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संस्कृति-समाज

अन्वेषा वार्षिकांक : प्रतिकूल समय में एक जरूरी रचनात्मक हस्तक्षेप

अन्वेषा का वार्षिकांक आए हुए कई दिन हो गए। यह प्रवेशांक बहुत भारी-भरकम अंक है। 544 पृष्ठ, आकार भी पुराने जमाने की धर्मयुग और साप्ताहिक [more…]

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संस्कृति-समाज

नेपथ्‍य का नायक : अनिल चौधरी की स्‍मृति में 

‘’दोस्‍तो अब मंच पर सुविधा नहीं है / आजकल नेपथ्‍य में संभावना है…’’  हिंदी के लोकप्रिय कवि दु्ष्‍यन्‍त कुमार जिस जमाने में ये पंक्तियां कह [more…]

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संस्कृति-समाज

‘मनुष्य न कहना’: मानवीय संवेदनाओं का कोलाज है ममता जयंत की कविताएं

ममता जयंत मनुष्य की भावनाओं को चित्रित करने वाली कवयित्री है। हाल ही में प्रकाशित उनका कविता संग्रह ‘मनुष्य न कहना’ में वह अपनी इसी विशेषता [more…]

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संस्कृति-समाज

अंबेडकर जयंती विशेष: अंबेडकर से प्रेम तो उनके विचारों से परहेज क्यों?

अंबेडकर जयंती पर हर वर्ष सरकार बाबा साहेब को याद करती है। देश के लिए उनके योगदान की सराहना करती है। आंबेडकर को पूजनीय मानती [more…]

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संस्कृति-समाज

अंबेडकर जयंती पर विशेष : समकालीन दलित राजनीति- विकल्प की त्रासदी

हमारे समय के सर्वकालिक महान विचारक कार्ल मार्क्स का कथन है, “इतिहास अपने को दोहराता ज़रूर है, पर पहली बार त्रासदी के रूप में और [more…]

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संस्कृति-समाज

व्यंग्य: नेताजी भावुक हुए…

इस बार ‘सबका साथ सबका विकास’ के ऐतिहासिक प्रोजेक्ट में नेताजी ने वन्य जंतुओं की चिंताओं को भी शामिल किया। वे वन्य समाज के आखिरी [more…]

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संस्कृति-समाज

संदेश, आदेश और उपदेश

संसार में पहले भी और अब भी अनेक राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, पंथिक, मजहबी, सुधारवादी, वैज्ञानिक, भक्तिवादी, योगाभ्यास से संबंधित विचारधाराएं, सिद्धांत, वाद, पंथ, मत, संप्रदाय, [more…]

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संस्कृति-समाज

व्यंग्य : देवलोक के शहीद

देवराज ने अपने वित्तमंत्री कुबेर तथा देवलोक के सुपर धनाढ्यों के साथ मिलकर प्रजा से ज्यादा से ज्यादा धन उगाहने की नयी-नयी तकनीकों पर गहन [more…]

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संस्कृति-समाज

जन्मदिवस विशेष : क्यों जरूरी है ज्योतिबा फुले को याद करना

आज के समय में जातिगत जनगणना और “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” जैसे विषय राजनीति के ज्वलंत मुद्दे हैं। ध्यान दिला दें कि [more…]

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संस्कृति-समाज

उपेक्षित समाज को विश्व मंच तक पहुंचाने वाले रामसहाय पाण्डेय नहीं रहे 

जिस बेडिन समाज को भारत में एक समय तक आपराधिक जनजाति की श्रेणी में रखा जाता रहा, अंग्रेजों के समय से जो घुमंतू जीवन व्यतीत [more…]