चंडीगढ़। किसानों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच चौथे चक्र की वार्ता चंडीगढ़ में संपन्न हो गयी है। रात 8.15 मिनट पर शुरू हुई यह वार्ता रात एक बजे खत्म हुई। सरकार की तरफ से किसानों के लिए एक प्रस्ताव दिया गया है जिसमें समझौते पर पहुंचने के बाद दाल, मक्का और कॉटन पर सरकारी एजेंसियां कम से कम पांच साल तक के लिए एमएसपी पर खरीद करेंगी। इसकी जानकारी वार्ता से बाहर आने के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दी।
इस पर किसान नेताओं ने कहा कि वो अगले दो दिनों तक अपने फोरम पर सरकार के इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे। और उसके बाद आगे की कार्यवाही पर फैसला लिया जाएगा।
गोयल ने कहा कि अनाजों की खरीद के लिए एनसीसीएफ, नैफेड को जिम्मेदारी दी जाएगी। जो किसानों के साथ तूर दाल, उड़द दाल, मसूर दाल और मक्के की खरीद के लिए समझौते करेंगी। और उनकी फसलों की कीमत एमएसपी के आधार पर तय करेंगी।
उन्होंने कहा कि खरीद की मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी। और इसके लिए एक अलग से पोर्टल भी बनाया जाएगा।
गोयल ने कहा कि यह पंजाब की खेती को बचाएगा और जमीन के भीतर के पानी की स्थितियों को भी ठीक करेगा। इसके साथ ही बंजर होती जा रही जमीन की स्थिति में भी सुधार लाएगा।
केंद्र के प्रस्ताव पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हम इसको लेकर 19-20 फरवरी को अपने फोरम पर बातचीत करेंगे और विशेषज्ञों की भी सलाह लेंगे और उसके बाद इस पर कोई फैसला लिया जाएगा।
पंधेर ने कहा कि कर्जे की माफी और दूसरी मांगों पर बातचीत अभी लंबित है। और हम आशा करते हैं कि अगले दो दिनों में इसको भी हल कर लिया जाएगा। इसके आगे उन्होंने कहा कि दिल्ली चलो मार्च को अभी विराम दिया गया है। लेकिन अगर मामला हल नहीं होता है तो 21 फरवरी को 11 बजे मार्च शुरू कर दिया जाएगा।
इसके पहले केंद्रीय नेता और किसान 8,12 और 15 फरवरी को मिले थे। लेकिन वार्ता अधूरी रही थी।
प्रदर्शनकारी किसान शंभू बार्डर और खनौरी में डेरा डाले हुए हैं। यह हरियाणा की सीमा से सटा है। इनको उस समय वहीं रोक दिया गया था जब इन लोगों ने 13 फरवरी को दिल्ली की ओर का रुख किया था।
यह आह्वान संयुक्त किसान मोर्चा अराजनीतिक और किसान मजदूर मोर्चा की ओर से किया गया है।
एमएसपी की लीगल गारंटी के साथ ही किसान स्वामीनाथन कमीशन की संस्तुतियों को लागू करने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही इसमें मजदूरों, कृषि कर्ज माफी, बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों की वापसी और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय, 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून की बहाली, 21-22 में मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा जैसी मांगें शामिल हैं।
चौथे चक्र की वार्ता से पहले हुई एसकेएम की बैठक में तीन दिनों तक पंजाब में बीजेपी नेताओं के घरों को घेरने का फैसला लिया गया है। एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि वो मंगलवार से गुरुवार तक पंजाब में बीजेपी नेताओं जिसमें एमपी, एमएलए और जिला अध्यक्ष शामिल हैं, के घरों के सामने प्रदर्शन करेंगे।
लुधियाना में हुई एसकेएम की बैठक के बाद राजेवाल ने पत्रकारों से कहा कि इसके साथ ही सभी टोल बैरियर पर भी प्रदर्शन करने का फैसला लिया गया है। इस तरह से 20-22 तक सभी टोल फ्री रहेंगे।
बैठक में शामिल किसान नेता बालकरन सिंह बरार और बूटा सिंह ने कहा कि स्वामीनाथन द्वारा प्रस्तावित एमएसपी के लिए सी-2 प्लस 50 के फार्मूले से कम पर एसकेएम कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेगा।
इसके पहले जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा था कि केंद्र सरकार को किसानों की मांगों को पूरा करने में हीला-हवाली नहीं करनी चाहिए। इसको चुनाव आचार संहिता लगने से पहले पूरा कर दिया जाना चाहिए। अगर सरकार सोचती है कि हम आचार संहिता लगने तक बैठक करते रहेंगे तो उसे इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए। किसान अब वापस नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आचार संहिता लागू होने से पहले सरकार को हमारी मांगों का समाधान निकालना चाहिए।
इसके साथ ही हरियाणा के कुरुक्षेत्र में कल गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने एक बैठक की जिसमें कई खापों ने हिस्सा लिया। और उन्होंने किसान आंदोलन को खुल कर समर्थन देने का ऐलान किया। चढ़ूनी ने बाद में बताया कि बैठक में किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए सभी किसान संगठनों को एकजुट करने का फैसला लिया गया। इस सिलसिले में चार सदस्यीय एक कमेटी बनायी गयी है जो दिल्ली और उसके आस-पास के किसान नेताओं और किसान संगठनों से संपर्क करेगी।
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