‘जवान’ शाहरुख खान के नायकत्व वाली फ़िल्म है जो इसी सप्ताह प्रदर्शित हुई है। इस फ़िल्म की निर्माता है उनकी…
जन्मदिवस पर विशेष: आधुनिक हिंदी के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने साहित्य को ‘जन’ से जोड़ा
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। इनका मूल नाम ‘हरिश्चन्द्र’ था।…
दक्षिण भारतीय फिल्में बन रही हैं दुनियाभर में भारत की पहचान
9 अप्रैल 2023 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा जारी दक्षिण भारतीय मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग पर सीसीआई की…
पांव ज़मीन परः लोक जीवन की लय का स्पंदन
कवि-कथाकार-आलोचक शैलेन्द्र चौहान का संस्मरणात्मक उपन्यास उर्फ़ कथा रिपोर्ताज ‘पांव ज़मीन पर’ बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित हुआ है। लोक…
जन्मदिवस पर विशेष: हबीब तनवीर और लोक परंपरा की प्रासंगिकता
(आज से सौ साल पहले 1 सितंबर, 1923 को प्रसिद्ध रंगकर्मी, नाट्य निर्देशक, लेखक और अभिनेता हबीब अहमद खान जिन्हें…
जन्मदिवस पर विशेष: हिंदुस्तानी रवायत के महान प्रतीक पुरुष राही मासूम रजा
डॉ. राही मासूम रजा (1 सितंबर 1927-15 मार्च 1992) फिरकापरस्ती, जातिवाद, सामंतशाही और वर्गीय विभाजन के खिलाफ निरंतर चली प्रतिबद्ध…
जन्मदिवस पर विशेष: अपने जीते जी गाथा पुरुष बन गए हबीब तनवीर
बीसवीं सदी के चौथे दशक में मुल्क के अंदर तरक़्क़ी-पसंद तहरीक अपने उरूज पर थी। इप्टा के नाटक अपनी सामाजिक…
स्मृति शेष: बी वी कारंत-दक्षिण और उत्तर रंगमंच को जोड़ने वाले सेतु
भारतीय रंगमंच में बी.वी. कारंत की पहचान असाधारण रंगकर्मी और रंगमंच प्रशिक्षण देने वाले विद्वान अध्यापक की है। उन्हें लोग…
जन्मदिवस पर विशेष: शैलेंद्र के गीत कैसे बने जन आंदोलनों के नारे?
जन गीतकार एक ऐसा ख़िताब है, जो हिन्दी में बहुत कम गीतकारों को नसीब हुआ है। जब तक गीत जनता…
जन्मदिवस पर विशेष: लोक और दलित चेतना के प्रगतिशील गीतकार शैलेंद्र
(हिंदी फ़िल्मों के प्रख्यात गीतकार शैलेंद्र का जन्म 30 अगस्त, 1923 को हुआ था और यह वर्ष उनका शतब्दी वर्ष…