घात लगाकर पुलिस दल पर हमला कर देता है और 8 पुलिसकर्मियों को गोलियों से भून देता है। शहीद होने वालों में डिप्टी एसपी और बिल्हौर के सर्किल अफ़सर देवेंद्र मिश्रा, स्टेशन अफ़सर शिवराजपुर महेश यादव भी शामिल थे। दो सब इंस्पेक्टर और चार सिपाही भी शहीद हुए हैं। इसके अलावा सात पुलिस कर्मी घायल भी हुए थे।

■ इस पूरे घटनाक्रम को अपराधियों ने निर्दयतापूर्वक काफी वीभत्स ढंग से अंजाम दिया था। बताया जाता है कि खुद को बचाने के लिए सीओ देवेंद्र मिश्रा जब एक घर मे छिप गए तो अपराधी भी उनके पीछे उसमें घुस गए। उसके बाद सीओ को पकड़कर उनका सिर दीवार से सटाकर गोली मार दी गई। इतना ही नहीं उसके बाद उनके शव को घसीटकर घर के बाहर लाया गया और उनके पैर को कुल्हाड़ी से काट दिया गया। वहीं सीओ के साथ घर में घुसे चार सिपाहियों को भी बदमाशों ने सीओ के सामने ही गोली मार दी थी।

■ इस घटनाक्रम के बाद सरकार और पुलिसिया तंत्र की चौतरफा आलोचना के बीच योगी सरकार के पुलिसिया प्रशासन ने गैंगस्टर विकास दुबे के घर पर बुलडोजर चलवा दिया। विकास दुबे के घर को जमींदोज कर दिया गया, गाड़ियों को तोड़ दिया गया। कानून की किस किताब में ऐसे मसले में किसी अपराधी के घर और उसकी गाड़ियों को तोड़ने का प्रावधान है ये किसी भी कानून विद की समझ से अब तक परे है। आखिर कानून की किस धारा के तहत ऐसा किया गया? विकास दुबे के घर से कई सबूत जुटाए जा सकते थे लेकिन पुलिस की यह कार्यवाही सत्ता के इशारे पर सबूतों को मिटाने की कोशिश के हिस्से के तौर पर देखी गयी।

■ एसआईटी ने विकास दुबे के कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड की जो रिपोर्ट दी थी उसके अनुसार विकास दुबे के कॉल डिटेल्स में कई पुलिस वालों के नंबर मिले। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन पुलिस वालों में एक नाम चौबेपुर थाने के दरोगा का भी है, जिसने विकास दुबे को रेड की सूचना पहले ही दे दी थी। 

■ हत्यारे विकास दुबे की जड़ें कितनी गहरी थीं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ चौबेपुर थाने में ही विकास दुबे पर 60 आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। थाने के अंदर पुलिस को गोली मारने के संगीन आरोप थे, लेकिन इसके बावजूद वह न जिले के टॉप 10 अपराधियों की लिस्ट में था न ही सरकार के निशाने पर।

अफसरों और राज नेताओं के सहयोग से यह दुर्दांत अपराधी अपराध की दुनिया का बहुत बड़ा सरगना बन गया था। विकास दुबे पर राज नेताओं की कृपादृष्टि कितनी बड़ी थी इसका एक प्रमाण विकास दुबे का एक वायरल वीडियो था जो घटना के बाद सामने आया। इस वीडियो में विकास दुबे खुद बता रहा है कि बीजेपी विधायक अभिजीत सांगा और भगवती सागर किस प्रकार उनकी मदद करते रहे हैं।

■  8 पुलिसकर्मियों की जघन्य हत्या को अंजाम देने वाले गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए 40 थानों की पुलिस मोर्चे पर लगाई गई। इधर विकास दुबे का दाहिना हाथ माना जाने वाला अमर दूबे कथित पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया गया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह मुठभेड़ लखनऊ से क़रीब 150 किलोमीटर दूर हमीरपुर ज़िले में हुई है।

अमर दुबे का एनकाउंटर भी संदेहास्पद था क्योंकि जिस तरह से अमर दुबे को सीने के ठीक बीचों-बीच लगी गोली थी वो कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही है। मृतक अमर दुबे का हाथ भी बुरी तरह टूटा पाया गया था। मात्र 8 दिन पूर्व ब्याह कर लाई गई अमर दुबे की पत्नी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया।

इसी तरह विकास दूबे के एक अन्य साथी प्रभात मिश्रा को कानपुर पुलिस फरीदाबाद से गिरफ्तार करती है लेकिन भागने के क्रम में उसका एनकाउंटर हो जाता है। 

अपराधी विकास दुबे के दो निकटवर्ती सहयोगियों की संदेहास्पद हालत में पुलिस द्वारा एनकाउंटर कई सवाल खड़े करता है। इन अपराधियों के द्वारा पूरे मसले और अपराध की जड़ तक आसानी से पहुँचा जा सकता था। ये एनकाउंटर भी सियासत और अपराध के गठजोड़ के सबूतों को मिटाने जैसा प्रतीत होता है।

■ विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद यूपी पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आखिर यह शातिर अपराधी वारदात के बाद दो दिन तक कैसे कानपुर में ही रहा और फिर उज्जैन निकल गया।

■ इससे पहले फरीदाबाद में विकास दुबे के छिपे रहने की ख़बर आई। एक सीसीटीवी फुटेज में विकास दुबे को देखा गया था। लेकिन हिंदी के मुहावरे वाले अंदाज में बताया गया कि पुलिस के पहुंचने से पहले अपराधी नौ दो ग्यारह हो गया। 

■ कानपुर से फरीदाबाद की दूरी 460 किलोमीटर है, और कानपुर से फरीदाबाद जाने के दो मुख्य रास्ते हैं। एक रास्ता कानपुर से औरैया, इटावा, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, आगरा और कोसी के रास्ते फरीदाबाद तक पहुंचा जा सकता है। इस रास्ते में कुल 6 टोल प्लाजा आते हैं।

दूसरा रास्ता कानपुर से औरैया, इटावा, जसवंतनगर तक पुराने हाइवे से और जसवंतनगर से लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर चढ़कर अलीगढ़, टप्पल, पलवल से फरीदाबाद जाता है। इस रास्ते में कुल 5 टोल प्लाजा आते हैं। 

यहां ये भी दिलचस्प है कि वारदात के बाद गैंगस्टर विकास उन्हीं राज्यो में छिपता रहा जो बीजेपी शासित राज्य हैं। क्या अपराधी विकास दुबे सियासी संरक्षण में लुका छिपी कर रहा था ?

■ फरीदाबाद के बाद विकास मध्यप्रदेश के उज्जैन पहुँचा जहां महाकाल मंदिर में विकास दुबे की कथित गिरफ्तारी हुई। विकास दुबे के पुलिस हिरासत में होने की ख़बर आते ही शहीद सीओ के परिजनों ने कहा कि ये पूर्व नियोजित सरेंडर है, गिरफ्तारी नहीं है।

■ बिकरू गांव के लोगों की मानें तो वारदात के बाद विकास दुबे का मध्य प्रदेश जाना तय था। पहले भी एक बार वो उज्जैन में ही एक अन्य मामले में सरेंडर कर चुका था।

■  बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक विकास दुबे ने महाकाल मंदिर में पहुंचने की सूचना किन्हीं स्रोतों से ख़ुद पुलिस तक पहुंचाई थी। कयास लगाया जा रहा है कि उसने महाकाल मंदिर में सरेंडर किया है।

■  यह बड़ी अबूझ पहेली है कि भला इतना कुख्यात ईनामी अपराधी जिसके पीछे पूरा पुलिस तंत्र पड़ा है वो व्यक्ति मन्दिर जैसे भीड़ वाले क्षेत्र में बिना पहचान छिपाए क्यों गया था ?  जिस समय विकास दुबे को गिरफ्तार किया गया उस समय उसके पास कोई हथियार भी बरामद नहीं हुआ है। अगर वाक़ई विकास दुबे वहां सरेंडर नहीं किया तो इस दुर्दांत अपराधी के पास से घातक हथियार क्यों नहीं बरामद हुआ ?

■ विकास के आत्मसमर्पण के बाद पहला बयान मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का आया। नरोत्तम मिश्रा विधानसभा चुनावों में कानपुर में बीजेपी के प्रभारी थे। 

■ इस नाटकीय घटनाक्रम का एक और संदिग्ध पक्ष है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कल ही महाकाल मन्दिर थाने के टीआई बदले गए और आज विकास दुबे महाकाल मन्दिर से कथित रूप से गिरफ्तार हो गया। विकास दुबे की गिरफ्तारी के ठीक एक दिन पहले महाकाल मंदिर थाने के टीआई के बदले जाने का वाकया मसले को और रहस्यमय बना देता है।

■  ANI की एक खबर के मुताबिक लखनऊ हाईकोर्ट के दो बड़े एडवोकेट उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। उनके कार का नम्बर यूपी का था।

■ इस बीच एक और बहुत ही चौंकाने वाला सच सामने आया है। बताया जा रहा है कि कल रात महाकाल मंदिर में उज्जैन के डीएम और एसपी मौजूद थे। खबर है कि रात साढ़े दस बजे के आसपास उज्जैन के डीएम और एसपी भारी हड़बड़ाहट में उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचे थे। दर्शन करने के बदले एक कमरे में काफी लंबे समय तक मंत्रणा की गई थी ।

पूरे घटनाक्रम के कई एंगल हैं जो यह दर्शा रहे हैं कि गैंगस्टर विकास दुबे की कथित गिरफ्तारी सत्ता और पुलिस के संरक्षण में स्क्रिप्टेड सरेंडर है। पूरे वाकये को सावधानी से देखने पर साफ हो जाता है कि सत्ता के संरक्षण में अपराध और राजनीति के गठजोड़ के नये खेल की शुरुआत से इंकार नहीं किया जा सकता है। 

8 पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या से उपजा संवेदनाओं का समंदर अब “अपराधी-पुलिस-राजनीति” गठजोड़ के शानदार स्क्रिप्टेड षड्यंत्रों को सुलझाएं कैसे ?

देखना दिलचस्प होगा कि अपराधी विकास दुबे को फास्ट ट्रायल कोर्ट के जरिये यथाशीघ्र उसके गुनाहों के लिए सजा दी जाती है या फिर सत्ता के संरक्षण में उसे बचाने का हिडेन एजेंडा आगे बढ़ाया जाता है।

फिलहाल तो अपराधी विकास दुबे की कथित गिरफ्तारी एक सुखद ख़बर की तरह है। लेकिन गिरफ्तारी के समय अपराधी विकास दुबे की देह भाषा कई तरह के संदेह पैदा कर रही थी।

बिना किसी हड़बड़ी और बिना हथकड़ी के इतने रुतबे और शान से पुलिस के संग क़दमताल करते एक कुख्यात गैंगस्टर को इससे पहले कब देखा गया था ?

सवाल तो है …

“यह दरिंदा विकास ही है या ‘न्यू इंडिया’ के कथित ‘रामराज्य’ का ‘विकास’?”

(दया नन्द शिक्षाविद होने के साथ स्वतंत्र लेखन का काम करते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

‘ऐ वतन मेरे वतन’ का संदेश

हम दिल्ली के कुछ साथी ‘समाजवादी मंच’ के तत्वावधान में अल्लाह बख्श की याद...

Related Articles