Saturday, April 27, 2024

लद्दाख-चीन तनाव पर मोदी सरकार की पोल खोल सकती है पूर्व आर्मी चीफ नरवाने की किताब

नई दिल्ली। भारतीय सेना पूर्व आर्मी चीफ एमएम नरवाने के संस्मरणों पर आने वाली उस किताब की समीक्षा कर रही है जिसमें 31 अगस्त, 2020 की रात को चीनी सेना के लद्दाख के पास स्थित नियंत्रण रेखा की तरफ आगे बढ़ने के समय केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ हुई उनकी बातचीत का खुलासा किया गया है।

संस्मरण के कुछ अंश पिछली 18 दिसंबर को न्यूज़ एजेंसी पीटीआई द्वारा प्रकाशित किया गया था। प्रकाशक पेंग्विन रैंडम हाउस से कहा गया है कि वह किताब के अंश या फिर उसकी सॉफ्ट कॉपी किसी से साझा न करे जब तक कि उसकी समीक्षा का काम पूरा नहीं हो जाता है। बताया जा रहा है कि एक स्तर पर इस मामले में रक्षा मंत्रालय भी शामिल है।

संस्मरण 2020 के दौरान उत्तरी लद्दाख में चीन के साथ जारी सैन्य तनाव के समय की अंदरूनी जानकारी मुहैया कराता है। इसके साथ ही इसमें गलवान घाटी में झड़प और अग्निपथ योजना के बारे में भी बताया गया है। यह किताब इसी महीने बाजार में आ जानी थी।

इंडियन एक्सप्रेस ने इस मसले पर जब नरवाने से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने इस सवाल का साफ-साफ जवाब नहीं दिया कि प्रकाशक को पांडुलिपि मुहैया कराने से पहले क्या उन्होंने आधिकारिक स्तर पर अनुमति ली थी या फिर किताब के प्रकाशन में इसलिए देरी हो रही है क्योंकि सेना उसकी समीक्षा कर रही है?

उन्होंने कहा कि मुझे जो करना चाहिए था उसको मैंने कर दिया है और मैंने बहुत महीनों पहले पांडुलिपि को प्रकाशक को दे दिया था। अब यह बताना प्रकाशक की जिम्मेदारी है कि उसमें कुछ देरी है या नहीं। वो मेरे संपर्क में हैं और ऐसी आशा नहीं की जाती है कि वो हमें हर चीज बताएं।

समीक्षा के बारे में और यह कि क्या यह बुक की लांचिंग को भी प्रभावित करेगी के इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का पेंग्विन रैंडम हाउस ने भी जवाब नहीं दिया।

पिछले महीने पीटीआई ने जनरल नरवाने की किताब के कुछ हिस्सों को कोट किया था जिसमें 31 अगस्त, 2020 की रात को उनके और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बीच हुई बातचीत के बारे में बताया गया था जब चीन के टैंक और जवान रेचिन ला पर पहुंच गए थे।

रिपोर्ट के मुताबिक जनरल नरवाने ने सिंह के निर्देश और रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, एनएसए और तब के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के बीच उस संवेदनशील रात को हुए ढेर सारे फोन कॉल के बारे में बताया है।

सिंह के कॉल के बाद जनरल नरवाने लिखते हैं कि उनके दिमाग में सैकड़ों विचार कौंधने लगे। उन्होंने कहा कि “मैंने परिस्थिति की गंभीरता के बारे में रक्षा मंत्री को बता दिया। जिन्होंने कहा कि वह मुझसे बात करेंगे जैसा कि उन्होंने साढ़े दस बजे किया भी।”

अपने संस्मरण में उन्होंने लिखा है कि रक्षामंत्री ने बताया कि उनकी पीएम से बात हुई है और यह कि यह विशुद्ध रूप से एक सैन्य फैसला है। जो उचित समझो वो करो। मुझे एक गरम आलू थमा दिया गया था। अब सब कुछ हमारे ऊपर था। मैंने एक गहरी सांस ली और कुछ मिनटों के लिए बिल्कुल शांत होकर बैठ गया। दीवार की घड़ी की टिक-टिक को छोड़कर बाकी सब कुछ शांत था। 

किताब गलवान घाटी में हुई झड़प के बारे में भी कुछ बताती है और यह कहती है कि चीनी राष्ट्रपति जी जिनपिंग 16 जून को कभी नहीं भूल पाएंगे क्योंकि किसी भी समय पीएलए की सेना को पिछले दो दशकों में पहली बार घातक नुकसान सहना पड़ सकता है।

किताब सैनिकों की भर्ती की अग्निपथ योजना के बारे में भी बात करती है। और इसकी आखिरी घोषणा के पहले हुए तमाम विचार-विमर्श के बारे में भी विस्तार से बताया गया है।

मौजूदा समय में सैन्य बलों के सेवारत अफसर और नौकरशाह किसी किताब के प्रकाशन को लेकर विशेष नियमों से संचालित होते हैं। हालांकि रिटायर्ड अफसरों के लिए यह बिल्कुल अस्पष्ट है।

उदाहरण के लिए, सैन्य नियम, 1954 की धारा 21 में कहा गया है कि अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति किसी राजनीतिक प्रश्न या सेवा विषय या किसी सेवा से संबंधित किसी भी मामले को किसी भी रूप में प्रकाशित नहीं करेगा या सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से प्रेस को सूचित नहीं करेगा।”

लेकिन इन्हीं सूत्रों का कहना है कि अगर सेना का कोई शख्स अपने क्षेत्र से इतर किसी काम या फिर साहित्यिक या कलात्मक क्षेत्र से जुड़ी कोई किताब लिखता है तो उस पर यह लागू नहीं होगा।

हालांकि रिटायर्ड आर्मी अफसरों के लिए कोई विशिष्ट नियम नहीं है। रक्षा के एक सूत्र ने सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स 1972 का उदाहरण दिया जिसे जून, 2021 में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग द्वारा बदल दिया गया था।

बदले गए कानून में बगैर पूर्व अनुमति के इंटेलिजेंस या फिर सुरक्षा से जुड़े संगठनों के रिटायर्ड सरकारी सेवकों को अपने संगठन से जुड़ी किसी सूचना के प्रकाशन की जिम्मेदारी से अलग कर दिया गया था।

इसके पहले ढेर सारे सेवारत और रिटायर्ड आर्मी अफसरों ने सेना से जुड़े विभिन्न विषयों पर किताबें लिखी हैं। इसमें पूर्व आर्मी जरनल वीपी मलिक की किताब ‘कारगिल: फ्राम सरप्राइज टू विक्ट्री’ और जनरल वीके सिंह की ‘करेज एंड कन्विक्शन: ऐन आटोबायोग्राफी’ जैसी किताबें शामिल हैं।

(ज्यादातर इनपुट इंडियन एक्सप्रेस से लिए गए हैं।)

जनचौक से जुड़े

2 COMMENTS

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
2 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Non
Non
Guest
3 months ago

Ye sab galat femi lagati he

Chetan
Chetan
Guest
3 months ago

Being in majority in absolute the people in the power have decided and declare interpretation as they want. Making of laws which will benifit only established socio-economic class has become the style of functioning may it be even against the constitution. Justice is to become just a word in dictionary.

Latest Updates

Latest

Related Articles