किसानों का दबाव रंग लाया! सरकार वार्ता के लिए हुई मजबूर, आज तीन बजे बातचीत

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दिल्ली को तीनों ओर से घेर कर बैठे हुए हजारों किसानों के तेवर और दृढ़ता को देखते हुए मोदी सरकार अब  बेचैन हो उठी है। इसलिए अब 3 दिसम्बर से पहले आज ही वार्ता के लिए किसान यूनियनों के नेताओं को विज्ञान भवन आने का निमंत्रण दिया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, अगले दौर की वार्ता के लिए पहले 3 दिसम्बर की तारीख निर्धारित की गयी थी। किंतु किसान इस ठण्ड में आन्दोलन कर रहे हैं और कोरोना भी है इसलिए मीटिंग जल्दी होनी चाहिए इसलिए पहले दौर की वार्ता में शामिल किसान नेताओं को 1 दिसम्बर को 3 बजे विज्ञान भवन में बातचीत के लिए  आमंत्रित किया है।  

कृषि मंत्री ने कहा कि, जब कृषि विधेयक लाये गये थे  तब किसानों को कुछ शंकाएं थीं जिसके चलते 14 अक्तूबर और 13 नवम्बर को दो दौर की वार्ताएं कीं। तब भी किसानों से आन्दोलन में न जाने की अपील की थी और कहा था कि सरकार वार्ता के लिए तैयार है।

कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने एक पत्र जारी कर किसान यूनियन के नेताओं को भारत सरकार के मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति से बातचीत के लिए नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में बुलाया है। कृषि मंत्रालय ने कुल 32 यूनियनों और उनके नेताओं को वार्ता के लिये आमंत्रित किया है। 

इनमें से कितने किसान नेता इस बातचीत के लिए जायेंगे यह अभी (खबर लिखे जाने तक) पता नहीं चला है। 

बता दें कि इससे पहले, सोमवार 30 नवंबर को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआइकेएससीसी) द्वारा जारी बुलेटिन में कहा गया था कि, पंजाब के सभी 30 संगठनों, एआईकेएससीसी तथा अन्य किसान संगठनों ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बुराड़ी जाने प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। वे सभी इस अपील में किसानों को बांध लेने और वार्ता तथा समस्या के समाधान के प्रति भ्रम पैदा करने के प्रयास देख रहे थे। उन्होंने सशर्त वार्ता को नकार कर और सरकार द्वारा इस ओर कोई भी गम्भीर प्रयास के प्रति दरवाजे खुले रखकर उचित निर्णय लिया है। 

एआइकेएससीसी ने कहा था कि ,देश के किसान यहां एक ही उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दिल्ली में हैं और लगातार उनकी ताकत बढ़ती जा रही है। और वह है 3 खेती के कानून तथा बिजली बिल 2020 को रद्द कराना। उनकी और कोई भी मांग नहीं है।

अमित शाह के नाम हनुमान बेनीवाल का धमकी भरा खत 

मोदी सरकार के कृषि विधेयकों के खिलाफ जहां  एक ओर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के लाखों किसान दिल्ली को घेरे बैठे हैं और विपक्ष लगातर सरकार पर हमलावर है। वहीं अब किसानों के समर्थन में एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी (RLP) के राष्ट्रीय संयोजक और राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर कहा है कि,  “देश में चल रहे किसान आंदोलन की भावना को देखते हुए हाल ही में कृषि से सम्बंधित लाये गए 3 बिलों को तत्काल वापस लिया जाए व स्वामीनाथन आयोग की सम्पूर्ण सिफारिशों को लागू करें व किसानों को दिल्ली में त्वरित वार्ता के लिए उनकी मंशा के अनुरूप उचित स्थान दिया जाए।“ 

बेनीवाल ने अपने पत्र में  चेतावनी देते हुए लिखा है कि, ‘यद्यपि आरएलपी एनडीए में एक घटक दल के रूप में शामिल है किन्तु अगर इस मामले में त्वरित कार्यवाही नहीं की गई तो किसान हित मे एनडीए का सहयोगी दल बने रहने के विषय पर पुनर्विचार करना पड़ेगा। क्योंकि किसान और जवान ही आरएलपी की ताकत है।‘ 

इतना ही नहीं हनुमान बेनीवाल ने यह तक कह दिया कि ‘जहां भी जरूरत होगी हम किसानों के साथ हैं और जरूरत पड़ी तो दिल्ली भी कूच करेंगे।‘ 

गौरतलब है कि इससे पहले एनडीए का एक और पुराना सहयोगी  अकाली दल ने भी किसानों के समर्थन और मांगों का समर्थन करते हुए मोदी और खट्टर सरकार की आलोचना की है। इन्हीं तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ बीते 17 सितंबर को हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था।  

इस्तीफ़ा देने के बाद हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर लिखा था -“मैंने केंद्रीय मंत्री पद से किसान विरोधी अध्यादेशों और बिल के ख़िलाफ़ इस्तीफ़ा दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के रूप में उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।”

दरअसल पंजाब में किसान ही अकाली दल की रीढ़ हैं और पंजाब की सभी किसान यूनियन अपने मतभेदों को किनारे रखकर इन अध्यादेशों का विरोध कर रही हैं।

सरकार की ओर से किसानों से जल्दी बातचीत के पीछे एक और बड़ा कारण है दिल्ली को होने वाली सब्जी और फलों की आपूर्ति का प्रभावित होना। दरअसल सब्जी और फल व्यापारियों का कहना है कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से आने वाली फल-सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित हुई है। 

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर पांच दिनों से चल रहे किसानों के आंदोलन की वजह से दिल्ली की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी आज़ादपुर में आपूर्ति आधी हो गई है। आपूर्ति कम होने की वजह से मौसमी सब्जियों की क़ीमत 50 से 100 रुपये तक बढ़ गई है। आज़ादपुर की कृषि उत्पाद मार्केटिंग कमिटी के चेयरमैन आदिल खान का कहना है कि बंद बॉर्डर की वजह से मंडी तक पहुँचने वाली फल और सब्जी की आपूर्ति आधी हो गई है। उन्होंने बताया, “आम दिनों में करीब 2,500 सब्जी के ट्रक दूसरे राज्यों से आज़ादपुर मंडी पहुँचते हैं। अभी यह संख्या घटकर सिर्फ़ करीब 1000 ट्रकों की रह गई है और अगर कुछ दिन और यूँ ही बॉर्डर बंद रहा तो हालात बहुत खराब हो जाएंगे।”

महिलाओं की ऐतिहासिक भागीदारी

मोदी सरकार के किसान विरोधी तीन काले कानून के विरोध में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से लाखों की संख्या में किसानों ने दिल्ली की घेराबंदी कर रखी है। किसानों के आंदोलन का आज छठा दिन है और उन्होंने केंद्र सरकार की ओर आये अगंभीर वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। किसानों का यह आंदोलन वर्तमान समय का एक ऐतिहासिक घटना तो है ही, वहीं इस आंदोलन की एक ख़ास बात यह भी है कि इस आंदोलन में पुरूषों के साथ-साथ भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। 

हालांकि मीडिया कवरेज में इन महिलाओं को ज्यादा जगह नहीं मिली है अब तक फिर भी उनकी मौजूदगी को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। न ही सरकार या कोई भी दल इस तथ्य को नज़रंदाज कर सकती है।

किसानों के इस विरोध-प्रदर्शन में अकेले पंजाब से 10 महिलाएं और और लड़कियां शामिल हुई हैं। ये महिलाएं किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था तो देखती ही हैं, वहीं इस बार के आन्दोलन में तेज नारे भी लगा रही हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 6 करोड़ से अधिक महिलाएं खेती के व्यवसाय से जुड़ी हैं।

वहीं इस आन्दोलन में किसानों के बच्चे भी शामिल होकर सरकार और अडानी-अंबानी के खिलाफ़ पूरे जोश के साथ नारे लगा रहे हैं। 

(पत्रकार और कवि नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)

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