संसद परिसर में प्रदर्शन।

संसद परिसर में विपक्षी सांसदों ने निकाला मार्च, शाम को राष्ट्रपति से होगी मुलाकात

नई दिल्ली। किसान मुखालिफ विधेयकों को जिस तरह से लोकतंत्र की हत्या कर पास कराया गया है, उसके खिलाफ विपक्षी दलों की गोलबंदी बढ़ती जा रही है। उसी कड़ी में आज संसद परिसर में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के सांसदों ने विरोध-प्रदर्शन किया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल आज शाम को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात भी करेगा। इससे पहले संयुक्त विपक्ष ने राज्य सभा की कार्यवाही का बहिष्कार भी किया था।

केंद्र की मोदी सरकार ने राज्यसभा में विपक्ष के मशवरों को दरकिनार करते हुए जबरन किसान विधेयक पास कर लिए थे। इसके बाद विपक्ष ने मानसून सत्र का बहिष्कार कर दिया था। आज संसद भवन परिसर में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के सांसदों ने प्रदर्शन किया। और संसद परिसर में स्थित गांधी प्रतिमा से लेकर अबंडेकर की प्रतिमा तक मार्च निकाला। इस दौरान सांसद ‘किसान बचाओ, मजदूर बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ के नारे लगा रहे थे। संसद परिसर के भीतर सभी सांसदों अपने हाथों में प्लेकार्ड ले रखे थे और उन पर सरकार के खिलाफ तरह-तरह के नारे लिखे हुए थे।

इस बीच केंद्र सरकार ने संसदीय परंपरा को दरकिनार करते हुए विपक्ष की गैरमौजूदगी में राज्यसभा और लोकसभा दोनों से कई बिल पास करा लिए। सरकार ने बुधवार को द फॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) अमेंडमेंट बिल, 2020 और क्वालिफाइड फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट्स बिल, 2020 को पारित करा लिया। 

राज्यसभा आज ही साइनडाई हो गयी। और लोकसभा के बारे में भी ऐसा ही कहा जा रहा है।

राज्यसभा ने ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड, 2020, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020 और कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी बिल, 2020 सहित तीन लेबर कोड बिलों को पास कर दिया है। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब 50 करोड़ मजदूरों को मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा का आश्वासन देने वाला विधेयक लाया गया है, तो विपक्ष अनुपस्थित है क्योंकि वे जनता से दूर हैं।

इस बीच, विपक्षी दलों ने राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिख कर विपक्षी दलों के सांसदों की अनुपस्थिति में राज्य सभा में श्रम संबंधी तीनों विधेयकों को पारित नहीं करने के लिए कहा है। 

विपक्ष राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार कर रखा है। संयुक्त विपक्ष के आज के आज के प्रदर्शन में कांग्रेस के गुलाम नबी आज़ाद, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन और राकांपा के प्रफुल्ल पटेल शामिल थे।

प्रदर्शनकारियों ने कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, टीआरएस और वाम दलों के निलंबित आठ सांसदों के साथ भी एकजुटता जाहिर की। उधर, संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने बैठे आठ सांसदों ने अपना धरना समाप्त कर दिया है।

राज्यसभा में आज सुबह 9:30 बजे पहले बोलते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, “अंग्रेजी में एक कहावत है, आखिरी पुआल जिसने ऊंट की पीठ तोड़ दी। मुझे लगता है, दो दिन पहले आखिरी तिनका था जिसने ऊंट की कमर तोड़ दी थी। बिल को स्थायी और चयन समितियों को नहीं भेजा जाता है। सभी बिलों को पारित करने का प्रयास किया जाता है।

मैं माइक्रोफोन को तोड़कर तालिकाओं पर चढ़ने को स्वीकार नहीं करता, कोई भी इसे मंजूरी नहीं देता है,  लेकिन जैसा कि मैंने कहा, यह ऊंट की पीठ पर अंतिम तिनका था और जब यह टूट गया, तो यह एक तूफान में बदल गया।” अधिकांश विपक्षी सदस्य उनके साथ बाहर चले गए। सदन में रहने वालों में समाजवादी पार्टी (एसपी), डीएमके, एनसीपी और टीआरएस शामिल थे, लेकिन बाद में वह भी बाहर चले गए।

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