सीपीएम और कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता कोलकाता में विरोध प्रदर्शन करते हुए।

कांग्रेस और वाम दलों ने किया पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का विरोध, सोनिया ने कहा-मुनाफाखोरी से बाज आए सरकार

नई दिल्ली/लखनऊ। कांग्रेस और वाम दलों ने आज पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसके तहत जगह-जगह धरना-प्रदर्शन हुए और तरह-तरह से लोगों ने इसका विरोध किया। इस मौके पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उनका कहना था कि कच्चे तेल की कीमत गिर रही है, इसका फायदा जनता को देना चाहिए लेकिन सरकार ने टैक्स बढ़ाकर जनता से 18 लाख करोड़ की अतिरिक्त वसूली की?

एक वीडियो संदेश के माध्यम से उन्होंने कहा, “पिछले 3 महीनों में मोदी सरकार ने 22 बार लगातार पेट्रोल/डीजल की कीमत में बढ़ोतरी की है। 2014 के बाद मोदी सरकार ने जनता को कच्चे तेल की गिरती कीमतों का फायदा देने की जगह पेट्रोल/डीजल पर 12 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर 18 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त वसूली की।”

सोनिया ने कहा, सरकार की जिम्मेदारी ये है कि वो मुश्किल समय में देशवासियों का सहारा बने न कि उनकी मुसीबत का फायदा उठाकर मुनाफाखोरी करे।

उधर वाम दलों ने भी जगह-जगह प्रदर्शन किया। राजधानी लखनऊ में भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) समेत वाम दलों ने संयुक्त धरना देकर और मार्च निकाल कर जिला प्रशासन को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मुख्य रूप से डीजल-पेट्रोल की मूल्यवृद्धि वापस लेने, इनके मूल्य निर्धारण का अधिकार तेल कंपनियों से वापस लेकर पुरानी प्रणाली बहाल करने, प्राकृतिक और राष्ट्रीय संसाधनों का निजीकरण रोकने और पेट्रो उत्पादों पर करों में फौरन कटौती कर जनता को राहत देने की मांग की।

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राजधानी लखनऊ में वाम दलों के नेता व कार्यकर्ता आज विरोध मार्च निकालने से पहले भाकपा के कैसरबाग स्थित कार्यालय परिसर में एकत्र हुए और संयुक्त धरना दिया। यहां हुई सभा में नेताओं ने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में लगातार गिरावट हो रही है, ऐसे समय में देश में इनकी कीमतों में रोजाना बढ़ोतरी कर मोदी सरकार जनता की गाढ़ी कमाई को लूट रही है। कोविड महामारी और महंगाई से परेशान जनता पर सरकार और भी महंगाई का बोझ लगातार बढ़ा रही है। सारे मोर्चों पर विफल मोदी सरकार की नीतियां देश को तबाही की ओर ले जा रही हैं। 

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वक्ताओं ने राजग सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज करने का आह्वान किया। सभा के बाद वाम दलों व जनसंगठनों के कार्यकर्ताओं ने झंडे-बैनर के साथ सरकार-विरोधी नारे लगाते हुए जिलाधिकारी कार्यालय जाने के लिए मार्च शुरू कर दिया। कुछ दूर जाने पर पुलिस ने जुलूस को रोका और एसीपी ने आकर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन लिया। मार्च और धरने में भाकपा (माले) के रमेश सेंगर, एक्टू के चंद्रभान गुप्ता, इंकलाबी नौजवान सभा के राजीव, भाकपा के फूलचंद यादव, महिला फेडरेशन की आशा मिश्रा, इप्टा के राकेश, माकपा के छोटेलाल, एडवा की मधु गर्ग, सीटू के पीएन राय और फारवर्ड ब्लॉक के एसपी विश्वास ने प्रमुख रूप से भाग लिया।

लखनऊ के अलावा, प्रयागराज, वाराणसी, आजमगढ़, आगरा, अयोध्या,  जालौन, लखीमपुर खीरी, गाजीपुर, चंदौली, मऊ, देवरिया, रायबरेली, सीतापुर, कासगंज, बहराइच आदि जिलों में वाम दलों ने प्रदर्शन किया।

इसी तरह से देश के अलग-अलग हिस्सों में कांग्रेस और वाम दलों के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया।

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