अडानी से पंगा लेना महुआ को भी भारी पड़ सकता है, तगड़ी घेरेबंदी की तैयारी

नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़े कथित तौर पर सवाल के बदले पैसे लेने के मामले में अब बड़ा धमाका हुआ है। जिन दर्शन हीरानंदानी नामक बिल्डर और कारोबारी की मदद करने का आरोप महुआ मोइत्रा पर लगा है, अब उन्होंने ही महुआ के ख़िलाफ़ बड़ा सनसनीखेज बयान दिया है। यानी वह सरकारी गवाह बन गए है।

हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने हलफनामा देकर दावा किया है कि महुआ मोइत्रा ने उन्हें लोकसभा के पोर्टल का लॉगइन और अपना पासवर्ड दिया था ताकि ज़रूरत पड़ने पर वह सीधे सवाल पोस्ट कर सके। लोकसभा की आचार समिति को दिया गया हीरानंदानी का यह हलफनामा भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के लगाए गए आरोप के बाद आया है। हालांकि इस हलफनामे पर महुआ मोइत्रा ने भी बड़े सवाल खड़े किए हैं, लेकिन बहरहाल उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी के हलफनामे को एक मजाक बताया है और कहा है कि इसका मसौदा प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा तैयार किया गया और हीरानंदानी को इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। महुआ ने यह भी सवाल उठाया है कि यदि ऐसा नहीं है तो दर्शन हीरानंदानी ने प्रेस कांफ्रेंस क्यों नहीं की या आधिकारिक तौर पर अपने ट्विटर अकाउंट पर इसे जारी क्यों नहीं किया? उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि हलफनामा सादे कागज पर क्यों है और हीरानंदानी समूह के लेटरहेड पर क्यों नहीं है?

महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी के हलफनामे पर और भी तमाम सवाल खड़े किए हैं, लेकिन उनका जिक्र करने से पहले यह चर्चा करना जरूरी है कि महुआ मोइत्रा पर क्या आरोप लगे हैं और हीरानंदानी के हलफनामे में क्या कहा गया है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बीते रविवार को आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने अडानी समूह पर संसद में सवाल पूछने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से नकदी और कई तरह के उपहार लिए हैं। दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिख कर महुआ मोइत्रा को सदन से तत्काल निलंबित करने की मांग की थी।

यह आरोप लगाने के एक दिन बाद ही निशिकांत दुबे ने कहा था कि इसकी जांच की जाए कि क्या महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी को लोकसभा वेबसाइट की लॉगइन और पासवर्ड दिया था। उन्होंने इसके लिए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव और उनके कनिष्ठ मंत्री राजीव चंद्रशेखर को पत्र लिखा।

इतना ही नहीं, निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा की कुछ निजी तस्वीरें भी ट्विटर के जरिए सार्वजनिक की। गौरतलब है कि महुआ मोइत्रा और निशिकांत दुबे के बीच पुरानी राजनीतिक अदावत है। महुआ के मुताबिक निशिकांत दुबे बहुत पहले से अडाणी समूह के लिए काम करते आ रहे हैं। काफी समय पहले महुआ ने ही निशिकांत दुबे की फर्जी डिग्रियों का मामला लोकसभा में उठाया था और लोकसभा स्पीकर से कार्रवाई की मांग की थी, जिस पर आज तक कुछ नहीं हुआ है।

बहरहाल निशिकांत दुबे के पत्र से शुरू से हुए ताजा घटनाक्रम के बीच गुरुवार को दर्शन हीरानंदानी का विस्फोटक हलफनामा मीडिया के जरिए सामने आ गया।

लोकसभा की आचार समिति को गुरुवार को सौंपा गया दर्शन हीरानंदानी का तीन पेज हलफनामा हीरानंदानी समूह की ओर से मीडिया को जारी किया गया। दुबई में रहने वाले दर्शन हीरानंदानी ने अपने हलफनामे में कहा है, ”महुआ मोइत्रा ने सोचा कि प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करने का एकमात्र तरीका गौतम अडानी और उनके समूह पर हमला करना है, क्योंकि दोनों एक ही राज्य गुजरात से हैं।’’

हीरानंदानी ने अपने हलफनामे में कहा, ”सुश्री मोइत्रा ने कुछ सवालों का मसौदा तैयार किया जिसमें अडानी समूह को निशाना बनाकर सरकार को शर्मिंदा करने वाली बातें थी। उन्होंने सांसद के तौर पर अपनी ईमेल आईडी मेरे साथ साझा की, ताकि मैं उन्हें उन सवालों के बारे में जानकारी भेज सकूं और वे संसद में सवाल उठा सके। मैं उनके प्रस्ताव को मान गया।’’

अपने हलफनामे में हीरानंदानी ने कहा, ”उन्होंने मुझसे अडानी समूह पर अपने हमलों में में उनका समर्थन जारी रखने का अनुरोध किया और मुझे लोकसभा की वेबसाइट का अपना लॉगइन और पासवर्ड दिया ताकि मैं जरूरत पड़ने पर सीधे उनकी ओर से सवाल पोस्ट कर सकूं।’’

हीरानंदानी ने हलफनामे में यह भी दावा किया है कि महुआ मोइत्रा को इस प्रयास में कुछ पत्रकारों, विपक्षी नेताओं और अडानी समूह के पूर्व कर्मचारियों सहित अन्य लोगों से समर्थन मिला, जो अडानी की सफलता से जलते थे और जिन्होंने उन्हें असत्यापित जानकारियां दीं। इस संदर्भ में उन्होंने सुचेता दलाल का नाम भी लिया। वरिष्ठ पत्रकार और मनीलाइफ की प्रबंध संपादक सुचेता दलाल ने अपने से संबंधित इन आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ”…मैं महुआ मोइत्रा को नहीं जानती और मुझे लगता है कि वे भी इसकी पुष्टि कर सकती हैं। इसलिए उनकी मदद करने का तो सवाल ही नहीं उठता, न ही उन्होंने कभी मुझसे संपर्क कर कोई मदद मांगी।’’

हीरानंदानी के हलफनामे में कहा गया है कि महुआ मोइत्रा ने उनसे उपहार में महंगी वस्तुओं के अलावा दिल्ली में उनके आधिकारिक बंगले के नवीनीकरण और देश-विदेश की उनकी यात्राओं के लिए खर्च के लिए आर्थिक सहायता मांगी थी। उन्होंने कहा कि वे उन्हें नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकते थे।

हीरानंदानी के हलफनामे के बाद देर रात मीडिया को जारी एक बयान में महुआ मोइत्रा ने दावा किया है, ”हीरानंदानी को उनके सभी व्यवसायों को पूरी तरह से बंद करने की धमकी दी गई थी। उनसे कहा गया था कि वे तबाह हो जाएंगे, सीबीआई उन पर छापा मारेगी, सार्वजनिक क्षेत्र की सभी बैंकों से उनके कारोबार को मिलने वाला वित्तपोषण तुरंत बंद कर दिया जाएगा, जिससे उनके सभी व्यवसाय बंद हो जाएंगे।’’

मोइत्रा ने अपने बयान में कहा है कि तीन दिन पहले (16 अक्टूबर को) हीरानंदानी समूह ने एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि उनके खिलाफ सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं….और आज एक सरकारी गवाह वाला हलफनामा मीडिया को जारी कर दिया गया। यह हलफनामा एक सफ़ेद कागज के टुकड़े पर है, न किसी लेटरहेड पर।

इस पूरे मामले में यह उल्लेखनीय है कि अडानी समूह के ख़िलाफ़ 24 जनवरी की एक रिपोर्ट में यूएस शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर स्टॉक में हेराफेरी और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि उसने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इस सिलसिले में लगभग आधा दर्जन देशों का दौरा किया। हालांकि अडानी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया था लेकिन इस रिपोर्ट बाद से शेयर बाज़ार अडानी समूह के शेयरों की कीमतें बुरी तरह गिरने लगीं।

महुआ मोइत्रा इस मामले के सामने आने के बाद से ही अडानी समूह को लेकर लगातार सवाल उठा रही हैं। उन्होंने लोकसभा में भी सवाल उठाए हैं और सोशल मीडिया में भी। फरवरी महीने में महुआ मोइत्रा ने न केवल अडानी समूह पर गंभीर आरोप लगाए थे, बल्कि सेबी को भी कठघरे में खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था, ”सेबी और अडानी के बीच साठगांठ है। सेबी के शीर्ष अधिकारी अडानी के रिश्तेदार हैं, इसलिए उन्होंने अडाणी की गड़बड़ियों को अनदेखा किया। अडानी ने उनकी मिलीभगत से मनमाने तरीके से सब किया।’’

बहरहाल दर्शन हीरानंदानी के सरकारी गवाह बन कर महुआ मोइत्रा के खिलाफ हलफनामा देने से महुआ की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। यह तय है कि सरकार उन पर शिकंजा कसेगी। उनकी मुश्किलें बढ़ने की दो वजहें बहुत साफ हैं। एक, उन्होंने देश के सबसे बड़े और शक्तिशाली कॉरपोरेट समूह से पंगा लिया है, जिस पर सरकार पूरी तरह मेहरबान है। उसके लिए कई नेता, जन प्रतिनिधि, अधिकारी, मीडिया से जुडे लोग आदि अपनी जान दांव पर लगा सकते हैं। दूसरी वजह यह है कि उनके बेहद करीबी रहे व्यक्ति ने विश्वासघात किया है और उनसे संबंधित सच्ची-झूठी जानकारियां अडानी समूह के करीबी भाजपा सांसद तक पहुंचाई हैं।

बताया जा रहा है कि वकील जय अनंत देहद्रई किसी समय महुआ मोइत्रा के पार्टनर थे। एक कहानी यह है कि महुआ मोइत्रा के पालतू कुत्ते हेनरी को लेकर भी दोनों के बीच विवाद हुआ था और मामला पुलिस तक पहुंचा था। पुलिस के हस्तक्षेप से ही आखिरकार उनका हेनरी उन्हें वापस मिला था। अब उन्हीं जय अनंत देहद्रई ने 38 पन्नों का एक दस्तावेज तैयार कर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को सौंपा, जिसमें इस बात की जानकारी दी गई है कि हीरानंदानी समूह के दर्शन हीरानंदानी के कहने पर महुआ ने लोकसभा में सवाल पूछे। उस दस्तावेज के आधार पर ही निशिकांत दुबे ने महुआ को कठघरे में खड़ा करते हुए उन्हें लोकसभा से निलंबित करने की मांग की है।

जो भी हो, जिस तरह से दर्शन हीरानंदानी ने सरकारी गवाह बन कर महुआ मोइत्रा के खिलाफ हलफनामा दिया है, उससे जाहिर है कि अडानी समूह और सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से महुआ की तगड़ी घेराबंदी करने की तैयारी की गई है। महुआ मोइत्रा ने कहा है कि वे अपने चरित्र हनन की कोशिशों से डरने वाली नहीं है और अडानी समूह के घोटालों के खिलाफ संसद में और संसद के बाहर भी आवाज उठाती रहेंगी। उन्होंने कहा कि ईडी, सीबीआई और जो भी एजेंसी उनके यहां आना चाहे, आ सकती हैं, उनका स्वागत है लेकिन पहले उन्हें अडानी के यहां जाना होगा।

बहरहाल, लोकसभा की आचार समिति को महुआ मोइत्रा के खिलाफ दर्शन हीरानंदानी द्वारा दिए हलफनामे के बाद यह तय है कि महुआ के खिलाफ विशेषाधिकार का मामला बनेगा ही। इसके साथ ही सीबीआई और ईडी का मामला भी बनने की पूरी संभावना है।

महुआ मोइत्रा की मुश्किलें यहीं पर खत्म नहीं हो रही हैं कि देश का सबसे ताकतवर कारोबारी घराना और सर्वशक्तिशाली सरकार उनके पीछे पड़ी है। उनकी मुश्किल यह भी है कि उनकी अपनी पार्टी भी इस मामले में खुल कर उनका समर्थन नहीं कर रही है। असल में महुआ मोइत्रा ने अपनी पार्टी के अंदर बहुत लोगों को नाराज किया है। पार्टी की सुप्रीमो ममता बनर्जी भी उनसे खुश नहीं हैं। उनकी अति सक्रियता से पार्टी के नेता खुश नहीं हैं।

तृणमूल कांग्रेस के संसदीय नेताओं को लगता है कि महुआ मोइत्रा जो मुद्दे उठाती हैं उनसे उनको तो प्रचार मिलता है लेकिन पार्टी को कोई फायदा नहीं होता। यह बात काफी हद तक सच भी है, क्योंकि पहली बार की सांसद महुआ मोइत्रा पार्टी के तमाम पुराने और धाकड़ नेताओं से ज्यादा लोकप्रिय हो गई हैं। वे लोकसभा में बहुत आक्रामक भाषण देती हैं और उनके भाषण का वीडियो पूरे देश में वायरल होता है। वे संसद के अंदर विपक्ष की आवाज बन गई हैं। यह बात पार्टी के नेताओं को रास नहीं आती है।

दूसरे ममता बनर्जी का परिवार खुद ही मुसीबत में फंसा है। ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रूजिरा से सीबीआई और ईडी की पूछताछ चल रही है और दोनों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी है। इसलिए ममता बनर्जी और पार्टी की प्राथमिकता अभिषेक को बचाने की है। इसके लिए जरूरी हुआ तो महुआ की बलि दी जा सकती है। यही कारण है कि निशिकांत दुबे की शिकायत पर महुआ का विवाद शुरू होने के बाद पार्टी उनके समर्थन में नहीं उतरी है। वे अकेले अपना बचाव कर रही हैं।

(अनिल जैन वरिष्ठ पत्रकार हैं और दिल्ली में रहते हैं।)

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