बस्तर संभाग की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों और उनके साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

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बस्तर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में मौजूद जेलों की वर्तमान स्थिति को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य शासन से जवाब मांगा है। दरअसल जगदलपुर केंद्रीय जेल के साथ कांकेर, दंतेवाड़ा और भानुप्रतापपुर उप जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को रखे जाने और उनके साथ होने वाले अमानवीय बर्ताव को लेकर राज्य के एक वकील शिवराज सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

याचिका में उन्होंने चीफ जस्टिस को बताया कि राज्य की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा जा रहा है। उनके साथ अमानवीय बर्ताव किया जा रहा है। इस पत्र को जनहित याचिका मानते हुए हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू की है और शासन की ओर से भी स्वीकार किया गया है कि जिलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं। लेकिन उनके स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं को लेकर काम किया जा रहा है।

हाईकोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को जेलों की स्थिति पर न्याय मित्र रणवीर सिंह मरहास के साथ मिलकर रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। साथ ही राज्य शासन को भी जेलों की स्थिति में सुधार के लिए किए गए प्रयासों को लेकर जवाब देने को कहा गया है।

राज्य के अन्य केंद्रीय जेलों और उप जेलों की तरह बस्तर के केंद्रीय जेल और बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में मौजूद जेलों में भी क्षमता से अधिक कैदियों को रखा जा रहा है।

जेल प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक संभाग का सबसे बड़ी केंद्रीय जेल अपनी क्षमता से ज्यादा कैदियों की समस्या से जूझ रहा है। केंद्रीय जेल जगदलपुर की क्षमता 1450 कैदियों की है लेकिन मजबूरन यहां 1600 से भी ज्यादा कैदियों को रखा गया है।

इसके अलावा दंतेवाड़ा जिले में मौजूद उप जेल में भी क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं, वहीं भानुप्रतापपुर और कांकेर उप जेलों की स्थिति भी ऐसी ही बनी हुई है। यहां भी क्षमता से अधिक कैदियों को रखा गया है। हालांकि जेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जेल में भले ही क्षमता से अधिक कैदियों को रखा गया है लेकिन उनके साथ अमानवीय बर्ताव वाली स्थिति नहीं है।

कैदियों की संख्या ज्यादा होने के बाद भी बस्तर के संवेदनशील क्षेत्र होने से बाकायदा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है। साथ ही सीसीटीवी से भी कैदियों पर नजर रखी जाती है। जगदलपुर केंद्रीय जेल अधीक्षक अमित शांडिल्य का कहना है कि उनके केंद्रीय जेल में क्षमता से करीब 200 से ज्यादा कैदी हैं। लेकिन जेल में व्यवस्था पूरी तरह से दुरुस्त है। कैदियों को किसी तरह की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े इसके लिए जेल प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ का बस्तर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से दक्षिण बस्तर के सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और इधर नारायणपुर के जेल में भी जेल प्रशासन को खासी सावधानी और सुरक्षा बरतनी पड़ती है, क्योंकि पकड़े गए नक्सलियों के मददगारों की नजर इन्हीं जेलों पर रहती है।

करीब 15 साल पहले दंतेवाड़ा उप जेल में जेल ब्रेक की घटना भी हो चुकी है, जहां 300 से ज्यादा कैदी फरार हो गए थे, ऐसे में बस्तर संभाग के इन जेलों में सुरक्षा के खास इंतजाम करने के साथ ही कैदियों के लिए जरूरी व्यवस्था को दुरुस्त कर रखना जेल प्रशासन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है।

फिलहाल कोर्ट के राज्य शासन से जवाब मांगने के बाद शासन द्वारा जल्द ही क्षमता से अधिक कैदियों के मामले में ठोस कदम उठाए जाने की बात कही जा रही है।

(छत्तीसगढ़ से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट)

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