Saturday, April 27, 2024

राजस्थान में ऑपरेशन लोटस फेल, काम नहीं आया ‘चोटिल हाथ’

राजस्थान में ‘ऑपरेशन लोटस’ परवान नहीं चढ़ सका। वैसे भी ‘ऑपरेशन लोटस’ अब ‘चोटिल हाथ’ का साथ खोजता है तभी परवान चढ़ता है। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के तौर पर यह चोटिल हाथ मिला था। राजस्थान में भी सचिन पायलट के तौर पर ‘चोटिल हाथ’ को थामने और सहलाने की कोशिश हुई। मगर, काल और परिस्थिति में फर्क आ गया और ‘ऑपरेशन लोटस’ फेल हो गया।

अशोक गहलौत सरकार के संकट में आने और संकट से निकलने की कहानी पूरी तरह से काल्पनिक लगती है। ऐसा लगता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। अशोक सरकार पर क्या कोई संकट आया? क्या सचिन पायलट और उनके सहयोगियों ने सरकार का साथ छोड़ा? क्या उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी? विधानसभा में, राज्यपाल को या फिर पार्टी फोरम में कहीं किसी किस्म का इस्तीफा भेजा? सरकार को समर्थन वापसी से जुड़ा को संदेश दिया? ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अगर यह सच है कि गहलौत सरकार पर कोई संकट नहीं आया, तो वह संकट से बच निकली-ऐसा कैसे कहा जाए।

मुख्यमंत्री अशोक गहलौत को विधायक दल की बैठक बुलानी पड़ी। ह्विप जारी करना पड़ा। कांग्रेस आलाकमान को तीन सदस्यीय पर्यवेक्षक दल जयपुर भेजना पड़ा जिनमें रणदीप सुरजेवाला, अशोक माकन और अवनीश पांडे शामिल थे। 12 जुलाई-13 जुलाई की रात सचिन पायलट और उनके सहयोगियों से संपर्क करने की कोशिशें होती रहीं। खुद सुरजेवाला ने विधायक दल की बैठक शुरू होने से पहले हुए प्रेस कॉन्फ्रेन्स में बताया कि उन्होंने कम से कम सौ विधायकों से बातचीत की है और परिस्थिति को समझा है। ये तमाम घटनाएं बताती हैं कि ये तमाम घटनाएं बताती हैं कि राजस्थान सरकार को लेकर बहुत गहमागहमी रही थी और वास्तव में वह किसी संकट में थी।

संकट को समझने के लिए सचिन पायलट का वह संदेश महत्वपूर्ण हो जाता है जो उन्होंने अपने किसी ह्वाट्सएपग्रुप में दिए थे। इसमें उन्होंने अपने साथ 30 विधायक होने का दावा किया था और कहा था कि अशोक गहलौत सरकार अल्पमत में है। यह भाषा अपने आपमें यह कह रही थी मानो सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने पार्टी और सरकार से अपना हाथ खींच लिया है। सचिन पायलट की ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात और उसके बाद सूत्रों से आने वाली खबरों ने राजस्थान का सियासी पारा चढ़ा दिया कि सचिन भी सिंधिया की राह पर हैं, कि वे सोमवार को बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

एक और खबर ने आग में घी का काम किया कि स्पेशल ऑपरेटिव ग्रुप (एसओजी) ने डिप्टी सीएम सचिन पायलट को नोटिस भेजा है। यह उस मामले से संबंधित था जिसमें कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाए जा रहे थे। जब सचिन पायलट ने इस नोटिस को अपने अभिमान का विषय बना लिया तो यह बात भी सामने आयी कि यह नोटिस मुख्यमंत्री समेत 15 लोगों को भी भेजा गया है।

बीजेपी ने ‘ऑपरेशन लोटस’ को धार देने के लिए ‘चोटिल हाथ’ को मदद करने की पूरी कोशिश जारी रखी। सोमवार सुबह से ही अशोक गहलौत के नजदीकी लोगों के घर और विभिन्न ठिकानों पर इनकम टैक्स के छापे पड़ने शुरू हो गये। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा भी कि बीजेपी ने इनकम टैक्स, ईडी और सीबीआई को भी अग्रिम मोर्चे पर लगा दिया है।

तमाम बातें अपनी जगह थीं। मगर, एक बात साफ थी कि अगर सचिन पायलट के पास 30 विधायक होते तो बीजेपी उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ती। बीजेपी का ऑपरेशन लोटस इन दिनों अब ‘चोटिल हाथ’ से इतनी उम्मीद रखता है कि वह कांग्रेस की सरकार को गिराए। उसके बाद वह इतना भरोसा देता है कि अगली सरकार में ‘चोटिल हाथ’ का दर्द वह ठीक करेगी।

सोमवार दोपहर 12 बजते-बजते यह साफ होने लग गया था कि सचिन पायलट के पास 20 से कम विधायक हैं। जब तीन घंटे की देरी से विधायक दल की बैठक शुरू हुई और मीडिया के बीच प्रफुल्लित होकर उनकी परेड करायी गयी, तब तक यह साफ हो चुका था कि कांग्रेस के केवल 18 विधायक अनुपस्थित रहे थे। गहलौत सरकार के लिए मैजिक फिगर 101 है और विधायक दल की बैठक में 109 विधायक मौजूद रहने का दावा कांग्रेस की ओर से किया गया। मतलब ये कि गहलौत सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, यह बात साबित हो गयी।

हालांकि विधायक दल की यह बैठक और इसमें विधायकों की उपस्थिति का कोई वैधानिक मतलब नहीं था, मगर यह संख्या बल की जारी लड़ाई में बहुत महत्वपूर्ण था। इस प्रदर्शन ने जहां अशोक गहलौत को अचानक मजबूत बना डाला, वहीं सचिन पायलट को बेहद कमजोर। विधायक दल की बैठक में पारित हुए प्रस्ताव की भाषा भी देखें तो यह साफ है कि अगर आलाकमान का हस्तक्षेप नहीं हो, तो सरकार के खिलाफ काम करने वालों पर कार्रवाई का अधिकार अशोक गहलौत को विधायकों ने दे दिया।

कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान में अलग किस्म से अपनी सक्रियता दिखलायी। संख्या बल की लड़ाई हार चुके सचिन पायलट को पूरी तरह दरकिनार करने के बजाए उनसे बातचीत जारी रखी। खुद प्रियंका गांधी ने उनसे बात की। राहुल गांधी से मुलाकात तय की गयी। इसका मतलब यह था कि अशोक गहलौत को सिंगल हैंड नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं सचिन पायलट के पोस्टर राजस्थान के प्रदेश कार्यालय से उखाड़ दिए गये थे, उन्हें भी लगवाया गया। इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सचिन पायलट को बीजेपी नेता कह दिया था, उन्हें भी अपना बयान वापस लेने को मजबूर किया गया।

सोमवार की शाम होते-होते एक बात साफ हो चुकी थी कि बीजेपी का ऑपरेशन लोटस ‘चोटिल हाथ’ की मदद नहीं कर पाया और न ही उनकी मदद ले पाया। इस तरह राजस्थान में यह ‘ऑपरेशन लोटस’ फेल हो गया। इसके बावजूद कांग्रेस के खेमे में यह सुकून की बात है कि इसमें आलाकमान को भी सकारात्मक भूमिका निभाने का अवसर मिला और राजस्थान की कांग्रेस सरकार को किसी नुकसान से भी बचाया जा सका। सचिन के लिए थोड़ी मुश्किल परिस्थिति जरूर पैदा हुई है, मगर अब ये अंदर की बात है।

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