कलकत्ता HC ने CBI से पूछा-क्या आप SC के पूर्व न्यायाधीश की जांच कर सकते हैं?

नई दिल्ली। कोलकाता हाई कोर्ट के जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने खुली अदालत में सुनवाई में सीबीआई से पूछा कि क्या एजेंसी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की “जांच” कर सकती है क्योंकि ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज का बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में आरोपी पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस विधायक माणिक भट्टाचार्य से संबंध है।

सुप्रीम कोर्ट जज इस साल की शुरुआत में सेवानिवृत्त हुए। सुप्रीम कोर्ट पीठ में एक न्यायाधीश के रूप में, उन्होंने जस्टिस गंगोपाध्याय के पिछले आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें सीबीआई और ईडी को पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व प्रमुख भट्टाचार्य की जांच करने का निर्देश दिया गया था।

मामले से संबंधित याचिका अभी तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए नहीं आई हैं। जस्टिस गंगोपाध्याय ने यह कहते हुए, कि अपराधी फायदा उठा रहे हैं, सीबीआई विशेष जांच दल के प्रमुख अश्विन शेनवी से कहा कि मैं आपसे देश के चीफ जस्टिस (सीजेआई) के समक्ष इस मामले का उल्लेख करने का अनुरोध करता हूं।

उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को सीएम को सूचित करने का भी निर्देश दिया कि राज्य के किसी भी अधिकारी को नौकरी के लिए रिश्वत मामले में सीबीआई और ईडी द्वारा चल रही जांच में बाधा नहीं डालें। उन्होंने राज्य को निर्देश दिया कि वह अदालत की मंजूरी के बिना सीबीआई एसआईटी के काम में हस्तक्षेप न करें।

उन्होंने सीबीआई एसआईटी प्रमुख शेनवी द्वारा जांच में हस्तक्षेप की शिकायत के बाद सीबीआई विशेष अदालत के न्यायाधीश अर्पण चटर्जी के तत्काल स्थानांतरण का निर्देश देते हुए कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि विशेष सीबीआई अदालत, अलीपुर ने कोलकाता पुलिस को एसआईटी सदस्यों से पूछताछ करने की अनुमति दी।

जस्टिस गंगोपाध्याय ने राज्य के कानून मंत्री मोलॉय घटक को अदालत में बुलाया और उन्हें 6 अक्टूबर तक एक नए सीबीआई विशेष अदालत के न्यायाधीश की नियुक्ति करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह निर्देश तब दिया जब न्यायिक सचिव सिद्धार्थ कांजीलाल ने बुधवार को अदालत को बताया कि अर्पण चटर्जी न्यायाधीश के रूप में बने रहेंगे क्योंकि नई नियुक्ति की फाइल कानून मंत्री घटक के पास पड़ी थी।

कानून मंत्री ने अदालत को बताया कि वह अस्पताल में हैं और फाइल को मंजूरी नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि मैं अब ठीक हो गया हूं। मैं फ़ाइल देखूंगा और बिना किसी देरी के इसे साफ़ कर दूंगा।

सीबीआई के वकील ने कहा कि “सीबीआई के वकील बिल्वदल भट्टाचार्य ने अदालत को सूचित किया कि जांच एजेंसी ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती मामले में चार लोगों को गवाह के रूप में पेश किया था, लेकिन सीबीआई अदालत ने उन्हें गवाह के रूप में पहचानने से इनकार कर दिया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। हमने ओएमआर शीट घोटाले में कई लोगों से पूछताछ की है। अब कोई भी जेल भेजे जाने के डर से बात करने को तैयार नहीं है।”

जस्टिस गंगोपाध्याय ने आदेश दिया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत गवाही देने के इच्छुक लोगों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि कथित तौर पर नौकरी से संबंधित भ्रष्टाचार में शामिल लोग जो गवाह के रूप में पेश होने के लिए सहमत होंगे, उन्हें गिरफ्तारी या जेल रिमांड से सुरक्षा मिलेगी।

जस्टिस गंगोपाध्याय ने सीबीआई को 18 अक्टूबर तक शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) ओएमआर शीट को संभालने के लिए जिम्मेदार कंपनी एस बसु रॉय एंड कंपनी पर एक रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया।

भर्ती प्रक्रिया के दौरान बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद, मई 2022 में सीबीआई को 2014 और 2021 के बीच गैर-शिक्षण कर्मचारियों (समूह सी और डी) के साथ-साथ प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की भर्ती की जांच करने के आदेश दिए गये थे।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कोई भी केंद्रीय एजेंसी वर्तमान या पूर्व जज के खिलाफ जांच कर सकती है, लेकिन हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज के खिलाफ जांच करने के लिए संबंधित अदालत की अनुमति लेनी होगी। इसके कुछ नियम भी हैं जिनका पालन करना होगा।

शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में कथित संलिप्तता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य को 11 अक्तूबर 2022 को गिरफ्तार कर लिया था। कोलकाता में सीजीओ परिसर में ईडी कार्यालय के सामने भट्टाचार्य पेश हुए थे जहां उनसे शिक्षक भर्ती घोटाले मामले पर कई सवाल हुए। वहीं, 11 अक्तूबर की सुबह ईडी ने उनको गिरफ्तार किया।

भट्टाचार्य नदिया जिले के पलाशीपारा से विधायक हैं और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं। ईडी की टीम ने उन्हें इस मामले में पेश होने को कहा था जिसके बाद वो सवालों के जवाब देने पहुंचे थे। दोपहर में भट्टाचार्य से पूछताछ में उन्होंने सहयोग नहीं किया, जिसके बाद अब उनकी गिरफ्तारी हुई थी।

शिक्षक भर्ती घोटाले मामले को लेकर भट्टाचार्य पिछले काफी समय ईडी के रडार पर थे साथ ही सीबीआई ने भी उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था। सीबीआई ने शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में टीएमसी विधायक को पूछताछ के लिए समन भेजा था लेकिन वो एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए थे। सीबीआई द्वारा मिले समन के बाद टीएमसी विधायक भट्टाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसके बाद अदालत ने अगले आदेश तक सीबीआई गिरफ्तारी से छूट दी थी। वहीं, भट्टाचार्य की गिरफ्तारी ईडी की ओर से की गई।

माणिक भट्टाचार्य जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज के रिटायर्ड प्रिंसिपल और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं। जून महीने में उन्हें कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के पद से हटा दिया था। चुनावी हलफनामे के मुताबिक, उनकी कुल दर्ज संपत्ति 3 करोड़ रुपये है जिसमें 2.3 करोड़ रुपये चल संपत्ति और 66.4 लाख रुपये अचल संपत्ति में शामिल हैं। उनकी कुल घोषित आय 24.3 लाख रुपये है जिसमें से 21.9 लाख रुपये स्वयं आय है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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