राजस्थान में ईडी अधिकारियों की गिरफ्तारी पर कांग्रेस ने कहा-ईडी क्यों बीजेपी शासित राज्यों का पता भूल गई?

नई दिल्ली। राजस्थान में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला तेज कर दिया है। पार्टी ने मोदी सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि केंद्रीय एजेंसियां केवल विपक्षी नेताओं को ही क्यों निशाना बना रही हैं?

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि 15 लाख रुपये के लिए चिट-फंड मामले में आरोपी को छोड़ने के लिए ईडी अधिकारियों की गिरफ्तारी ये बताती है की एजेंसी सड़ चुकी है, इससे यह पता चलता है कि अधिकारियों ने ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से समझौता किया था। उन्होंने यह भी पूछा कि क्यों ईडी सभी बीजेपी शासित राज्यों का पता भूल गई थी।

खेड़ा ने कहा कि “पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं। ईडी केवल राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही अभियान के दौरान सक्रिय क्यों है जहां कांग्रेस सत्ता में है? कुछ महीने पहले गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव हुए थे, क्या ईडी ने वहां किसी पर छापा मारा?”

पेपर लीक मामले में जहां राजस्थान में कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के यहां छापेमारी हुई, वहीं गुजरात चुनाव में यह मुद्दा छाया रहा लेकिन ईडी ने वहां कोई  हस्तक्षेप नहीं किया।

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि “पटवारी घोटाले में एफआईआर में कहा गया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को 4 अप्रैल, 2023 से अनियमितताओं के बारे में पता था, लेकिन परीक्षाएं 25 अप्रैल तक जारी रहीं। घोटाले की जानकारी होने के बाद भी मुख्यमंत्री चुप हैं?

सुरजेवाला ने कहा, ”मध्य प्रदेश में नौकरियां बेचने का गोरखधंधा 18 साल से चल रहा है। यह भर्ती घोटालों का केंद्र बन गया है। व्यापमं ने देश को चौंका दिया लेकिन डेंटल और मेडिकल सीटें करोड़ों में बेची गईं, जो कि और भी बड़ा घोटाला निकला, फिर आया नर्सिंग घोटाला, अब पटवारी घोटाला।”

कर्नाटक में भी ईडी कांग्रेस नेताओं से पूछताछ कर रही थी, जबकि भाजपा सरकार पर गलत काम करने के गंभीर आरोप लगे थे। इससे कांग्रेस के इस आरोप को बल मिला कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग राज्य चुनावों में भाजपा के स्टार प्रचारक थे।

वहीं छत्तीसगढ़ में दो रैलियों को संबोधित करते हुए, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोहरेपन की ओर इशारा किया, यह याद करते हुए कि कैसे उन्होंने कर्नाटक में 40 प्रतिशत कमीशन पर चुप रहते हुए 30 प्रतिशत कमीशन के लिए भूपेश बघेल पर निशाना साधा था।

खड़गे ने कहा, ”हर किसी ने कर्नाटक में बीजेपी सरकार को 40 प्रतिशत सरकार कहा। लेकिन बीजेपी ने भी पिछले पांच साल में कभी भी बघेल पर 30 फीसदी कटौती का आरोप नहीं लगाया। अब प्रधानमंत्री अचानक बिना किसी सबूत के यह आरोप लगाते हैं।”

गुरुवार को मोदी ने कहा था, “30 फीसदी कक्का, काम अपना पक्का।”

हालांकि ईडी साल भर में अलग-अलग मामलों में छत्तीसगढ़ में छापेमारी करती रही है, लेकिन मोदी ने बघेल को जो 30 प्रतिशत का टैग दिया था, वह चुनावी समय का फैसला था। लेकिन राजस्थान में ईडी अधिकारियों की गिरफ्तारी ने केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है, इस घटना के बाद मोदी की यह नैरेटिव धूमिल हो गई कि उनकी उपस्थिति ही भ्रष्टाचार के खिलाफ गारंटी है।

खेड़ा ने कहा कि, ‘जिस एजेंसी को भ्रष्टाचार से लड़ने का काम सौंपा गया है, वह डील-मेकिंग में शामिल है। अधिकारी नोटों के बंडल लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए हैं।”

यह पहली बार नहीं है कि ईडी अधिकारी घूस लेते हुए पकड़े गए हैं। ईडी के एक सहायक निदेशक को रिश्वत लेने के आरोप में अगस्त में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। जबकि विपक्षी दलों ने इस बात पर जोर डाला है कि ईडी मामलों में सजा की दर दयनीय है, अदालतों ने ईडी की कार्यप्रणाली पर बार-बार टिप्पणी की है।

खेड़ा ने शुक्रवार को कहा कि अगर 95 फीसदी छापे विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं तो सवाल पूछे जाएंगे। उन्होंने उन हाई-प्रोफाइल विपक्षी नेताओं के नाम गिनाए जिनके भाजपा में शामिल होने के बाद मामले ठंडे बस्ते में डाल दिए गए थे।

खेड़ा ने कहा कि, ”कांग्रेस हमेशा चाहती है कि जांच एजेंसियां मजबूत रहें। लेकिन उनकी विश्वसनीयता महत्वपूर्ण है। उन्हें किसी के नियंत्रण में काम नहीं करना चाहिए। उन्हें अपनी स्वायत्तता की रक्षा करनी होगी। हमारी एकमात्र चिंता यह है कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग को मोदी के अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के रूप में काम नहीं करना चाहिए। आप राज्यों में ईडी-सीबीआई भेजते हैं और कुछ नेताओं को परेशान करना शुरू कर देते हैं। वे थोड़ी देर बाद झुक जाते हैं और फिर आप उन्हें भाजपा में शामिल करने के लिए जेपी नड्डा को भेजते हैं। आपने राजनीति का क्या मजाक उड़ाया है।”

(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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