नई दिल्ली। यूपी में कोरोना जैसी महाविपत्ति के समय भी सरकारी महकमे में किस कदर भ्रष्टाचार और लूट-खसोट चल रही है उसका गवाह वहां के सत्तारूढ़ विधायक द्वारा लिखा गया एक पत्र है। बीजेपी के हरदोई ज़िले में गोपामऊ विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्याम प्रकाश ने इस सिलसिले में बाक़ायदा पत्र लिखकर अपने विधायक निधि से दी गयी धनराशि को वापस माँगा है। उन्होंने कहा है कि 16 अप्रैल, 2020 को उनके द्वारा विधायक निधि से दिए गए 24, 99940 रुपये की राशि के खर्चे का विवरण माँगा गया था। इस संबंध में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा था। लेकिन अभी तक उसके खर्चे के हिसाब की उनके पास कोई जानकारी नहीं आयी। उस पत्र में उन्होंने पूछा था कि उनकी राशि से कितने किट और स्वास्थ्य ज़रूरतों से जुड़े दूसरे उपकरण और सामग्री ख़रीदी गयी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उसका कोई जवाब नहीं दिया।
इसी के साथ उन्होंने हरदोई के मुख्य विकास अधिकारी को भेजे पत्र में 25 अप्रैल को अमर उजाला में प्रकाशित एक ख़बर का भी हवाला दे दिया। जिसमें कहा गया है कि हरदोई में चिकित्सा सामग्री क्रय करने में घोर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि “मेरे संज्ञान में आया है कि विधायक निधि की धनराशि में सामग्री क्रय में भ्रष्टाचार एवं कमीशन खोरी की बात चल रही है।”

और ऐसा आरोप लगाते हुए उन्होंने आगे अपनी धनराशि को वापस करने की माँग कर डाली है। उन्होंने कहा है कि “स्वास्थ्य विभाग को निर्गत की गयी धनराशि को तत्काल वापस लेने का कष्ट करें ताकि जनता के उक्त धन को जनहित में अन्य कार्यों में खर्च किया जा सके।”
हरदोई के मुख्य विकास अधिकारी को लिखा गया यह ख़त योगी सरकार की कोरोना से लड़ने की पूरी कार्यशैली और पद्धति पर ही सवाल खड़ा कर देती है। यह आरोप किसी विपक्ष के नेता या फिर विधायक ने लगाया होता तो एकबारगी इसे राजनीति से प्रेरित समझकर दरकिनार किया जा सकता था। लेकिन अगर सत्ता पक्ष के विधायक ने ऐसा कहा है तो उसके पीछे न केवल तथ्य हैं बल्कि यह बड़े अपराध की तरफ़ भी इशारा करता है। बहरहाल अभी तक इस पर योगी या फिर उनके दफ़्तर से किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आयी है। और न ही बीजेपी ने इस पर अभी तक कोई बयान दिया है। हालाँकि विपक्ष की तरफ़ से भी इस पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।
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