अंबेडकर जयंती विशेष: अंबेडकर से प्रेम तो उनके विचारों से परहेज क्यों?

अंबेडकर जयंती पर हर वर्ष सरकार बाबा साहेब को याद करती है। देश के लिए उनके योगदान की सराहना करती…

अंबेडकर जयंती पर विशेष : समकालीन दलित राजनीति- विकल्प की त्रासदी

हमारे समय के सर्वकालिक महान विचारक कार्ल मार्क्स का कथन है, “इतिहास अपने को दोहराता ज़रूर है, पर पहली बार…

व्यंग्य: नेताजी भावुक हुए…

इस बार ‘सबका साथ सबका विकास’ के ऐतिहासिक प्रोजेक्ट में नेताजी ने वन्य जंतुओं की चिंताओं को भी शामिल किया।…

संदेश, आदेश और उपदेश

संसार में पहले भी और अब भी अनेक राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, पंथिक, मजहबी, सुधारवादी, वैज्ञानिक, भक्तिवादी, योगाभ्यास से संबंधित विचारधाराएं,…

व्यंग्य : देवलोक के शहीद

देवराज ने अपने वित्तमंत्री कुबेर तथा देवलोक के सुपर धनाढ्यों के साथ मिलकर प्रजा से ज्यादा से ज्यादा धन उगाहने…

जन्मदिवस विशेष : क्यों जरूरी है ज्योतिबा फुले को याद करना

आज के समय में जातिगत जनगणना और “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” जैसे विषय राजनीति के ज्वलंत मुद्दे…

उपेक्षित समाज को विश्व मंच तक पहुंचाने वाले रामसहाय पाण्डेय नहीं रहे 

जिस बेडिन समाज को भारत में एक समय तक आपराधिक जनजाति की श्रेणी में रखा जाता रहा, अंग्रेजों के समय…

पुस्तक समीक्षा: बाबा पोते के बालमन की गुनगुनाहट है ‘वासुनामा’ 

साहित्य कला और संस्कृति के क्षेत्र में बहुमुखी प्रतिभा के बहुत से लोग हुए और उनके काम को यश भी…

अँधेरनगरी के लोकतंत्र से राजतंत्र बनने की कहानी

अँधेरनगरी आज अगर एक खुशहाल राज्य है, और अगर यहां के नागरिक अपने रोटी-कपड़ा-मकान-रोजगार-शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी तुच्छ भौतिक आवश्यकताओं के मकड़-जाल…

एक फिल्म में कई फिल्मों का “फ्लैश बैक” 

पिछले मंगलवार को दिल्ली के जवाहर भवन में एक फिल्म देखी। “इन गलियों में”। फिल्म का नाम और पोस्टर देखकर…