प्रयागराज। समकालीन जनमत पत्रिका की प्रबंध संपादक, जन संस्कृति मंच उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता कॉ. मीना राय का आज प्रयागराज में अंतिम संस्कार कर दिया गया। कटरा से निकली उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। दाराजंग स्थित विद्युत शवदाह गृह में उनका दाह संस्कार किया गया। इसके पहले उनका शव कुछ देर के लिए आंदन भवन के सामने स्थित सीपीआई (एमएल) कार्यालय पर भी रखा गया।
आज कॉमरेड मीना राय की अंतिम यात्रा से पहले आवास पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यालय पर हुई संक्षिप्त श्रद्धांजलि के दौरान भाकपा माले के वरिष्ठ नेता पोलित ब्यूरो सदस्य कॉ. स्वदेश भट्टाचार्य ने कहा कि मीना राय जिनको प्यार से बहुत लोग मीना भाभी कहते हैं वह पार्टी की शुरुआत से ही अहम भूमिका निभाती रही हैं। सिर्फ वही कम्युनिस्ट नहीं बनी बल्कि पूरी पीढ़ी को कम्युनिस्ट बनने की प्रेरणा दी। पार्टी की विचारधारा को फैलाने में स्तंभ की भूमिका निभाईं। किसी भी तरह का आंदोलन और पार्टी की कोई गतिविधि हो उसको अपना मानकर पूरा करना उनके व्यवहार में था। उन्होंने जनमत पत्रिका की शुरुआत से लेकर अब तक बढ़ाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जाना पार्टी के लिए बहुत ही बड़ी क्षति है।
कल 21 नवंबर की सुबह मस्तिष्क के पक्षाघात से उनका निधन हुआ। यह दौरा इतना घातक था कि इसने इलाज के लिए समय भी नहीं दिया और वह देखते-देखते हम सबसे दूर चली गईं। वह समाज, राजनीति और संस्कृति की दुनिया में पुरावक्ती कार्यकर्ता थीं। वे जनवादी और प्रगतिशील दुनिया की जरूरत थीं।

उन्होंने कहा कि मीना राय पेशे से शिक्षिका रही हैं। उनका जीवन संघर्ष से भरा रहा है। यह समझा भी जा सकता है। उनके जीवन साथी रामजी राय छात्र जीवन से ही पूर्णकालिक कार्यकर्ता रहे हैं और हैं। संप्रति वे भाकपा माले के पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं। ऐसे में मीना राय जी के दायित्व को समझा जा सकता है। यह न सिर्फ उनका अपने बच्चों के प्रति रहा है बल्कि ऐसा ही समर्पण तमाम साथियों के साथ भी रहा है। अपनी बेटी समता, बेटा अंकुर और नातिन रुनझुन आदि को उन्होंने सृजनात्मक रूप से तैयार किया। अनेक साथियों को तैयार करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मां की तरह साथियों की देखरेख करना, उनका ख़याल रखना तथा उन्हें सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से तैयार करना, उनमें यह खास गुण था।
उनका कहना था कि मीना राय जी अध्यापक पेशे से सेवा मुक्त होने के बाद अपना संपूर्ण जीवन जनवादी व प्रगतिशील विचारधारा और साहित्य के प्रचार- प्रसार में लगा दिया था। वे जहां-जहां जातीं उनका पुस्तक केंद्र वहां उनके साथ भ्रमण करता। सम्मेलन हो, रैली हो, सभा हो, सांस्कृतिक कार्यक्रम हो या कोई भी आयोजन हो, उनका पुस्तक केंद्र वहां मौजूद रहता। इसकी भूमिका घूमता पुस्तक केंद्र की रही है। वह मंच की नहीं विचार की दुनिया की साथी रही हैं, जमीन और व्यवहार की साथी।
‘समकालीन जनमत’ की प्रबंधन व्यवस्था को जिस मजबूती के साथ उन्होंने संभाल रखा था, उनके इस योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

मीना राय के अंदर लेखन की भी अद्भुत प्रतिभा थी। उन्होंने अपने जीवन की संघर्ष यात्रा को ‘समर न जीते कोय’ शीर्षक से लिपिबद्ध करना शुरू किया। उन्होंने इसके 29 खंड लिखे। इसे आगे बढ़ाने की उनकी योजना थी।
आज मीना राय नहीं है, पर वे हैं और रहेंगी। उन्होंने संघर्ष करके कठिनाइयों से जूझते हुए जो राह बनाई है, रास्ता दिखाया है हम सब उन्हें याद करते हुए उस राह पर चलेंगे, बढ़ेंगे। मीना राय जी का परिवार बहुत बड़ा है और उनके जाने का दुख भी महादुख है।
आज श्रद्धांजलि व यात्रा में भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य, बिहार राज्य सचिव कॉमरेड कुणाल, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव कॉ. सुधाकर, ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, लोकयुद्ध के संपादक संतोष शहर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह, झारखंड से भाकपा माले विधायक कॉमरेड विनोद सिंह, जनसंस्कृति मंच के महासचिव मनोज सिंह, जसम उप्र के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर, कथाकार हेमंत, पत्रकार दयाशंकर राय, ऐक्टू के प्रदेश अध्यक्ष विजय विद्रोही, आइसा के प्रदेश अध्यक्ष आयुष श्रीवास्तव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रणय कृष्ण, बसंत त्रिपाठी, कुमार वीरेंद्र, लक्ष्मण गुप्ता, प्रो. अवधेश प्रधान, आशीष मित्तल, एडवोकेट केके राय, डॉ. स्वामीनाथ, पार्षद शिवसेवक सिंह, अविनाश मिश्र, सुरेंद्र राही, अंशु मालवीय, विनोद तिवारी, हिमांशु रंजन, हेरंब चतुर्वेदी, अजय जेटली, डॉ कमल, ऐपवा राज्य सचिव कुसुम वर्मा, पद्मा सिंह, गायत्री गांगुली, फिल्मकार संजय जोशी, कवि रूपम मिश्र, नीलम शंकर, अनीता गोपेश, अनिल रंजन भौमिक, पंचम लाल, राम शिया, सुशील मानव, आरवाईए प्रदेश सचिव सुनील मौर्य, मनीष कुमार, शिवानी समेत शहर के अतिरिक्त दिल्ली, झारखंड, बिहार, राज्य व लखनऊ, बनारस, आजमगढ़ आदि शहरों से लेखक, पत्रकार एक्टविस्ट, भाकपा माले से जुड़े लोग शामिल रहे।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)