Sunday, April 28, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

जी-20 शिखर सम्मेलन में बजट से चार गुना खर्च, कांग्रेस ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

नई दिल्ली। जी-20 शिखर सम्मेलन संपन्न होने के बाद अब उस पर हुए खर्च पर सवाल उठ रहे हैं। सम्मेलन में होने वाले विभिन्न खर्चों के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में जी-20 के लिए 990 करोड़ का बजट आवंटित किया था। लेकिन सम्मेलन संपन्न होने के दिन ही इस पर आवंटित बजट से चार गुना खर्च यानि कुल 4100 करोड़ रुपये खर्च होने की सूचना आ रही है। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी के अनुमान के मुताबिक जी-20 पर लगभग 4100 रुपये खर्च हुए हैं। उनके इस खुलासे के बाद से हंगामा मच गया। जबकि G-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की अंतिम लागत अभी तक ज्ञात नहीं है, विभिन्न विभागों द्वारा किए गए खर्च का जब अंतिम लेखा-जोखा आएगा तो यह खर्च और बढ़ सकता है।

अनुमानित से बजट से चार गुना अधिक खर्च होने पर विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं। और वह विभिन्न देशों द्वारा अपने मेजबानी के दौरान किए खर्च को सामने रख भारत सरकार द्वारा किए गए खर्च से तुलना कर रहे हैं।

जी-20 पर 4100 करोड़ रुपये खर्च किये गये। केवल भारत मंडपम की लागत 2700 करोड़ रुपये है। जब अन्य देशों ने जब जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी तो उन्होंने बहुत कम खर्च किया था। 2022 में इंडोनेशिया ने बाली शिखर सम्मेलन के लिए भारत के खर्च का 10 प्रतिशत से भी कम यानी 364 करोड़ रुपये खर्च किये। 2017 में जर्मनी ने 642 करोड़ रुपये, 2018 में अर्जेंटीना ने 931 करोड़ रुपये और 2013 में रूस ने 170 करोड़ रुपये खर्च किये। 2019 में जापान ने जी-20 की मेजबानी पर महज 2600 करोड़ रुपये खर्च किये। हर अवसर को चुनावी कार्यक्रम में बदलने की मोदी की प्रवृत्ति देश पर भारी वित्तीय बोझ डाल रही है।”

इतनी भारी राशि खर्च करने के बावजूद जी-20 शिखर सम्मेलन स्थल ‘भारत मंडपम्’ में पानी भर जाने को भी विपक्षी दल आलोचना के केंद्र में ले रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि जब भारत मंडपम् में ही 2700 करोड़ रुपये खर्च हुए और सम्मेलन स्थल घंटे भर की बारिश भी नहीं झेल सका तो इसको क्या समझा जाए?

कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जी-20 शिखर सम्मेलन में भारी भरकम राशि खर्च करने पर आपत्ति जताई है। पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार गरीबों को सस्ती रसोई गैस या बाढ़ से तबाह हुए हिमाचल प्रदेश के पुनर्निर्माण के लिए पैसा मुहैया नहीं करा रही है।

कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि “मोदी कल्याणकारी योजनाओं के बारे में सवाल उठाते हैं, तर्क देते हैं कि संसाधन कहां से आएंगे। मुद्दा पैसों का नहीं बल्कि प्राथमिकताओं का है।”

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि “जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए आवंटित बजट 990 करोड़ रुपये था। बीजेपी सरकार ने 4100 करोड़ रुपये खर्च किये। कोविड-19 महामारी के बाद, दुनिया भर की सरकारों ने सार्वजनिक कार्यक्रमों पर अपना खर्च कम कर दिया है। लेकिन पीएम मोदी अपनी और सरकार के पब्लिसिटी पर पानी की तरह पैसे बहा रहे हैं। ” 

वेणुगोपाल ने कहा कि “यह सरकार जो सस्ती एलपीजी या पेट्रोल/डीजल सुनिश्चित नहीं कर सकती, फसल बर्बाद होने वाले किसानों को मुआवजा देने से इनकार करती है, बाढ़ से तबाह हिमाचल प्रदेश की बहाली के लिए पर्याप्त धन जारी नहीं करती है, छवि निर्माण की इस कवायद के लिए बजट को 10 गुना बढ़ा दिया।”

वेणुगोपाल ने कहा कि “सौंदर्यीकरण के कितने भी अभियान इस सरकार द्वारा देश भर में फैलाई गई आर्थिक गड़बड़ी को छिपा नहीं सकते हैं। हमें यह जानने के लिए बाढ़ में डूबे भारत मंडपम के अलावा और कुछ देखने की जरूरत नहीं है कि जनता का पैसा किस तरह बर्बाद किया गया है।”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में जी-20 के लिए 990 करोड़ रुपये आवंटित किये थे। जब सभी विभाग और एजेंसियां अपने खर्चों की रिपोर्ट देंगी तो अंतिम लागत 4,100 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। दिल्ली सरकार और केंद्र खर्चों को लेकर झगड़ रहे हैं, दिल्ली की आप सरकार का कहना है कि उसने 927 करोड़ रुपये की मांग की थी लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। इसमें कहा गया कि दिल्ली सरकार ने यह पैसा अपनी जेब से खर्च किया।

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जी-20 के नाम पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर पोस्ट किया कि  “अब जब G-20 की बैठक ख़त्म हो गई है, मोदी सरकार को घरेलू मुद्दों पर अपना ध्यान आकर्षित करना चाहिए। महंगाई से देश का हाल बुरा है। अगस्त में एक आम खाने की थाली का दाम 24 प्रतिशत बढ़ गया है। देश में बेरोज़गारी दर 8 प्रतिशत है। युवाओं का भविष्य अंधकारमय है।”

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के कुशासन में भ्रष्टाचार की बाढ़ आ गई है, CAG ने कई रिपोर्टों में भाजपा की पोल खोली है, जम्मू-कश्मीर में 13000 करोड़ रुपये का जल जीवन घोटाला सामने आया है, जिसमें एक दलित आईएएस अधिकारी को इसलिए प्रताड़ित किया, क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार उजागर कर दिया। 

समाजवादी पार्टी के प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर जी-20 सम्मेलन में बजट से चार गुना अधिक खर्च पर सवाल उठाए। उन्होंने सवाल किया कि “G20 के लिए भाजपा सरकार ने निर्धारित बजट से 4 गुना 4100 करोड़ खर्च क्यों किया? किसी ने जवाब दिया। सच बस एक बार लेकिन झूठ को चार गुना बढ़कर बोलना पड़ता है तो बजट भी चार गुना बढ़ गया।”

उन्होंने कहा कि “विदेशी मेहमानों को सोने की थाली में छप्पन भोग परोसे… और देश के करोड़ों लोग हैं बस पांच किलो अनाज के भरोसे! अगला चुनाव इसी भेद को मिटाने के लिए लड़ा जाएगा। दिखावा भी छलावा होता है या कहिए जुमले का पर्यायवाची। भाजपा के दिखाए झूठे स्वर्णिम स्वप्न की नींद से जनता जाग गयी है, वैसे भी भूखी आंख को सुनहरे सपने नहीं आ सकते…।”

पिछले पांच जी-20 का कौन देश रहा मेजबान

पीएम नरेंद्र मोदीजी-20 की मेजबानी को अपनी सरकार और देश के लिए एक उपलब्धि बताते रहे हैं। लेकिन चक्रीय रूप से सदस्य देशों को मेजबानी का अवसर मिलता रहता है। पिछले पांच सालों के मेजबानों को देखें तो 2018–अर्जेंटीना, 2019–जापान, 2020–सऊदी अरब,  2021– इटली और 2022 में इंडोनेशिया ने जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी।

इसमें किसी देश की कोई खास कोशिश नहीं होती है। जिस भी देश का नंबर आता है उसे मेजबानी करनी होती है, और उस दौरान उस देश में किसी भी पार्टी की सरकार और कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति रह सकता है। यह बात भारत पर भी लागू होता है। जी-20 की मेजबानी के लिए पीएम मोदी को कोई पुरुषार्थ नहीं करना पड़ा या अंतरराष्ट्रीय कूटनीति नहीं अपनाना पड़ा।

(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles