मुंबई के मतदाताओं के बीच यह मीम वायरल हो रहा है। दहिसर (ईस्ट) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल है, जिसमें मतदान केंद्र के बाहर हजारों पुरुष और महिला मतदाताओं की लंबी कतार देखी जा सकती है। हालत यह थी कि वीडियो में लोगों की कतार खत्म होने का नाम नहीं ले रही। यही हाल मुंबई और ठाणे के मुम्ब्रा इलाके में कई बूथों पर भी देखने को मिला है। 37 से 40 डिग्री तापमान में भरी दोपहरी में मुंबई के मतदाता यही सोचकर घर से निकले थे कि आधे-एक घंटे के भीतर मतदान प्रक्रिया पूरी हो जायेगी। लेकिन भयानक उमस और कड़ी धूप के बीच बेहद धीमी मतदान प्रक्रिया से हैरान-परेशान बहुत से लोग बीच में ही मतदान किये बगैर ही अपने घरों को लौट गये।
इसकी कुछ और बानगी इस प्रकार से देखने को मिल रही है। “मतदान का अनुभव इतना खराब रहा कि किसी भी फर्स्ट टाइम वोटर के लिए अगली बार मतदान में हिस्सेदारी करने के बारे में सौ बार सोचना पड़ेगा।” यह कहना है वेदांत जाधव का, जो पहली बार वोटर के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए कल वोट डालने मतदान केंद्र पर पहुंचे थे।
इसी प्रकार मुंबई उत्तर लोकसभा सीट में कांदिवली (ईस्ट) के मतदान का अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करते हुए के नायर लिखती हैं, “लंबी लाइनें, बेहद धीमी गति से चलने वाली मतदान प्रक्रिया, वोट करने के लिए 2 घंटे लाइन में खड़े रहने, और उसके बाद 12:30 बजे दोनों मुख्य ईवीएम और बैकअप ने काम करना बंद कर दिया था। पोलिंग बूथ के भीतर जो वरिष्ठ नागरिक थे, वे हाथों में पहले से स्याही लग जाने की वजह से वापस घर भी नहीं जा सकते थे।”
लेकिन समाचार पत्रों की आज की सुर्ख़ियों में महाराष्ट्र और विशेषकर मुंबई में हुए बेहद कम मतदान को कुसूरवार ठहराया जा रहा है। कल शाम 8 बजे तक पांचवें चरण में 57.75% मतदान की खबर थी, जिसमें महाराष्ट्र से न्यूनतम 48.88% तो पश्चिम बंगाल से सर्वाधिक 73% मतदान की खबर है। कश्मीर में बारामूला लोकसभा सीट पर रिकॉर्डतोड़ 59% मतदान को कश्मीर में मोदी-शाह के सफल प्रयोग के तौर पर चित्रित किया जा रहा है। लेकिन मुंबई, ठाणे, भिवंडी और कल्याण में चुनाव आयोग की खराब व्यवस्था और जानबूझकर धीमी मतदान प्रक्रिया को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं, उसका यथोचित उत्तर चुनाव आयोग के पास नहीं है।
आमतौर पर मुंबई और बेंगलुरु के मतदाताओं के बारे में यही धारणा रही है कि इन मेट्रो के लोग मतदान में हिस्सा लेने के बजाय उस दिन छुट्टियां मनाने को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन जो रिपोर्ट कल से महाराष्ट्र से आ रही है, वह बेहद चौंकाने वाली है। पहली बार मुंबई को आम चुनाव में हिस्सेदारी करने को लेकर तगड़ा झटका लगा है। धारावी की कांग्रेस विधायक और लोकसभा उम्मीदवार वर्षा गायकवाड़ को शाम 5 बजे मतदाताओं से अपील करनी पड़ी कि वे मतदान केंद्र में घंटों प्रतीक्षारत रहे तो कृपया मतदान करके ही घर लौटें। आप सभी का एक-एक वोट बेहद कीमती है।
इससे पहले उन्होंने X पर एक वीडियो जारी कर अपने बयान में कहा, “धीमी गति से मतदान प्रक्रिया की वजह से पूरे मुंबई से नागरिकों को गर्मी में वोट डालने के लिए कतार में कई घंटों तक इंतजार करना पड़ रहा है, और उसके बाद ही मतदान करने में सक्षम होने या मतदान किए बगैर ही निराश होकर लौटने की चिंताजनक रिपोर्टें मिल रही हैं। इनमें से कई लोगों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले कभी वोट देने के लिए इतना लंबा इंतजार नहीं किया। ऐसी भी शिकायतें हैं कि ऐसी घटनाएं उन क्षेत्रों में अधिक दिखाई दे रही हैं, जहां India-MVA की मजबूत उपस्थिति है।
@ECISVEEP और @सीईओ_महाराष्ट्र से मेरा अनुरोध है कि इन शिकायतों का तुरंत समाधान करें और मतदान की गति में सुधार के लिए तत्काल उपाय करें। यह देखते हुए कि मुंबईकरों ने भीषण गर्मी का सामना किया है और बड़ी संख्या में मतदाता मतदान केंद्र पर आ रहे हैं, ऐसे में मैं यह भी मांग करती हूं कि मतदान का समय एक घंटा बढ़ाया जाए।”
बता दें कि पांचवें चरण के चुनाव में महाराष्ट्र की 13 सीटों पर चुनाव कल हो रहा था। इनमें मुंबई की 6 और प्याज क्षेत्र के लिए देश में मशहूर जिलों की 7 सीटों पर सारे महाराष्ट्र की निगाहें टिकी हुई थीं। 2019 में भाजपा-शिवसेना इनमें से सभी सीटों पर विजयी रही थी। लेकिन 5 साल बाद हालात काफी बदल चुके हैं। इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी पूरे दमखम के साथ इस चुनाव को लड़ रही है। यह चुनाव महाराष्ट्र की अस्मिता, मराठा आरक्षण, किसानों की बदहाली और आत्महत्या और सबसे बढ़कर भाजपा के द्वारा महाराष्ट्र की दो क्षेत्रीय पार्टियों शिवसेना और एनसीपी को तोड़कर गुजरात के मातहत करने के खिलाफ मतदान को एक युद्धघोष में तब्दील कर देने का रहा है। यही वजह है कि जैसे-जैसे चुनाव अपने ऊरुज पर पहुंचने लगा, भाजपा और शिवसेना, एनसीपी से टूटकर निर्मित महायुती के लिए यह चुनाव एक भारी बवंडर बनकर उभरने लगा।
कहा तो यह भी जा रहा है कि भले ही सीटों के लिहाज से इंडिया गठबंधन को उत्तर प्रदेश में अधिक सीटें हासिल हो जायें, लेकिन चुनावी उलटफेर के लिहाज से महाराष्ट्र सबसे बड़े स्विंग स्टेट के तौर पर उभरने जा रहा है। राज्य में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं, और 2019 में एनडीए के पक्ष में 42 सीटें आई थीं। इस बार माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन कम से कम 20 और अधिकतम 30 सीटें अपने नाम करने जा रही है। यानि अकेले महाराष्ट्र से इतना बड़ा उलटफेर होने जा रहा है कि यह 2019 में एनडीए के साझीदार दलों को हासिल कुल सीटों के मार्जिन को खत्म करने में सक्षम है, और एनडीए के बाकी 300 सीटों में कमी को कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से पूरा कर, एनडीए को 250 या उससे कम पर समेटा जा सकता है।
कल 20 मई सोमवार को पांचवें चरण के चुनाव को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। मुंबई की फ़ास्ट लाइफ में एक-दो दिन की छुट्टी भी आम लोगों के लिए एक अवसर बन जाती है। ऊपर से वीकेंड के बाद सोमवार को मतदान का मतलब मुंबईकरों को शहर के कोलाहल और गर्मी से बचने के लिए लोनावला या माथेरान जाने के लिए उकसावे की कार्रवाई मालूम होती है।
मुंबई में लोकप्रिय समाचार पत्र मिड डे के अनुसार, कल्याण, भिवंडी और थाणे में भी कल 5 बजे शाम तक 50% से कम मतदान की खबर थी। ठाणे के नागरिक भारत बोवले ने आरोप लगाया है कि उनके नाम पर पहले ही बोगस वोट पड़ चुका था, जिसकी शिकायत करने के बाद उन्हें बैलट पत्र से अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने दिया गया। बता दें कि थाणे लोकसभा क्षेत्र शिवसेना (शिंदे) का मजबूत गढ़ रहा है, जहां से सांसद राजन विचारे शिवसेना (यूबीटी) के तौर पर बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।
इसी प्रकार ठाणे के चराई स्थित जोशिवाडा के स्थानीय नागरिक बोवले का कहना है, “मैं अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने सैंट जॉन कान्वेंट हाई स्कूल गया। जब मेरा नंबर आया तो मैंने पाया कि मेरे नाम पर तो पहले ही टिक लगा हुआ था। जब मैंने इस बारे में पोलिंग एजेंट से शिकायत की तो उनका कहना था कि मेरे नाम पर कोई पहले ही वोट डाल चुका है। उस व्यक्ति का आधार नंबर भी मेरे आधार से मेल नहीं खा रहा था। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि ये लोग क्या वोटरों के नाम और विवरण की जांच किये बगैर ही बोगस वोटिंग करा रहे हैं? इसकी शिकायत दर्ज कराने के बाद मुझे 45 मिनट तक बहस और इंतजार कराने के बाद मुझे ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से मतदान करने की इजाजत दी गई।”
मिड-डे ने सेंट जॉन कान्वेंट हाई स्कूल और मुम्ब्रा स्थित टीएमसी मराठी स्कूल एक पोलिंग बूथ का दौरा किया, जहां मतदान प्रकिया बेहद धीमी रफ्तार से चल रही थी। एनसीपी (शरद पवार) विधायक जितेन्द्र अवहाड़ का आरोप था कि मतदान अधिकारियों के द्वारा जानबूझकर मतदान को धीमा किया जा रहा है। उनका यह भी आरोप था कि हर एक वोटर को अपना वोट दर्ज कराने में कम से कम 5 मिनट का वक्त लग रहा है। जबकि ईवीएम के जरिये मतदान में एक मतदाता को अधिकतम 15 सेकंड का वक्त लगना चाहिए।
मुम्ब्रा वह इलाका है जहां पर सबसे बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है। 90 के दशक में मुंबई दंगों के दौरान सैकड़ों अल्पसंख्यकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। दक्षिण मुंबई से बड़ी संख्या में मुस्लिम अल्पसंख्यक मुम्ब्रा में आकर बसे थे। दोपहर बाद जब विपक्ष और स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत की तो उसके बाद मतदान में तेजी देखने को मिली।
एनडीटीवी के लिए कई वर्षों तक मुंबई से पत्रकारिता कर चुके यूट्यूबर सोहित मिश्रा ने भी मुंबई के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों की लाइव तस्वीरों को साझा करते हुए बताया है कि कैसे मुंबई में बेहद धीमी गति से चुनाव प्रकिया को संपन्न कराकर आम लोगों को परेशान किया गया। विले पार्ले के शाहजी राजे मार्ग म्युनिसिपल कारपोरेशन स्कूल के बाहर मतदाताओं की लंबी कतार को दिखाते हुए सोहित का कहना था कि मुंबई वासियों के लिए चुनाव के दिन ऐसी बदइंतजामी पहली बार देखने को मिली है।
चुनाव आयोग देश भर में करोड़ों लोगों के मोबाइल पर क्रिकेट सम्राट और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर की आवाज के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का आह्वान कर रही है। लेकिन उसी मुंबई में मतदान प्रकिया को जानबुझकर लेट कराकर पोलिंग बूथ पर घंटों इंतजार कराकर हताश-निराश वापस लौटाकर भारतीय लोकतंत्र की धज्जियां खुद उड़ा रही है।
यही वजह है कि कल शाम 5 बजे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर मुंबई वासियों से अपील करनी पड़ी कि वे लंबे समय तक अपनी बारी का इंतजार कर निराश होने के बजाय वोट देकर ही जायें, चाहे इसके लिए कल सुबह 5-6 बजे तक मतदान क्यों न करना पड़ जाये। भाजपा की ओर से चुनाव प्रकिया के बीच प्रेस कांफ्रेंस पर आपत्ति उठाते हुए चुनाव आयोग के सामने शिकायत भी दर्ज की जा चुकी है। भाजपा का कहना है कि ऐसा कर उद्धव ठाकरे ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है, और मतदाताओं के बीच चुनाव आयोग की निष्पक्षता के प्रति संदेह पैदा कर महायुती की छवि को खराब करने की कोशिश की है।
आदित्य ठाकरे ने भी चुनाव आयोग को आड़े हाथों लेते हुए X पर लिखा है: “अभी तक @ECISVEEP का प्रबंधन पूरी तरह से दयनीय रहा है। एक राष्ट्र, एक चुनाव का दावा करने वाली एजेंसी एक निर्वाचन क्षेत्र तक में सुचारू चुनाव प्रक्रिया को संपन्न नहीं कर सकी, पूरे शहर के बारे में तो भूल ही जाइए।
नागरिकों ने गर्मी, बूथ पर घुटन, संभवतः जानबूझकर धीमी गति से मतदान को लेकर शिकायत की है, खासकर चुनिंदा निर्वाचन क्षेत्रों में।
कई बूथों पर वरिष्ठ नागरिकों और गर्भवती महिलाओं के लिए अलग लाइन की कमी देखने को मिली। पंखे, पीने के पानी और धूप से बचने के लिए छाया की कमी से नागरिकों में भारी नाराजगी है।
हम मुंबईवासी वोट देने के लिए बाहर निकले, लेकिन आपके दयनीय प्रबंधन/जानबूझकर मतदाताओं को हैरान-परेशान करने के तरीकों ने हमें बूथों से दूर रखने की कोशिश की। इसके बावजूद लोग बाहर निकले और मतदान में हिस्सा लिया! यह है मुंबई!”
(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं)
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