(कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है।पत्र में उन्होंने कोरोना की इस महामारी से निपटने के लिए पीएम को कई सुझाव दिए हैं। जिसमें नयी संसद के निर्माण के लिए घोषित सेंट्रल विस्टा फंड का ट्रांसफ़र करने से लेकर विज्ञापनों के ज़रिये मीडिया पर खर्च होने वाली राशि में कटौती तक के कई सुझाव शामिल हैं। नीचे पेश है उनका पूरा पत्र-संपादक)
07 अप्रैल, 2020
कल आपसे हुई टेलीफोन पर वार्ता में आपने कांग्रेस पार्टी के कोविड-19 से लड़ने के सुझाव देने के बारे आग्रह किया था। मैं इसी भावना से यह पत्र लिख रही हूँ।
मैं इस चुनौतीपूर्ण समय में आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हूँ।
सांसदों का वेतन 30 प्रतिशत कम करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय का हम समर्थन करते हैं। कोविड-19 की महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए फंड एकत्रित करने में सादा व अति संयमित खर्च आज के समय की मांग है। इसी सकारात्मक भावना से मैं आपको पांच ठोस सुझाव देती हूँ। मुझे विश्वास है कि आप इन्हें लागू करेंगे।
पहला, सरकार एवं सरकारी उपक्रमों द्वारा मीडिया विज्ञापनों- टेलीविज़न, प्रिंट एवं ऑनलाइन विज्ञापनों पर दो साल के लिए रोक लगा यह पैसा कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए संकट से जूझने में लगाया जाए। केवल कोविड-19 के बारे में एडवाईज़री या स्वास्थ्य से संबंधित विज्ञापन ही इस बंदिश से बाहर रखे जाएं। केंद्र सरकार मीडिया विज्ञापनों पर हर साल लगभग 1, 250 करोड़ रुपये खर्च करती है। इसके अलावा सरकारी उपक्रमों एवं सरकारी कंपनियों द्वारा विज्ञापनों पर खर्च की जाने वाली सालाना राशि इससे भी अधिक है। सरकार के इस प्रयास से कोरोना वायरस द्वारा अर्थव्यवस्था व समाज को होने वाले नुकसान की भरपाई में एक बड़ी राशि जुटाने में मदद मिलेगी।
दूसरा, 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे ‘सेंट्रल विस्टा’ ब्यूटीफिकेशन एवं कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को स्थगित किया जाए। मौजूदा स्थिति में विलासिता पर किया जाने वाला यह खर्च व्यर्थ है। मुझे विश्वास है कि संसद मौजूदा भवन से ही अपना संपूर्ण कार्य कर सकती है। नई संसद व उसके नए कार्यालयों के निर्माण की आज की आपातकालीन स्थिति में जरूरत नहीं। ऐसे संकट के समय में इस खर्च को टाला जा सकता है। इससे बचाई गई राशि का उपयोग नए अस्पतालों व डायग्नोस्टिक सुविधाओं के निर्माण तथा अग्रिम कतार में रहकर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (‘पीपीई’) एवं बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया जाए।
तीसरा, भारत सरकार के खर्चे के बजट (वेतन, पेंशन एवं सेंट्रल सेक्टर की योजनाओं को छोड़कर) में भी इसी अनुपात में 30 प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए। यह 30 प्रतिशत राशि (लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये प्रतिवर्ष) प्रवासी मजदूरों, श्रमिकों, किसानों, एमएसएमई एवं असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को सुरक्षा चक्र प्रदान करने के लिए आवंटित की जाए।
चौथा, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राज्य के मंत्रियों तथा नौकरशाहों द्वारा की जाने वाली सभी विदेश यात्राओं को स्थगित किया जाए। केवल देशहित के लिए की जाने वाली आपातकालीन एवं अत्यधिक आवश्यक विदेश यात्राओं को ही प्रधानमंत्री द्वारा अनुमति दी जाए। विदेश यात्राओं पर खर्च की जाने वाली यह राशि (जो पिछले पाँच सालों में केवल प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय मंत्रियों की विदेश यात्रा के लिए 393 करोड़ रुपये है) कोरोना वायरस से लड़ाई में सार्थक तौर से उपयोग की जा सकती है।
पाँचवां, ‘पीएम केयर्स’ फंड की संपूर्ण राशि को ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत फंड’ (‘पीएम-एनआरएफ’) में स्थानांतरित किया जाए। इससे इस राशि के आवंटन एवं खर्चे में एफिशियंसी, पारदर्शिता, जिम्मेदारी तथा ऑडिट सुनिश्चित हो पाएगा। जनता की सेवा के फंड के वितरण के लिए दो अलग-अलग मद बनाना मेहनत व संसाधनों की बर्बादी है। पीएम-एनआरएफ में लगभग 3800 करोड़ रुपये की राशि (वित्तवर्ष 2019 के अंत तक) बिना उपयोग के पड़ी है। यह फंड तथा ‘पीएम-केयर्स’ की राशि को संयुक्त रूप से उपयोग में लाकर, समाज में हाशिए पर रहने वाले लोगों को तत्काल खाद्य सुरक्षा चक्र प्रदान किया जाए।
कोरोना के हमले से लड़ने में हर भारतीय ने व्यक्तिगत रूप से त्याग किया है। उन्होंने आपके कार्यालय तथा केंद्र सरकार द्वारा दिए गए हर सुझाव, निर्देश एवं निर्णय का पालन किया है। अब विधायिका एवं सरकार द्वारा लोगों के विश्वास व भरोसे पर खरा उतरने का समय आ गया है।
देश के समक्ष उत्पन्न हुई कोविड-19 की चुनौतियों से निपटने में हमारा संपूर्ण सहयोग आपके साथ है।
सादर,
कृते,
(श्रीमती सोनिया गांधी)
श्री नरेंद्र मोदी,
माननीय प्रधानमंत्री,
लोक कल्याण मार्ग,
नई दिल्ली – 110001