Sunday, April 28, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

इंदिरा गांधी स्मारक पर मोदी सरकार की टेड़ी नजर, नेहरू स्मारक संग्रहालय जैसा हो सकता है हश्र?

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज 39वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 31 अक्तूबर 1984 को उनके अंगरक्षकों ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी। इंदिरा गांधी की शहादत के बाद कांग्रेस सरकार उनके सरकारी आवास 1, सफदरजंग रोड को ‘इंदिरा गांधी स्मृति’ (Indira Gandhi Memorial) के रूप में स्थापित किया। 27 मई 1985 को इंदिरा गांधी स्मृति का उद्घाटन हुआ था। लेकिन अब इस स्मारक पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। मोदी सरकार इस स्मारक को हटाकर भवन को सरकार को सौंप सकती है। क्योंकि इसके पीछे का तर्क है कि जब सारे पूर्व प्रधानमंत्रियों का स्मारक बन गया है तो अलग स्मारक की क्या जरूरत है?

दरअसल, नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय का नाम बदलने के बाद अब मोदी सरकार की निगाह इंदिरा गांधी स्मारक पर है। केंद्र की संघ-भाजपा सरकार इंदिरा और शास्त्री स्मारक के साथ भी छेड़छाड़ कर सकती है। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश के साथ सोशल मीडिया पर बहस के दौरान केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की टिप्पणी से नेहरू-गांधी परिवार से जुड़ी एक और संस्था, इंदिरा गांधी मेमोरियल को बंद करने की आशंका पैदा कर दी है। इंदिरा गांधी मेमोरियल के अलावा लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल (Lal Bahadur Shastri Memorial) के साथ भी छेड़छाड़ की आशंका है।

दरअसल इंदिरा गांधी की शहादत उनके सरकारी आवास 1, सफदरजंग रोड पर ही हुई थी। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आकस्मिक निधन उनके कार्यकाल के दौरान ही हो गया था। इसलिए सरकार ने उनके सरकारी आवास 1, मोतीलाल नेहरू प्लेस को उनका स्मारक बना दिया था।

नेहरू और इंदिरा के अलावा, राजधानी में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का स्मारक है। इंदिरा और शास्त्री संग्रहालयों का प्रबंधन निजी ट्रस्टों द्वारा किया जाता है। इस साल, केंद्र ने आईजीएम ट्रस्ट और नेहरू और राजीव से संबंधित दो अन्य ट्रस्टों को उन संस्थानों की सूची से हटा दिया, जिनके दान को कराधान से छूट दी गई है।

दरअसल, अभी कुछ दिनों पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर नए संसद भवन की वास्तुकला की आलोचना की थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पिछले महीने एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा था कि “पूरे भारत में Dynastic Dens वंशवादी गढ़ का मूल्यांकन और युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता है। शुरुआत के लिए 1, सफदरजंग रोड कॉम्प्लेक्स को तुरंत भारत सरकार को वापस स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए क्योंकि सभी प्रधानमंत्रियों के लिए अब पीएम संग्रहालय में जगह है।”

इंदिरा गांधी स्मृति (आईजीएम) वह स्थान है जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रहती थीं और 31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या कर दी गई थी। यह स्मारक दिल्ली में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां पर इंदिरा गांधी और उनके उत्तराधिकारी राजीव गांधी द्वारा पहने गए वे कपड़े रखे गए हैं, जो उन दोनों ने अपनी हत्या के समय पहने थे। राजीव गांधी की 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हत्या कर दी गई थी, जहां अब एक स्मारक बना हुआ है।

इंदिरा गांधी स्मृति में “मेज पर चश्मे की एक जोड़ी रखी हुई है, जिसे इंदिरा गांधी उस सुबह प्रस्थान करने से पहले एक तरफ रख दिया होगा, एक डायरी और कुछ सामान, एक छोटे रेनडियर के सींगों से लटकने वाले रबड़ बैंड और पिन से भरी नॉर्वेजियन वाइकिंग नाव के साथ क्लिप, ब्लॉटर और इरेज़र सौंदर्यपूर्ण रूप से व्यवस्थित रखे गए थे। ”

पर्यटकों के आने पर “गाइड इस बात पर ज़ोर देते हैं कि इंदिरा जी के सामनों को वैसे ही रखा गया है जैसे वे 31 अक्टूबर को थे, और एक भी चीज़ को छुआ नहीं गया था। हालांकि, कई चीजों को सुरक्षित रखने के लिए पेंट किया गया था।”

इतिहासकार और नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) की पूर्व निदेशक मृदुला मुखर्जी ने कहा कि “यह साइट सिर्फ वह जगह नहीं है जहां वह रहती थीं, यह वह जगह है जहां उनकी हत्या की गई थी… वह जगह चिह्नित है जहां उनकी हत्या की गई थी।”

उन्होंने आगे कहा कि “यह एक छोटा और सुंदर स्मारक है जो बहुत लोकप्रिय है, खासकर दक्षिण से आने वाले पर्यटकों के बीच। ‘इंदिरा अम्मा’ को श्रद्धांजलि देने वालों की कतार लगी रहती है। शायद इसीलिए वे इसे बंद करना चाहते हैं।”

दरअसल, नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय का नाम बदलकर अब प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय कर दिया गया है। प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय का उद्घाटन पिछले साल तीन मूर्ति परिसर में किया गया था। तीन मूर्ति हाउस में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू रहते थे। उनके निधन के बाद इसे एक “हाउस संग्रहालय” में बदल दिया गया था। अब इसे इसके पीछे बने नए प्रधानमंत्री संग्रहालय के साथ जोड़ दिया गया है।

(प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

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