नई दिल्ली। दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन लगातार 54वें दिन जारी है और किसान आज 18 जनवरी को ‘महिला किसान दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। वहीं, किसान आंदोलन को मज़बूती प्रदान करने के लिए महिला कांग्रेस ने आज देश भर के, हर जिले में ‘’महिला किसान दिवस’ मनाने का ऐलान किया है।
दिल्ली के टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान लगातार पहुंच रहे हैं। हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश से किसानों का जत्था लगातार दिल्ली पहुंच रहा है। आज दिल्ली की सीमाओं पर भारी संख्या में महिलाएं पहुंच रही हैं।
सोमवार को महिलाओं ने मोर्चा संभाला। शाहजहांपुर बॉर्डर पर जारी क्रमिक अनशन में भी महिलाओं ने ही भाग लिया। 24 घंटे के अनशन पर जो कार्यकर्ताएं बैठी हैं उनमें राजबाला यादव, परमेश्वरी, गीता छींपा, अश्वनी संतोष चौहान, लता बाई नामदेव, सकूबाई धनराज, शोभाबाई शुक्र लाल, मंगल शिवाजी वाग, वानू बाई जीरा, कम्मू बाई मनोहर, दुर्गा देवी और मंनू देवी शामिल हैं।
इससे पहले दूध पिलाकर रविवार के क्रमिक अनशकारियों का अनशन खुलवाया गया। महाराष्ट्र व गुजरात से हजारों महिलाएं शाहजहांपुर मोर्चे पर पहुंची। सर्वोच्च न्यायालय में महिलाओं की भागीदारी के प्रति नकारात्मक टिप्पणी से आहत होकर महिला किसानों का दल गुजरात व महाराष्ट्र से शाहजहाँपुर के लिए रवाना हुआ था।
आज सभा का संचालन भी महिलाओं ने ही किया और भाषण भी केवल महिलाओं के हुए। अध्यक्ष मंडली में प्रतिभा शिंदे, चन्द्रकला, निशा, राजबाला ब वर्षा देशपांडे शामिल थीं।
वक्ताओं में रुक्मणी, वर्षा चोपड़ा, सुमित्रा चोपड़ा, कविता श्रीवास्तव, सुनीता चतुर्वेदी, प्रतिभा शिंदे, राइजा बाई व मंजू यादव शामिल थे। वक्ताओं ने आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी और बढ़ाने का संकल्प लिया।
महिला किसान दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया गया। आस-पास की महिलाओं ने ट्रैक्टर मार्च निकाल कर आंदोलन में भाग लिया। इस आंदोलन को आने वाले दौर में महिलाओं के अग्रणी योगदान के लिए भी याद किया जाएगा।
किसान मजदूर संगठन, पंजाब की तरफ से आज सिंघु बॉर्डर पर कई कॉरपोरेट कंपनियों और केंद्र सरकार के पुतले भी जलाए गए। किसान आंदोलन के दौरान आज मंच का संचालन महिलाओं के हाथ में है।
चंडीगढ़-पंजाब बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला। वहीं अमृतसर के भंडारी पुल पर कृषि से जुड़ी महिलाओं ने कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करके महिला किसान दिवस मनाया।
हरियाणा के चरखी दादरी शहर में किसानों ने 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के लिए जनजागरण अभियान के तहत आज अभूतपूर्व ट्रैक्टर मार्च निकाला। वहीं, “किसान दिल्ली चलो यात्रा” 15 जनवरी को ओड़िशा से संयुक्त किसान मोर्चा के दिल्ली में हो रहे आंदोलन को मजबूती देने के लिए लगभग हजार लोगों के साथ शुरू हो गई है।
सीपीआई सहित सभी वाम दलों ने आज के महिला दिवस को समर्थन दिया है।
ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन एसोसिएशन की अगुवाई में महिलाओं का जत्था भी आज गाजीपुर पहुंचा है। किसान आंदोलन के समर्थन में आयोजित महिला किसान दिवस के तहत आज पटना में ऐपवा सहित अन्य महिला संगठनों ने प्रदर्शन मार्च किया।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के सहयोग के लिए ‘एक रुपया, एक पैली धान’ अभियान में इकट्ठा किए गए 53 टन चावल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी उसे बदनाम करने की कोशिश करती है। किसानों के आंदोलन को पाकिस्तानी, खालिस्तानी आदि कह कर इस आंदोलन को तोड़ने और ख़त्म करने की कोशिश की किन्तु किसानों ने इसकी परवाह नहीं की, वे नहीं डरे।
इस बीच शिवकुमार शर्मा कक्का जी के आरोपों को ख़ारिज करते हुए किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि, जिस अख़बार ने यह ख़बर प्रकाशित किया है उसके और कक्काजी के खिलाफ नोटिस जारी करेंगे और कोई प्रमाण है तो देने को कहेंगे। चढ़ूनी ने कहा कि यह संक्युत किसान मोर्चे का आरोप नहीं बल्कि एक व्यक्ति (शिवकुमार शर्मा कक्का) का आरोप है। वह पहले आरएसएस से जुड़े हुए थे और आरएसएस हमेशा इस आंदोलन को तोड़ने के प्रयास में है।
चढ़ूनी ने कहा कि उनके टेंट में कई राजनैतिक दलों के नेता आते हैं इसका मतलब यह नहीं कि हम उनका फायदा ले रहे हैं या उनसे कोई वार्ता कर रहे हैं। हमने कभी किसी नेता को मंच नहीं दिया है। आंदोलन का विरोध करने वाले किसी दल का कोई नेता समर्थन देने आएगा तो हम उन्हें भगा नहीं देंगे।
(पत्रकार नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)
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