Friday, June 9, 2023

अल्पसंख्यकों के साथ होगा निष्पक्ष और न्यायपूर्ण व्यवहार: 15 अगस्त, 1947 को मध्य रात्रि की असेंबली बैठक में डॉ. राजेंद्र प्रसाद

(15 अगस्त, 1947 की उस चर्चित मध्य रात्रि की बैठक में पंडित जवाहर लाल नेहरू की ‘नियति से मुलाकात’ के भाषण का हमेशा जिक्र होता है। वह सचमुच में सदी का भाषण था। और उसके बाद से हर भारतीय नागरिक के जेहन का हिस्सा बन गया है। लेकिन ठीक उसी रात्रि में जब एक स्वतंत्र देश के तौर पर भारत जन्म ले रहा था। पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्र की तरफ से देश के अल्पसंख्यकों से एक वादा किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि नये भारत में उनके साथ निष्पक्ष और न्यायपूर्ण व्यवहार होगा। नीचे दी गयी पीस उस मौके की द हिंदू में प्रकाशित रिपोर्ट है। पेश है पूरी रिपोर्ट-संपादक)

बृहस्पतिवार की मध्य रात्रि को उस समय नया भारत पैदा हुआ जब संविधान सभा ने अपने ऐतिहासिक सत्र में देश के शासन के संचालन का अधिकार हासिल किया और और डोमिनियन के पहले गवर्नर जनरल के लिए लॉर्ड माउंटबेटेन के चयन पर अपनी मुहर लगायी। उसके पहले शांति पूर्ण सदन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने श्रद्धांजलि पेश करते हुए उन लोगों को याद किया जिन्होंने आज़ादी हासिल करने के रास्ते में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।

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राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि “आइए महात्मा गांधी को भी हम अपना प्यार और श्रद्धा अर्पण करते हैं जो पिछले 30 सालों से हमारे रास्ते की अगुआ मशाल, हमारे पथ प्रदर्शक और दार्शनिक बने हुए हैं।” डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के अल्पसंख्यकों को भरोसा दिलाया कि उनके साथ निष्पक्ष और न्यायपूर्ण व्यवहार होगा।

उन्होंने कहा कि “वे नागरिकता के सभी अधिकारों और विशेषाधिकारों का उपभोग करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि “और उसके बदले में उनसे देश और उसके संविधान जिसमें वे रहते हैं, के प्रति समर्पण की उम्मीद की जाएगी।” डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने भाषण को समाप्त करते हुए कहा कि “हम एक महान कार्य में लगने जा रहे हैं और उसको हमें सबसे बेहतर तरीके से अंजाम देना होगा।” 

nehru

इस मौके पर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें कहा गया था कि असेंबली के सदस्य भारत और उसके लोगों की सेवा में खुद को पूरी तरह से समर्पित कर देंगे। उन्होंने अपने प्रेरणादायी भाषण में घोषणा की कि “भारत की सेवा का मतलब है उन लाखों लोगों की सेवा जो कष्ट में हैं। हमारी पीढ़ी के सबसे महान शख्स की महत्वाकांक्षा प्रत्येक आंख से हर आंसू पोंछने की है।

Lord Mountbatten Jawaharlal Nehru and Rajendra Prasad at the Independence Day session of the Constituent Assembly

शायद वह लक्ष्य हम लोगों से दूर हो। लेकिन जब तक देश में आंसू और कष्ट रहेगा, तब तक हमारा काम खत्म नहीं होगा।” यह प्रस्ताव एकमत से पास हुआ और सदस्यों ने ठीक 12 बजे शपथ ली। देश की महिलाओं की तरफ से श्रीमती हंसा मेहता की ओर से राष्ट्रीय झंडा हासिल करने के बाद शुक्रवार की सुबह फिर से बैठने के वादे के साथ सभा की कार्यवाही स्थगित हो गयी।

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