राहुल ही नहीं, वाजपेयी भी मनाते थे छुट्टी

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अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। यही दिन थे गोवा छुट्टी मनाने गए थे। शाम को समुद्र किनारे बैठे समंदर निहार रहे थे। शाम उन्हें बहुत अच्छी लगती थी। सामने की छोटी टेबल पर ग्लास भी थी। फ़ोटो एजेंसी ने रिलीज की। अपने को अच्छी लगी। जनसत्ता का छत्तीसगढ़ संस्करण तब रंगीन था दिल्ली का नहीं। मैंने पहले पेज पर तीन कालम का डिस्प्ले देने को कहा। यह संदर्भ है राहुल गांधी का। वे छुट्टी मनाने बाहर गए हैं। ट्रोल इस पर मोर्चा खोल दिए मानो उनके छुट्टी मनाने से दिल्ली की सरकार का कामकाज रुक गया। किसानों की बात अब कौन सुनेगा। ट्रोल वाले दिहाड़ी पर काम करते हैं। बुद्धि का ज्यादा इस्तेमाल ठीक नहीं मानते हैं इसलिए कई बार फंस भी जाते हैं। इसलिए यह टिप्पणी लिखी। टिप्पणी लिखी तो एक साथी ने यह फोटो भी डाल दी। हालांकि जो फोटो उस समय आई थी वह और थी। इतनी सात्विक नहीं थी। कुछ ज्यादा ही मारक नजर आई तभी तो दी थी। पीआईबी की फोटो और दूसरी एजेंसी की फोटो अलग थी।

खैर मुद्दा यह है भी नहीं। मुद्दा यह है कि क्या कोई पीएम छुट्टी नहीं मना सकता है। शराब नहीं पी सकता है। मुर्गा मछली नहीं खा सकता है। प्रेम नहीं कर सकता है। बिल्कुल कर सकता है और मौजूदा सात्विक किस्म की जो पार्टी इस समय सत्ता में है उसके एक पूर्व प्रधानमंत्री यह सब कर चुके। वाजपेयी अपने को इसीलिए पसंद भी हैं क्योंकि वे पाखंड नहीं करते थे। खाते पीते थे पर छुपाते नहीं थे। घूमते थे। पहाड़ पसंद था तो पहाड़ में घर बना लिया। यह सब निजी पसंद का मामला भी था।

लखनऊ में वे एक बार आए तो राज्यपाल विष्णु कांत शास्त्री थे। वे राजभवन में ही रुके। शास्त्री तो शुद्ध शाकाहारी। वाजपेयी शराब कबाब बिरयानी के शौकीन। खाने की समस्या तो सुलझ गई पर पीने का क्या किया जाए। राजभवन में शराब लेकर कौन जाए। एसपी-डीएम ने भी हाथ खड़े कर दिए। तब तत्कालीन आईजी ने कुछ मदद की। वे अपने फ्लास्क में ब्लू लेबल व्हिस्की लेकर गए जिसे वाजपेयी के कमरे में रखवा दिया गया। वह शाम भी गुजर गई।

दिल्ली में उनकी बैठकी वरिष्ठ नौकरशाह बृजेश मिश्र के साथ होती। देर रात तक बैठकी चलती। एक बार रायपुर में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुंगेली की सभा के बाद दावत दी। दिल्ली से पत्रकारों का एक दल आया था। आलोक तोमर भी उसमें थे। इंडियन एक्सप्रेस में हमारी दिल्ली ब्यूरो की चीफ भी थीं। बात चली तो जोगी को आलोक तोमर ने दिल्ली का एक किस्सा याद दिला दिया जब वे जोगी के साथ वाजपेयी के साथ ऐसी ही एक बैठकी में गए। किस्सा रोचक था। अगले रविवार इंडियन एक्सप्रेस में गासिप में छप गया। वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। वे आलोक पर बरस गए। आलोक तोमर का मेरे पास फोन आया, बोले अंबरीश ये क्यों छाप दिया। मैंने बताया कि मेरा लिखा पीस यह नहीं है। यह इंडियन एक्सप्रेस में दिल्ली से ही लिखा गया था। फिर याद आया कि दिल्ली ब्यूरो चीफ तो उस दावत में थी हीं। खैर किसी तरह मामला शांत हुआ। किस्से कई हैं फिर कभी। इस फोटो को देखिये और प्रयास करिए ऐसी ही मुद्रा में कभी आप भी बैठे। खून जलाने से कुछ नहीं मिलेगा। राहुल गांधी छुट्टी मनाएं या कोई और नेता मनाए।

(अंबरीश कुमार शुक्रवार के संपादक हैं। और आजकल लखनऊ में रहते हैं।)

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