Saturday, April 27, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

भाजपा के राजनीतिक बदले की कार्रवाई में शहीद हो गया संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल

नई दिल्ली। योगी आदित्यनाथ सरकार ने अमेठी के मुंशीगंज स्थित संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया है। यह फैसला कथित चिकित्सीय लापरवाही के एक मामले में 22 वर्षीय महिला की मौत के बाद लिया गया है। यूपी स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है। कांग्रेस ने राज्य की भाजपा सरकार पर “राजनीति” करने का आरोप लगाया है। योगी सरकार के इस फैसले पर जहां कांग्रेस ने आंदोलन करने का ऐलान किया है वहीं अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि वे लाइसेंस निलंबन के खिलाफ अदालत जाएंगे।

100 बिस्तरों वाला संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल की आधारशिला 1982 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी थी। 1989 से अमेठी के मुंशीगंज इलाके में चल रहा यह अस्पताल एक ट्रस्ट राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा संचालित होता है। जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। कांग्रेस का आरोप है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम अस्पताल से जुड़ा है इसलिए भाजपा सरकार अस्पताल को निशाना बनाकर राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से काम कर रही है।

संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर और प्रतापगढ़ के मरीज अपना इलाज कराते हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि के मरीजों के लिए कई जिलों में इतना सस्ता और सुविधा वाला अस्पताल नहीं है। अस्पताल परिसर में समय-समय पर चिकित्सा शिविर भी लगाएं जाते हैं, जिसमें भारी संख्या में ग्रामीणों के मोतियाबिंद आदि का ऑपरेशन होता है।

लाइसेंस निलंबन के पीछे क्या है पूरा मामला

मुसाफिरखाना के पांडेय का पुरवा मजरे राम शाहपुर निवासी अनुज शुक्ला की पत्नी दिव्या को 14 सितंबर को पेट दर्द की शिकायत पर संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती किया गया। आरोप है कि पथरी के लिए ऑपरेशन थिएटर के अंदर एनेस्थीसिया देने के बाद दिव्या कोमा में चली गई उसके बाद होश नहीं आया। आनन-फानन में उसे लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल लाया गया। जहां दो दिन बाद 16 सितंबर को उसकी मौत हो गई।

लखनऊ के मेदांता अस्पताल में मौत होने के बाद परिजनों ने शव को लेकर संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल पहुंचे और आक्रोशित परिजनों व ग्रामीणों ने शव रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस-प्रशासन को दिए गए मांगपत्र में एक करोड़ रुपये की सहायता, दोषियों के विरुद्ध हत्या समेत गंभीर धाराओं में केस दर्ज करने, मृतका के नवजात को आजीवन भरण पोषण व उच्च शिक्षण की निशुल्क व्यवस्था के साथ ही संजय गांधी अस्पताल की उच्च स्तरीय जांच एवं कार्रवाई की मांग की गई है।

दी गई तहरीर पर पुलिस ने संजय गांधी अस्पताल के सीईओ अवधेश शर्मा, चिकित्सक डॉ. सिद्दीकी, डॉ. मोहम्मद रजा व डॉ. शुभम द्विवेदी के विरुद्ध धारा 304 ए के विरुद्ध केस दर्ज कर लिया है।

जांच समिति ने किया एक दिन में जांच पूरा

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने संजय गांधी अस्पताल की लापरवाही से महिला मरीज की मौत के मामले का तत्काल संज्ञान लेते हुए सीएमओ अमेठी डॉ. अंशुमान सिंह को जांच का आदेश दिया। उसके बाद जांच समिति ने तत्काल जांच शुरू करने का नोटिस जारी कर दिया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अंशुमान सिंह ने बताया कि तीन सदस्यीय टीम की जांच के दौरान इलाज में लापरवाही किए जाने का मामला सामने आया है। शासन के निर्देश पर अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर नए मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं करने का नोटिस जारी कर दिया गया।

दिव्या शुक्ला की लखनऊ में 16 सितंबर को मौत हुई। परिजनों ने रात में मुंशीगंज स्थित संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल आकर प्रदर्शन करने लगे। 17 सितंबर को यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ने संज्ञान लेकर अमेठी के मुख्य चिकित्साधिकारी को जांच समिति से जांच कराने का आदेश दिया। सीएमओ ने उसी दिन अतिरिक्त मुख्य चिकित्साधिकारी के नेतृत्व में तीन ससदस्यीय जांच टीम का गठन किया और जांच टीम ने 18 सितंबर को रिपोर्ट दिया। और 18 सितंबर को ही चिकित्सा लापरवाही के प्रथम दृष्ट्या सबूत का हवाला देते हुए, जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि “प्रारंभिक जांच में पाई गई कमियों के आधार पर अस्पताल प्रशासन को क्लिनिकल एक्ट के तहत स्पष्टीकरण मांगने के लिए नोटिस जारी करने के आदेश दिए गए हैं। लापरवाही में संलिप्त पाए जाने पर उसके परिसर को सील कर दिया जाएगा।”

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (अमेठी) अंशुमान सिंह ने कहा कि अस्पताल को नोटिस देकर तीन महीने में स्पष्टीकरण मांगा गया था, लेकिन प्रारंभिक जांच में प्रथम दृष्टया लापरवाही के सबूत पाए जाने के बाद लाइसेंस निलंबित करने का निर्णय लिया गया।

डॉ. अंशुमन सिंह ने कहा कि “ऐसी घटनाएं होती हैं, लेकिन उन्होंने पूर्व चिकित्सा परीक्षण भी नहीं किए… और मरीज की समस्या बढ़ने के बाद भी, उन्होंने उसे दूसरे अस्पताल में रेफर करने से पहले 10-12 घंटे तक रखा, जिससे उसकी मौत हो गई। हमारी जांच में पाया गया कि डॉक्टरों के साथ-साथ प्रशासन भी लापरवाही का दोषी है और अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की गई है। यदि वे संतुष्ट नहीं हैं, तो आगे की जांच एक बड़ी टीम द्वारा की जा सकती है।”

संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट को अदालत का सहारा

संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट के प्रशासक विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) मनोज मट्टू ने कहा कि “हम फैसले के खिलाफ अदालत में अपील करने जा रहे हैं। अधिकारियों द्वारा हमसे 14 सितंबर की घटना के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया और तीन महीने का समय दिया गया, लेकिन अगले 24 घंटों में अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए गए। हम घटना से इनकार नहीं कर रहे हैं और इसकी जांच हो सकती है। एक प्राथमिकी पहले ही दर्ज की जा चुकी है।”

उन्होंने कहा कि “ट्रस्ट के प्रतिनिधि के रूप में मेरा कहना है कि यह (ऐसी घटना) सरकारी अस्पतालों में भी संभव है। लेकिन 450 स्टाफ, 600 नर्सिंग छात्र, 200 पैरामेडिकल छात्रों वाले पूरे अस्पताल को बिना स्पष्टीकरण का अवसर दिए बंद कर देना किस नियम के तहत उचित है? इसलिए, हम एक अपील करने जा रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “उस दिन (14 सितंबर) को बारह सर्जरी हुईं और लगभग 10 ऑपरेशन, मुख्य रूप से आर्थोपेडिक, सामान्य सर्जरी और स्त्री रोग के, अस्पताल में हर दिन होते हैं।”

दोषी का सजा मिले लेकिन अस्पताल को लेकर न हो राजनीति

इस बीच कांग्रेस नेता केएल शर्मा ने सरकार के फैसले की आलोचना और 22 वर्षीय महिला के परिवार के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि “हालांकि कानून अपना काम करेगा, लेकिन जिस तरह से अस्पताल को बंद किया गया वह सही नहीं है। जो दोषी है उसे सजा मिलनी चाहिए न कि पूरे संगठन को। यह अस्पताल दशकों से अमेठी के लोगों की सेवा कर रहा है और अब इस पर ताला लगा दिया गया है। अस्पताल कांग्रेस का नहीं है, यह सभी को सुविधाएं देता है। इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। भविष्य में राजनीति करने के कई मौके आएंगे लेकिन यह कोई मौका नहीं है।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर “लाइसेंस निलंबन आदेश को तुरंत वापस लेने” का अनुरोध किया। उन्होंने पत्र में लिखा कि “ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए, यह अस्पताल कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रो, त्वचा विज्ञान, फुफ्फुसीय, ईएनटी, बाल चिकित्सा के साथ-साथ आपातकालीन सेवाएं, ब्लड बैंक भी प्रदान करता है… अस्पताल इन सेवाओं को नाममात्र शुल्क पर या कुछ मामलों में मुफ्त प्रदान करता है।”

राय ने आशा व्यक्त करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री “अपने सकारात्मक निर्देश से यह सुनिश्चित करेंगे कि अमेठी के लोगों और अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों के साथ अन्याय न हो”।

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