Saturday, April 27, 2024

उत्तराखंड: अब भाजपा की पिच पर नहीं खेलेगी कांग्रेस

उत्तराखंड। पूरे देश के साथ ही राज्य में भी भारतीय जनता पार्टी के पास उपलब्धियों के नाम पर बताने के लिए कुछ खास नहीं है। नौ साल से केन्द्र में और साढ़े छह साल से उत्तराखंड में भी भाजपा शासन कर रही है। डबल इंजन सरकार का खूब प्रचार हो रहा है, लेकिन उपलब्धियों के नाम पर सन्नाटा है। मोदी के चेहरे पर पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की पांच सीटों पर कब्जा किया तो 2022 के विधानसभा चुनाव में बारी-बारी से जीत दर्ज करने के पुराने मिथक को तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की।

लेकिन, अब जबकि मोदी की लोकप्रियता के ग्राफ में तेजी से गिरावट आई है तो भाजपा के पास लोगों के पास जाकर जवाब देने के लिए कुछ बचा नहीं है। न ही भाजपा के पास उत्तराखंड में कोई कद्दावर और लोकप्रिय नेता है। ऐसे में पार्टी ने हाल के दिनों में उत्तराखंड जैसे शांत राज्य में भी साम्प्रदायिक तनाव का माहौल बनाने के कई प्रयास किये हैं। पुरोला, विकासनगर, हल्द्वानी, श्रीनगर, गौचर आदि जगहों पर इस तरह के प्रयास किये गये।

भाजपा अपने सहयोगी संगठनों बजरंग दल और विहिप आदि की आड़ में जब इस तरह के प्रयास करती है तो आमतौर पर सभी राजनीतिक दल और जनसंगठन भी भाजपा की पिच पर खेलने लगते हैं, यही भाजपा चाहती भी है। इस तरह से अल्पसंख्यकों का डर दिखाकर और साम्प्रदायिक तनाव का माहौल बनाकर भाजपा अपने मंसूबों में लगातार सफल होती आई है। लेकिन हाल के दिनों में माहौल पूरी तरह से बदला हुआ नजर आ रहा है।

देहरादून में कांग्रेस की सोशल मीडिया विभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत ने पार्टी के आगामी कार्यक्रमों की घोषणा की।

कांग्रेस ने एक तरह से भाजपा की बनाई साम्प्रदायिकता की पिच पर खेलने से साफ इंकार कर दिया है और सरकार की विफलताओं को लेकर आने वाले दिनों में लगातार लोगों के बीच जाने की बात कही है। पार्टी ने आज यानी 17 जुलाई से ही यह सिलसिला शुरू भी कर दिया है। वामपंथी पार्टियों की समझ में भी यह बात आ गई है कि अब भाजपा की पिच पर नहीं खेलना है। हाल के दिनों में एक खास बात यह भी हुई है कि कई कार्यक्रमों में कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों के साथ ही राज्यभर के तमाम जन संगठनों ने मंच साझा किया।

2 जुलाई को हल्द्वानी में हुआ जन सम्मेलन इसका उदाहरण है। इस सम्मेलन में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हुए तो सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई-माले, समाजवादी पार्टी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी और अन्य राजनीतिक दलों के राज्य स्तर के पदाधिकारी भी। हल्द्वानी जन सम्मेलन किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा नहीं बल्कि सद्भावना समिति की ओर से आयोजित किया गया था, जिसमें चेतना आंदोलन, उत्तराखंड इंसानियत मंच और उत्तराखंड महिला मंच जैसे राज्य के सशक्त संगठनों ने भी भागीदारी की।

इन संगठनों की ओर से अब 25 जुलाई को उत्तराखंड में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रतीक शहीद श्रीदेव सुमन के शहादत दिवस पर और 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी पर भी राज्यव्यापी कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की गई है।

पौड़ी में कांग्रेस ने अंकिता भंडारी के गांव में जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया।

प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस की बात करें तो पार्टी प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सबसे पहले हल्द्वानी सम्मेलन में यह बात कही थी कि हम सब भाजपा की बनाई साम्प्रदायिकता की पिच पर खेल रहे हैं। हमें सरकार की नाकामियों को लेकर लोगों के बीच जाना होगा। सीपीआई के समर भंडारी, सीपीएम के सुरेन्द्र सिंह नेगी, सीपीआई-माले के इंद्रेश मैखुरी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के पीसी तिवारी सहित तमाम राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों और जनवादी संगठनों ने उनकी इस बात पर सहमति जताई थी। उसके बाद से कांग्रेस ने लगातार इस दिशा में काम करना शुरू किया और अब एक तरह से कांग्रेस ने घोषणा कर दी है कि वह भाजपा की पिच पर नहीं खेलेगी।

कांग्रेस अब राज्य की तमाम समस्याओं को लेकर मैदान में उतर गई है। अंकिता भंडारी हत्याकांड को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बना लिया है। हालांकि कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लगातार इस मसले को विभिन्न मंचों पर उठाते रहे हैं, लेकिन अब कांग्रेस ने जोर-शोर से यह मसला अपने हाथ में ले लिया है। अंकिता भंडारी की हत्या के आरोप में भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा पुलकित आर्य जेल में बंद है।

पिछले वर्ष सितंबर में पुलकित आर्य के ऋषिकेश के पास गंगा भोगपुर में स्थित रिजॉर्ट में वहां काम करने वाली पौड़ी के एक गांव की अंकिता भंडारी की हत्या की गई थी। आरोप है कि अंकिता को किसी वीआईपी को स्पेशल सर्विस देने के लिए कहा जा रहा था। अंकिता ने मना कर दिया तो उसकी हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद राज्यभर में आंदोलन हुआ था। करीब 10 महीने का वक्त बीत जाने के बाद भी उस वीआईपी का नाम सामने नहीं आया है, जिसके लिए अंकिता पर अनैतिक कार्य का दवाब डाला जा रहा था।

प्रदर्शन में शामिल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा।

कांग्रेस का आरोप है कि वह वीआईपी का भाजपा का कोई बड़ा नेता है, इसलिए उसका नाम सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। वीआईपी का नाम सार्वजनिक करने की मांग को लेकर कांग्रेस ने आज यानी 17 जुलाई को अंकिता के गांव में प्रदर्शन भी किया। आने वाले दिनों में इस मसले को लेकर राज्यभर में इसी तरह के प्रदर्शन करने की कांग्रेस की योजना है। कांग्रेस अग्निवीर योजना को भी भाजपा के खिलाफ हथियार बनाने जा रही है।

16 जुलाई को पार्टी के सोशल मीडिया विभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत देहरादून में थी। यहां उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की और अग्निवीर योजना को लेकर आंदोलन की घोषणा की। दरअसल उत्तराखंड सैनिक प्रधान राज्य है। फौज में भर्ती होना यहां के युवा का सपना होता है। लेकिन, अग्निवीर योजना ने उनके सपनों पर पानी फेरा है। खासकर कई युवाओं के अग्निवीर प्रशिक्षण बीच में ही छोड़ देने की खबरें आने के बाद पहाड़ों के युवाओं का मनोबल टूटा है।

कांग्रेस ने उत्तराखंड में न्याय स्वाभिमान यात्रा निकालने की भी घोषणा की है। 50 दिन की यह यात्रा चम्पावत जिले के प्रमुख लोक देवता गोलज्यू के मंदिर से शुरू होगी और देहरादून के त्यूणी में खत्म होगी। एक तरह से यह यात्रा राज्य के पूरे तराई क्षेत्र को कवर करेगी। कांग्रेस का दावा है कि इस यात्रा में 10 दिन के लिए पार्टी के नेता राहुल गांधी भी शामिल होंगे। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के भी कुछ दिन के लिए इस यात्रा में शामिल होने की संभावना जताई गई है।

शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कानून-व्यवस्था, अग्निवीर, अंकिता हत्याकांड, बेरोजगारों पर लाठीचार्ज, सरकारी सेवाओं के परीक्षा पेपर लीक सहित विभिन्न मामलों में मैदान में उतरने के साथ ही कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर भी आक्रामक उपस्थिति दर्ज करने के संकेत दिये हैं। राज्य में सोशल मीडिया की नई टीम गठित की गई है। इस टीम को स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि वे मर्यादाओं का पालन करते हुए आंकड़ों के आधार पर सोशल मीडिया पर आक्रामक रुख अपनाएं।

बीजेपी आईटी सेल की तरह झूठ और गाली-गलौच की भाषा इस्तेमाल करने से सोशल मीडिया टीम को कड़ाई के साथ मना कर दिया गया है। प्रमुख विपक्षी पार्टी के साथ ही वामपंथी पार्टियों और दो दर्जन से ज्यादा राज्य के प्रमुख सामाजिक संगठनों द्वारा आने वाले दिनों में आयोजित कार्यक्रम भी भाजपा के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। सद्भावना समिति के बैनर तले आयोजित किये जाने वाले इन कार्यक्रमों की घोषणा अगले दो या तीन दिन में किये जाने की संभावना है।

इन कार्यक्रमों के संयोजक भुवन पाठक और शंकर गोपाल का मानना है कि हाल के वर्षों में भाजपा ने सबसे ज्यादा नुकसान राज्य और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पहुंचाया है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से आम लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाएगा। खासकर 25 जुलाई के कार्यक्रमों में श्रीदेव सुमन की शहादत को याद करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों पर चर्चा होगी। श्रीदेव सुमन ने टिहरी में राजशाही के खिलाफ और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए 84 दिन की ऐतिहासिक भूख हड़ताल करके शहादत दी थी।

माना जा रहा है कि 25 जुलाई का राज्यस्तरीय मुख्य कार्यक्रम श्रीदेव सुमन के टिहरी जिले में स्थित पैतृक गांव जौल में किया जाएगा। इसके साथ ही राज्यभर में सभी जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। सद्भावना समिति की ओर से मानसून के बाद राज्यभर में सद्भावना यात्रा निकालने की भी योजना बनाई जा रही है।

(उत्तराखंड से त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट।)

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